Published On : Thu, Feb 13th, 2020

नासुप्र को पुनर्जीवित करने के खिलाफ सर्वपक्षीय नगरसेवक

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मनपा की विशेष सभा के रुख को शासन तक पहुँचाने का निर्देश दिया महापौर संदीप जोशी ने

नागपुर: महल स्थित नगर भवन में नागपुर महानगरपालिका की मैराथन चली विशेष सभा में नागपुर सुधार प्रन्यास को पालकमंत्री नितिन राऊत द्वारा पुनर्जीवित करने के प्रयास पर सर्वपक्षीय विरोध प्रदर्शित किया गया.इस दौरान कांग्रेस नगरसेवक द्वय संदीप सहारे व हरीश ग्वालवंशी और निर्दलीय नगरसेविका आभा पांडे ने विरोध प्रदर्शन के साथ पहले मनपा में पूर्ण व्यवस्था के बाद नासुप्र की जिम्मेदारी हस्तांतरित पर बल दिया। सभा के अंत में महापौर संदीप जोशी ने प्रशासन को निर्देश दिया कि विशेष सभा का निर्णय शासन तक पहुंचाए जाए ,वह यह कि विशेष चर्चा से यह साफ़ हो गया कि मनपा के कोई भी नगरसेवक नासुप्र को पुनर्जीवित करने के पक्ष में नहीं हैं.शहर में दो-दो विकास करने वाली संस्था नहीं होनी चाहिए।पिछली सरकार के निर्णय पर कायम रहते हुए नासुप्र के बेकाम हुए अधिकारी-कर्मियों को मनपा में समाहित किया जाए और उनके मनपा में न आने पर बढे कामकाज के आधार पर नए सिरे से भर्ती करने के प्रस्ताव को मान्यता प्रदान किया जाए.
जनवरी माह में नागपुर के पालकमंत्री नितिन राऊत ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को नासुप्र को पुनर्जीवित करने हेतु पत्र व्यवहार किए थे.इस पत्र के आधार पर मुख्यमंत्री ने नासुप्र और मनपा से उनका अभिप्राय(मत) माँगा था.मनपा और नासुप्र में मुख्यमंत्री का पत्र पहुँचते ही अंदरूनी रूप से सत्ताधारी तो खुले रूप से मनपा के सत्ताधारी बगावत करना शुरू किये।

इस क्रम में मनपा की भावना से सरकार को अवगत करवाने के लिए आज गुरुवार को मनपा की विशेष सभा बुलाई गई.यह विशेष सभा लगभग ७ घंटे चली.सभा के अंत तक मात्र ३ दर्जन के आसपास नगरसेवक-नगरसेविका ही उपस्थित थे,शेष चर्चा के दौरान पीछे से नौ-दो-ग्यारह होते गए.
चर्चा की शुरुआत भाजपा के विधि समिति सभापति अधिवक्ता धर्मपाल मेश्राम ने करते हुए कहा कि वर्त्तमान पालकमंत्री को पिछली सरकार के नासुप्र बर्खास्तगी के निर्णय से अड़चन थी तो उन्होंने मनपा आयुक्त,अधिकारियों सह नासुप्र प्रशासन की बैठक लेनी चाहिए थी,लेकिन ऐसा न करते हुए उनके द्वारा किया गया पहल शहर के तमाम जनता के विरोध में कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी।

किशोर जिचकार ने कहा कि नासुप्र ने शहर का काफी नुकसान किया हैं.नासुप्र को मनपा में हस्तांतरित करने की प्रक्रिया ८ दिनों में करने की मांग की.
दर्शनी धवड़ ने कहा कि नासुप्र ने विकास करने के मामले में गुमराह करती रही.पिछले ३ वर्षों से हस्तांतरित करने की जानकारी मिल रही लेकिन आजतक नहीं होने से विकासकार्य करने में समस्या आ रही.

आयुक्त मुंढे ने कहा कि उन्होंने मनपा की जिम्मेदारी सँभालते ही आजतक विभाग निहाय समीक्षा का दौर जारी हैं.आज की जरूरतों कामकाज और केंद्र-राज्य के प्रकल्पों में मनपा की भागीदारी के मद्देनज़र कुछ बदलाव हैं.वित्त विभाग में ठेकेदारों का ४०० करोड़ का बकाया हैं.कर्मियों से कटौती की जा अभी तक जमा नहीं हो पाया,सीमेंट सड़क पेज-२ और ३ में शेयर नहीं दे पाई.वित्तीय शिष्टाचार उद्देश्य से कार्यादेश जारी काम नहीं रोक हैं.भविष्य में स्थिति सुधरने तक नहीं हो पाएंगी।

प्रदीप पोहाणे ने कहा कि नासुप्र का व्यवहार कॉर्पोरेट कार्यालय जैसा हैं,इस संस्था ने नदी-नालों को भी छेड़छाड़ की.स्मार्ट सिटी भी १७०० अनाधिकृत लेआउट पर निर्माण की जा रही.

हरीश ग्वालवंशी ने कहा कि पृथक देश में १०० स्मार्ट सिटी,विदर्भ की भांति नासुप्र बर्खास्तगी भाजपा का जुमला हैं.नासुप्र विश्वस्तों पर जाँच बैठानी चाहिए।मनपा प्रशासन पहले नासुप्र को अधिग्रहण करने के पूर्व मनपा में पूर्ण व्यवस्था करें।

पुरुषोत्तम हज़ारे ने कहा कि नासुप्र को पुनर्जीवित न किया जाए ,महापौर और आयुक्त पहले आउटर भागों का पूर्ण दौरा करें फिर विकास की योजना तैयार किया जाए.

मोहम्मद जमाल ने कहा कि नासुप्र बर्खास्तगी को लेकर पिछली सरकार की खामियों की वजह से ही पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा.
विक्की कुकरेजा ने कहा कि नासुप्र ने शहर को गलत दिशा दी हैं,वर्ष २००१ में गुंठेवारी कानून के कारण शहर में स्लम तैयार हुआ.१६,२२,५६,११२ रूपए की दर से समय समय पर नासुप्र ने विकास शुल्क लिए लेकिन उतना किया नहीं।पुरानी लीज भी ‘रिन्युअल’ नहीं की जा रही.

संदीप सहारे ने कहा कि नासुप्र ने विकास शुल्क वसूल कर विकास नहीं किया।जिसका हर्जाना मनपा को भुगतना पड़ रहा.मनपा प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि पहले अपने गिरेबां में झांके फिर नासुप्र पर उंगलियां उठाए।मनपा की आर्थिक स्थिति जर्जर हैं,ऐसे में नासुप्र का भार उठाने के पूर्व मनपा प्रशासन मनपा में पूर्ण व्यवस्था करें,फिर निर्णय लें.

सतीश होले ने कहा कि मनपा नगर रचना विभाग और मनपायुक्त की हलगर्जीपना के कारण नासुप्र का मनपा में हस्तांतरित नहीं हो पाया।मनपा नगर रचना विभाग ने कमाई वाले फाइलों को ही तहरिज दे रही.नासुप्र में जो फाइल मंजूर नहीं हो रही थी,अब मनपा में नासुप्र के समाहित होते ही मंजूर कर दी गई,इसकी जाँच की मांग आयुक्त से की.

आभा पांडे ने कहा कि शहर में एक ही योजना प्राधिकरण होनी चाहिए।नियम १२१ के अंतर्गत नासुप्र की संपत्ति मनपा में समाहित नहीं हुई.मनपा के पास आवश्यकता के अनुसार आधे कर्मी हैं,ऐसे में नासुप्र का अतिरिक्त भर स्वीकारना उचित नहीं,पिछली सरकार का नासुप्र बर्खास्तगी मामले में स्पष्ट आदेश नहीं होने के कारण विषय विवादास्पद हो गया.कुछ मनपा के पास नासुप्र लेआउट की योजना प्राधिकरण हैं और शुल्क नासुप्र बटोर रही.

प्रफुल्ल गुरधे पाटिल ने कहा कि नासुप्र का स्वतंत्र कानून आज भी अस्तित्व में हैं.पिछली कई सरकारों ने मनपा को दरकिनार कर कई योजनाओं को साकार किया हैं.नासुप्र में बड़े पैमाने में भ्रस्टाचार हो रहा हैं,यह सिर्फ राजकीय पुनर्वास का अड्डा हैं.यह भी कड़वा सत्य हैं कि पिछली राज्य सरकार ने पिछले मनपा और विधानसभा चुनाव के दौरान नासुप्र बर्खास्तगी का शिगूफा छोड़ जनता को भ्रमित किया।आधे-अधूरे व्यवस्था से त्रस्त जनता पालकमंत्री के पास गुहार लगाई तो पालकमंत्री ने मुख्यमंत्री को पत्र व्यवहार किया।गुरधे भी शुरू से ही नासुप्र के विरोध में रहे और आज भी हैं.

दयाशंकर तिवारी ने कहा कि पिछले मुख्यमंत्री के निर्णय का विरोध था तो तुरंत वर्त्तमान पालकमंत्री ने सड़क कर विरोध करना था.नासुप्र से उनका विशेष मोह उनके पत्र द्वारा प्रदर्शित हो रहा.मनपा को मुख्यमंत्री कार्यालय से जो पत्र भेजा वह अधूरा हैं,उसका २ पन्ना गायब हैं.इसलिए उन्होंने मनपा प्रशासन से मांग की कि पहले पूर्ण पत्र की मांग करे फिर जवाब देने का विचार करें।

प्रवीण दटके ने कहा कि नासुप्र ने शहर का स्वास्थ्य व भूगोल बिगाड़ा हैं.उन्होंने वर्तमान पालकमंत्री के प्रयास का निषेध किया।
तानाजी वनवे ने कहा कि एक ही संस्था से शहर का सम्पूर्ण विकास हो सकता हैं.

पक्ष नेता संदीप जाधव ने कहा कि पिछले ढाई दशक से नासुप्र की लापरवाही जारी हैं,जिसके वजह से अनाधिकृत बस्तियों के बसने में इजाफा हुआ.नासुप्र ने पहले लुभावने स्वप्न दिखाए गुमराह करती रही.’डीपी’आरक्षण की जगह को भी बेच दिया।शहर के का ललन-पालन मनपा ही करती इसलिए नासुप्र का पूर्ण हस्तांतरण होना समय की मांग हैं.

मनोज सांगोळे,संजय महाकालकर,स्नेहा निकोसे,राजेंद्र सोनकुसरे,इब्राहिम टेलर,प्रकाश भोयर,उज्ज्वला बनकर,परसराम मानवटकर,दिनेश यादव,अनिल गेंड्रे,जुल्फेकार भुट्टो,जितेंद्र घोडेस्वार,स्वाति आखतकर,दिव्या धुरडे,पिंटू झलके,भूषण शिंगणे,नंदा जिचकार,रविंद्र भोयर,अविनाश ठाकरे,वैशाली नारनवरे ने भी नासुप्र के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किये।