नागपुर (Nagpur Today Impact News): नागपुर की प्रतिष्ठित कॉलोनी धरमपेठ में सड़क पर खुलेआम शराब और हुक्का पार्टी का वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया है। नागपुर टुडे द्वारा इस खबर को उजागर किए जाने के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
वायरल वीडियो में कुछ युवक कार और बाइक के पास सड़क किनारे बैठकर शराब पीते और हुक्का पीते नजर आ रहे हैं। एक युवक गाली-गलौच करता हुआ कैमरे में कैद हुआ है, जिसमें वह धमकी देते हुए कहता है, “उसको तो मार डालना था, मैं ही मारने वाला था।” यह सब एक बड़े अस्पताल के पास, भीड़भाड़ वाले इलाके में, खुलेआम हो रहा था।
इस घटना का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि जिस समय यह सब हो रहा था, उसी समय वहां से महिलाएं और राहगीर गुजर रहे थे। गाली सुनकर कुछ महिलाएं तेज़ी से वहां से निकलती हुई दिखती हैं, जबकि कुछ लोग हैरानी से देखते रह जाते हैं। स्थानीय निवासी ने चुपचाप इस घटना का वीडियो बना लिया, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
नागपुर टुडे की इस रिपोर्ट के बाद सिताबर्डी पुलिस हरकत में आई और फुटेज में दिख रही गाड़ियों की नंबर प्लेट के आधार पर पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सय्यद इरफान सय्यद क़मर अली (35), आदित्य दिलीप कांबले (31), महादेव ईश्वर सोमकुंवर (47), मुकेश फत्तीस मारसपल्ले (45) और भुनेश्वर ईश्वर कनोजिया (32) शामिल हैं — सभी धरमपेठ के आंबेडकर नगर के निवासी हैं।
यह घटना पुलिस कमिश्नर डॉ. रविंदर सिंगल की गश्त व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है। उन्होंने सभी थानों को निर्देश दिया था कि रात में डिटेक्शन ब्रांच (DB) के साथ पैदल गश्त की जाए, लेकिन इस तरह की घटनाएं पुलिस की मौजूदगी को चुनौती देती नजर आ रही हैं।
पिछले कुछ हफ्तों से खुद पुलिस कमिश्नर शहर के संवेदनशील इलाकों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने जरीपटका के खोब्रागड़े चौक पर सड़क किनारे अवैध शराबखोरी पर छापा मारा और संबंधित थाने के प्रभारी को लापरवाही पर फटकार लगाई थी।
धरमपेठ के अलावा सिविल लाइंस, सदार, अंबाझरी, बजाज नगर और सिताबर्डी जैसे इलाकों में भी इस तरह की असामाजिक गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं, जहां युवकों के झुंड खुलेआम शराब पीते, गाली-गलौच करते और सार्वजनिक शांति में खलल डालते पाए जा रहे हैं।
हालांकि धरमपेठ की इस घटना में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन यह पूरी घटना एक गंभीर सवाल छोड़ती है — क्या नागपुर की सबसे प्रतिष्ठित कॉलोनियों में भी अब कानून का डर खत्म हो गया है?
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