Published On : Tue, Apr 5th, 2022

दुकानों-प्रतिष्ठानों का नाम फलक मराठी में …… कानून सिर्फ कागजात पर

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– आज भी अधिकांश फलक अंग्रेजी में नज़र आ रहे

नागपुर – महाराष्ट्र सरकार ने एक कानून बनाकर दुकानों की नेमप्लेट(नाम फलक ) मराठी में लिखना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन कई दुकानों और प्रतिष्ठानों के नाम अभी भी अंग्रेजी में हैं। सम्बंधित प्रशासन की ढुलमुल नीत के कारण उक्त कानून कागजों में सिमटता नजर आ रहा है।

राज्य में शिवसेना के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार है। शिवसेना की राजनीति मुख्य रूप से मराठी के मुद्दे पर ही रही है. राज्य में मराठी का प्रयोग कम होता जा रहा है। इसलिए सरकार ने सभी आदेश, सर्कुलर और सरकारी कामकाज मराठी में करने के आदेश दिए हैं. उसके बाद भी चूंकि कई फैसले और आदेश केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं, अब सरकार ने स्थानीय स्वराज संस्थाओं को सभी आदेश मराठी में जारी करने का निर्देश दिया है। हाल ही में मराठी भाषा भवन का भूमि पूजन हुआ।

मराठी नेमप्लेट(नाम फलक) को लेकर सरकार ने नाम फलक मराठी बनाने के लिए कानून बनाने का फैसला किया है। इस संबंध में एक विधेयक बजट सत्र में पेश किया गया और पारित किया गया। इसके अनुसार दुकानों और प्रतिष्ठानों को दृश्य क्षेत्र (सामने दिखने वाला हिस्सा) में मराठी नाम लिखना होगा। लेकिन कई दुकानों और प्रतिष्ठानों के नाम अभी भी अंग्रेजी में हैं।खास कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के फलक अमूमन अंग्रेजी में ही होते हैं.
कानून बने सप्ताह भर से अधिक समय बीत जाने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इसकी मुख्य वजह अधिकारियों की उदासीनता के कारण मराठी को ज्यादा महत्व नहीं मिल रहा है।

फलक के लिए नियम

1- नेमप्लेट मराठी भाषा में देवनागरी लिपि में होनी चाहिए

2- अन्य भाषाओं में भी पैनल हो सकते हैं

3- मराठी नेमप्लेट अन्य भाषाओं के समान आकार की होनी चाहिए

4- मराठी में नेमप्लेट पहले होनी चाहिए

5- शराब की दुकानों पर बड़े लोग नाम और किलों-महलों के नाम नहीं चाहिए