Published On : Fri, May 25th, 2018

वालमार्ट ईस्ट इंडिया कम्पनी का अमेरिकी रूप है – कैट

CAIT

नागपुर: कन्फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु को आज एक कड़ा पत्र भेजकर कहा है की वालमार्ट ईस्ट इंडिया कंपनी जिसने भारत को गुलाम बनाया था का ही अमेरिकी रूप है. अफ़सोस है की कुछ व्यक्तियों ने पैसा कमाने के खातिर ई कॉमर्स व्यापार का एक बड़ा हिस्सा वालमार्ट को बेच दिया. कैट ने कहा है की यदि इस मामले में प्रभु द्वारा उनको नहीं सुना गया तो उनके पास प्रधानमंत्री के दरवाजे खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा की वालमार्ट के माध्यम से एक बार फिर ईस्ट इंडिया कंपनी की कहानी दोहराई जा सकती है क्योंकि ई कॉमर्स के रास्ते से वालमार्ट देश के रिटेल बाज़ार में प्रवेश कर लग्गत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, बड़े डिस्काउंट देना आदि रास्ते अपना कर देश में अनुचित प्रतिस्पर्धा बनाएगा. दुनिया के किसी भी हिस्से से सस्ते से सस्ता माल लाकर हिंदुस्तान को डंप यार्ड बनाएगा और प्रतिस्पर्धा को समाप्त करेगा. अफ़सोस की बात ये है की ई कॉमर्स या रिटेल ट्रेड के लिए कोई पालिसी नहीं है जिससे वालमार्ट की इस प्रवृति पर रोक लगायी जा सके.

Gold Rate
18 Sept 2025
Gold 24 KT ₹ 1,09,900 /-
Gold 22 KT ₹ 1,02,200 /-
Silver/Kg ₹ 1,26,500/-
Platinum ₹ 48,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

प्रभु को भेजे पत्र में कैट ने कहा है की वालमार्ट -फ्लिपकार्ट सौदे की हर दृष्टि से गहरी जांच होनी चाहिए. आशंका है की वालमार्ट की यह डील एफडीआई पालिसी और कानूनी रास्तों को दरकिनार करते हुए ई कॉमर्स के माध्यम से देश के रिटेल बाजार में तब्दील होगी.ई कॉमर्स और रिटेल ट्रेड के लिए कोई पालिसी न होने के कारण से वालमार्ट को रिटेल बाज़ार में प्रवेश करने में सुविधा होगी. यह कोई दो कंपनियों के बीच का सौदा नहीं है बल्कि इसका बड़ा प्रभाव देश के रिटेल व्यापार और अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.

कैट ने अफ़सोस जाहिर करते हुए कहा की वाणिज्य मंत्री के कार्यालय में इस मामले में कई बार लिखने के बावजूद चर्चा की बात तो छोड़ो , मंत्रालय ने पत्र मिलने का उत्तर देना भी उचित नहीं समझा. देश के व्यापारियों के प्रति मंत्रालय का यह रूख बेहद निंदनीय है न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत की घर अवहेलना करता है. इस मामले पर व्यापारियों का पक्ष मजबूती के साथ सुना जाना चाहिए था लेकिन मंत्रालय आँख कान बंद करके बैठा है.

Advertisement
Advertisement