Published On : Sun, May 17th, 2015

नागपुर प्रभाग क्रमांक 2 : नारी बन रहा सेहत और सम्मान में रोड़ा

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सूअरबाड़े के प्रति नागरिकों ने जतायी नाराजी

  • प्रभाग में अवैध नल कनेक्शन से उपजी कई समस्याएं
  • एक भी खेल का मैदान नहीं
  • कई इलाकों में अधूरे विकास कार्य
  • नगरसेवक गौतम पाटिल का दावा : तीन साल में किए 18 करोड़ के विकास कार्य

Suarbada of nari
नागपुर। नागरी सुविधाओं की हालत और हालात का जायजा लेने के लिए नागपुर  टुडे ने शहर के विविध प्रभागों  का दौरा करने का निश्चय किया है. इस अभियान की तहत  नागपुर टुडे की टीम प्रभाग क्रमांक 2 पहुँची. वहाँ नगर सेवक गौतम शालिकराम पाटिल की उपस्थिति में नागरिकों से संवाद किया. नागरिकों ने खुलकर अपने क्षेत्र की समस्याएं नागपुर  टुडे को बतायी. मौके पर उपस्थित नगर सेवक गौतम पाटिल ने नागरिकों की समस्याओं को सुलझाने का समुचित आश्वासन दिया. यह बात और है कि नागरिक उनके आश्वासन से बहुत आश्वस्त नहीं नजर आए.

जनसंख्या के लिहाज से नागपुर महानगर पालिका  मनपा का सबसे बड़ा प्रभाग है नारी. मनपा की प्रभाग क्रमवार सूची में  इसे दूसरा स्थान हासिल है. ज्यादातर बौद्ध मतावलंबियों के इस प्रभाग में पेयजल की दिक्कत बाकी प्रभागों के मुकाबले बेहद कम है.

खेल का मैदान नहीं
कक्षा पांचवीं में पढ़ने वाले सुजल सोनटक्के  टुडे की परिचर्चा के पहले प्रतिभागी बनें. अत्यंत ही सधे हुए अंदाज में और स्पष्ट तरीके से उन्होंने अपनी बात रखी. सुजल की अपने नगरसेवक से शिकायत है कि उन्होंने कहीं भी खेलने के लिए मैदान नहीं बनाया है. जो एक मैदान था भी  उस पर दीवार उठाकर, उसे तालाबंद कर दिया गया है. इससे उनकी उम्र के बच्चों को खेलने में दिक्कत होती है. यदि वे गली-मोहल्ले में खेलें तो घरों की टूट-फूट, बच्चों और बड़ो के चोट-चपेट का डर रहता है. तेज रफ्तार चलती गाड़िया एक अलग दिक्कत है. यदि वे बौद्ध विहार में खेलने की कोशिश करते हैं तो उन्हें वहाँ से भी  भगा दिया जाता है. वह और उनके मित्र हर शाम बैट-बॉल लेकर बस इधर से उधर मारे-मारे फिरते हैं कि कहीं जगह मिल जाए तो दो मिनट खेल लिया जाए.

उनके सवाल पर नगर सेवक गौतम पाटिल का कहना है कि जिस खेल मैदान की बात बच्चे कर रहे हैं, असल में वह मैटरनिटी होम के लिए आरक्षित शासकीय जगह है. फिलहाल वह जगह नागपुर सुधार प्रन्यास के कब्जे में है. अतिक्रमण के डर से नासुप्र ने उस मैदान की चार-दीवारी बना दी और प्रवेश द्वार पर लोहे का गेट लगाकर उस पर ताला जड़ दिया है. श्री पाटिल का कहना है कि बच्चों को खेलने के लिए धम्मप्रभा बुद्ध विहार के समक्ष एक छोटा सा मैदान उपलब्ध कराया गया है. बच्चे चाहें तो वहाँ खेल सकते हैं.

बच्चे कहते हैं कि उन्हें उस मैदान पर खेलने का मौका ही नहीं मिलता, क्योंकि उनसे बड़ी उम्र के जो लोग हैं, वे वहाँ कब्जा जमाए बैठे रहते हैं और देर शाम को बड़े लोग आ जाते हैं प्रार्थना करते, तो वे लोग बच्चों को खेलने से मना करते हैं, इस डर से कि कहीं बच्चे बुद्ध विहार का कोई नुकसान न कर दें.

बदबू से हलाकान
विश्राम नगर निवासी माया रवीन्द्र मेश्राम ने बताया कि उनके निवास स्थान के पास गटर लाइन फूटी हुई है, जिससे हर समय गंदगी सड़क पर बहती है. इस गंदगी से निकलने वाली बदबू से जीना हलाकान है. पिछले पन्द्रह साल से इस फूटी गटर लाइन के बारे में शिकायत करने पर •ाी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. नए नगर सेवक से उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने भी इस समस्या से मुँह मोड़ लिया है.

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छोटे-मोटे काम के लिए मनपा पैसा नहीं देती

फूटी गटर लाइन की समस्या संबंधी सवाल के जवाब में नगर सेवक गौतम पाटिल ने कहा कि अब महानगर पालिका प्रशासन छोटे-मोटे काम के लिए पैसा देती ही नहीं है.

मनपा प्रशासन का सख्त आदेश है कि पचास हजार रुपए से नीचे के काम की फाइल बननी ही नहीं चाहिए.  फूटी गटर लाइन की दुरुस्ती का काम बहुत हुआ तो पाँच हजार रुपए का होगा. कोई भी ठेकेदार इतनी कम राशि का ठेका लेने को तैयार नहीं.

यदि गटर लाइन और दस-पन्द्रह मोहल्लों की फूटे तो सबकी दुरुस्ती के काम का प्रस्ताव इकट्ठे मनपा प्रशासन को दिया जा सकता है. उनके इस जवाब पर जब नागपुर टुडे ने आपत्ति जताई तो नगर सेवक और उनके समर्थकों ने कहा कि क्षेत्र का कोई भी विकास काम नगर सेवक अपनी जेब से पैसे खर्च कर तो नहीं कराएगा न?

दूषित जलापूर्ति की शिकायत
महानंदा हिरकेण ने शिकायत की उनके मोहल्ले और आसपास के कई मोहल्लों में दूषित जलापूर्ति हो रही है. पीने के पानी में फूटी गटर लाइन का पानी मिल रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर नागरिकों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है. पिछले कई साल से यहाँ से यह समस्या खत्म हो चुकी थी, लेकिन अब फिर दूषित जलापूर्ति की समस्या मुँह उठाने लगी है.

इस शिकायत पर गौतम पाटिल ने कहा कि उस मोहल्ले के लोग अवैध रूप से नल का कनेक्शन लेते हैं. उन लोगों ने महानगर पालिका से नल के कनेक्शन नहीं लिए हैं, बल्कि अवैध रूप से ठेकेदार को पैसे देकर नल अपने-अपने घरों में लगा लिए है. अवैध नल कनेक्शन लेने के लिए ये लोग बस पाँच फुट नीचे प्लास्टिक की पाइप लाइन बिछाकर पर अपना कनेक्शन लगा लेते हैं. गटर लाइन भी इतनी ही गहराई में हैं.

लेकिन इस तरह के अवैध नल कनेक्शन वाले घरों की पहचान का काम चल रहा है और कोशिश की जा रही है कि ऐसे लोगों के कनेक्शन पर जुर्माना आदि लगाकर इन्हें नियमित किया जाए, फिर इन सभी कनेक्शन को हटाकर पाइप लाइन की गहराई आठ से दस फुट नीचे ले जायी जाए, ताकि उसे गटर लाइन से बहुत दूर किया जा सके.

खाली प्लाट का मुद्दा
देवीदास गायकवाड़ ने क्षेत्र में खाली पड़े प्लाटों का मुद्दा उठाया. उनका कहना था कि इन खाली प्लाटों की वजह से भी गंदगी होती है, आम तौर पर उस खाली प्लाट के इर्द-गिर्द बसे लोग अपने घरों का कूड़ा-कचरा उस खाली प्लाट में फेंकते हैं, जिससे गंदगी होती है और सूअरों की उस हिस्से में आवाजाही बढ़ जाती है. उनकी माँग थी कि महानगर पालिका प्रशासन को चाहिए कि इन खाली पड़े प्लाट के मालिकों को एक नोटिस भेजकर जल्दी से जल्दी उन प्लाटों पर भवन निर्माण करने को कहे, अथवा तय अवधि में निर्माण न किए जाने पर उन सभी प्लाट को मनपा प्रशासन जब्त करे और उनकी नीलामी करे.

इसी विषय को और अच्छी तरह से प्रस्तुत करते हुए डॉक्टर मनोहर सहारे ने कहा कि लेकिन मनपा प्रशासन इन खाली प्लाट धारकों को नोटिस तो भेजती है और यह भी कहती है कि तीन साल में निर्माण करो, वर्ना इतना दंड भरो. प्लाट धारक दंड खुशी-खुशी भर देते हैं और उस दंड की राशि को कई गुनाकर प्लाट की कीमत में जोड़ देते हैं.

असल में ये प्लाट धारक इन प्लाटों पर निर्माण करना ही नहीं चाहते, उन्हें तो बस मंहगे से मंहगे दाम में उन प्लाटों को बेचकर पैसे कमाने है.  डॉ. सहारे ने कहा  कि यदि मनपा प्रशासन चाहे तो इस अवैध विक्री के काम पर अंकुश लगा सकती है. यदि प्लाट धारक मनपा की नोटिस के अनुसार तीन साल में घर नहीं बनाता तो प्रशासन को चाहिए कि उससे दंड वसूलने की बजाय, उसका प्लाट जब्त करे और नीलाम करे. इससे किसी की तो घर बनाने की हसरत पूरी होगी.

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डॉ. सहारे की दलील

इस विषय के साथ ही डॉ. मनोहर सहारे ने अन्य कई विषयों पर अपनी राय रखी. उन्होंने नासुप्र द्वारा बच्चों के खेल के मैदान को तालाबंद करने के फैसले का भी विरोध किया. उन्होंने बताया कि आज से 25 साल पहले नासुप्र ने उस जमीन पर मैटरनिटी होम बनाने का ऐलान किया था और नासुप्र का यह ऐलान बस ऐलान भर रह गया. तब से लेकर अब तक परिसर में जाने कितने ही सरकारी-गैर सरकारी अस्पताल बन गए हैं.

इंदोरा चौक के समीप डॉक्टर बाबासाहब के नाम पर बड़े अस्पताल का निर्माण हो गया है. अब तो यहाँ किसी को भी मैटरनिटी होम की जरूरत नहीं है. वैसे भी आवासीय क्षेत्र से सटी हुई जमीन पर आखिर मैटरनिटी होम कैसे बनाया जा सकता है? यह तो सरासर नियमों की उपेक्षा है. एक सरकारी विभाग, दूसरे सरकारी विभाग की इस तरह धज्जियां नहीं उड़ा सकता. डॉ. सहारे ने कहा कि नगर सेवक को चाहिए कि वह नासुप्र के कब्जे से उक्त जमीन को मुक्त कराकर, उसे एक अच्छे खेल मैदान के तौर पर विकसित करे. इस पर गौतम पाटिल ने कहा कि वे इसके लिए पूरा जोर लगा रहे हैं, लेकिन मनपा में भाजपा की सरकार होने की वजह से उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती साबित हो रही है.

डॉ. सहारे ने बताया कि इस क्षेत्र के नागरिक कई बार नासुप्र सभापति, मनपा आयुक्त, महापौर, उपमहापौर से इस मैदान के लिए मिल चुके हैं, उन्हें ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन पता नहीं क्यों नागरिकों की आवाज प्रशासन सुनना ही नहीं चाह रहा है.

डॉ. सहारे ने यह भी कहा कि मनपा जो टैक्स लेती है, उसे बराबर नागरी सुविधाओं के लिए खर्च करती है या नहीं, यह देखना भी नगर सेवक का काम होता है, इस पर गौतम पाटिल ने सहमति दर्शायी. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले आठ साल से उनके प्रभाग की अंतर्गत जितनी भी सड़कें हैं, उनकी हालत खस्ता है, इस पर नगर सेवक ने कहा कि ज्यादातर अंतर्गत सड़कें वहीं खराब हैं, जहाँ पहले सोसाइटी थी और सोसाइटी के विकास से जुड़ा काम नासुप्र के जिम्मे होता है, न कि महानगर पालिका के.

इस पर डॉ. सहारे की दलील थी कि एक नगर सेवक चाहे तो अपने क्षेत्र के विकास के लिए नासुप्र से भी निधि ला सकता है.
डॉक्टर सहारे ने इस क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण पर भी चिंता जाहिर की और उन्होंने नगरसेवक के जरिए मनपा प्रशासन से इस ओर जल्दी से जल्दी ध्यान देने और इस समस्या का निराकरण करने की भी माँग की.

क्षेत्र में एक भी औद्योगिक इकाई नहीं
प्राध्यापक दहीवाले ने भी खेल के मैदान का मुद्दा उठाया. उन्होंने बताया कि नासुप्र ने उक्त मैदान को जॉगर्स पार्क बनाने के नाम पर यहाँ के नागरिकों से लिया था और फिर चारदीवारी बनाकर उस पर ताला जड़कर कहा कि यह जमीन उनकी है, नहीं लौटाते, जो करना है कर लो. प्रा. दहीवाले ने कहा कि यह नागरिकों के साथ धोखा किया गया है, उनसे छल पूर्वक उक्त मैदान लिया गया है. प्रा. दहीवाले ने इस क्षेत्र में एक भी औद्योगिक इकाई नहीं होने का हवाला देते हुए क्षेत्र में बढ़ती बेरोजगारी की ओर प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया. उनका कहना था कि पढ़े-लिखे नौजवान काम नहीं होने से हतोत्साहित हो रहे हैं. उनका मनोबल टूट रहा है और वे अपना अवसाद मिटाने नशे की लत का शिकार हो रहे हैं.

पीली नदी क्षेत्र के साथ भेदभाव
पीली नदी परिसर निवासी अंबादास मेश्राम ने कहा कि उनके क्षेत्र के विकास काम को महानगर पालिका प्रशासन जानबूझकर नजरंदाज कर रहा है. उनका कहना था कि उनके क्षेत्र में अंतर्गत सड़क बनने के काम को मंजूरी मिली, प्रस्ताव तैयार हुआ, फाइल बनी, लेकिन मनपा प्रशासन ने यह कहकर सड़क निर्माण की निविदा जारी नहीं की, कि उनके पास निधि की कमी है. श्री मेश्राम का कहना था कि सच्चाई यह है कि निधि की कमी नहीं है, बल्कि प्रशासन की नीयत में खोट है, वह पीली नदी क्षेत्र का विकास ही नहीं करना चाहती.

टैक्स सूचना फिर से घर-घर पहुँचे
श्रीकांत तिरपुड़े ने कहा कि पहले महानगर पालिका प्रशासन द्वारा घर-घर टैक्स संबंधी सूचना पहुँचाई जाती थी, लेकिन अब वह बंद कर दी गई है, जिससे नागरिकों में टैक्स को लेकर भारी असमंजस रहता है. उनकी माँग है कि इस सुविधा को फिर से बहाल किया जाए ताकि नागरिकों पर जुर्माने का अतिरिक्त बोझ जो फिलहाल प्रशासन द्वारा लादा जा रहा है, नागरिक उससे बच सकें.

एलबीटी का मुद्दा उठा
इस परिचर्चा में कमालजनक तरीके से एलबीटी का मुद्दा उठा. नगर सेवक गौतम पाटिल का कहना था कि अब महानगर पालिका छोटे-मोटे काम के लिए इसलिए पैसा नहीं देती है, क्योंकि मपना की तिजोरी खाली है. यह एलबीटी यानी लोकल बॉडी टैक्स को खत्म किए जाने की वजह से हो रहा है. इस पर जब प्रभाग क्रमांक 2 के नागरिक एच.डी.धारगावे ने कहा कि अभी तक तो एलबीटी खत्म नहीं हुई है, अभी तो सरकार ने सिर्फ घोषणा की है, तो नगर सेवक ने कहा कि एलबीटी लगाने से भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. उनकी इस परस्पर विरोधाभासी बात पर कोई और कुछ कहता, इसके पहले ही श्री धारगावे ने महाराष्ट्र राज्य के कई ऐसे शहरों का नाम लिया जैसे, हिंगोली, परभणी आदि जहाँ पर एलबीटी नहीं है, फिर भी वहाँ विकास काम जोर-शोर से हो रहा है.

इस पर गौतम पाटिल ने कहा कि एलबीटी जारी रहनी चाहिए, यह बहुजन समाज के हित में है. श्री पाटिल का कहना था कि सरकार ने एलबीटी के जरिए व्यापारियों की कर चोरी पर शिकंजा कसा है, इसलिए व्यापारियों ने बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को चुनावी चंदा देकर उसे जिताया, ताकि भाजपा एलबीटी खत्म कर सके. उन्होंने कर वसूली के पुराने तरीके को भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला बताया.

इस पर शालिक गडपायले ने कहा कि छोटे दुकानदार और व्यापारियों से बड़े व्यापारी वैट समेत सारे कर वसूलते हैं, लेकिन वे स्वयं इन करों को जमा नहीं करते हैं. जिससे छोटे व्यापारियों को अपने से बड़े व्यापारियों की करनी का फल भुगतना पड़ता है. उन्होंने भी एलबीटी का समर्थन किया.

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बीच सड़क में खंभा

विश्राम नगर की एक सड़क पर बीचो-बीच बिजली का खंभा है. नागरिकों ने माँग की है कि प्रशासन जल्दी से जल्दी इस खंभे को सड़क के एक कोने में स्थानांतरित करे. इस पर नगर सेवक का कहना था कि जब उन्होंने इस खंभे को हटाने के लिए विद्युत विभाग से संपर्क किया तो वहाँ के अधिकारियों का कहना था कि खंभे को हटाने का खर्च स्थानीय नागरिकों को वहन करना होगा. नागरिक कहते हैं कि इसका मतलब यह हुआ कि इस खंभे से आए दिन टकराकर घायल होने वाले हादसे अभी भी होते रहेंगे?

सूअरबाड़ा किसका है
बताया गया कि प्रभाग क्रमांक 2 के विश्राम नगर स्थित यह सूअरबाड़ा गौरीशंकर नक्के नामक व्यक्ति का है. बताया गया कि श्री नक्के महानगर पालिका में कार्यरत हैं. बताया जाता है कि श्री नक्के ने किसी दूसरे व्यक्ति के प्लाट पर कब्जा कर यह सूअरबाड़ा बनाया है. सूअरों को गंदगी बेहद पसंद है, इसलिए गौरीशंकर नक्के अपने सहयोगियों के साथ इस कोशिश में रहते हैं कि विश्राम नगर में गंदगी बनी रहे. उन पर नागरिकों का आरोप है कि वे गटर लाइन फोड़ते हैं ताकि गंदा और मैला पानी बहता रहे जिससे सूअरों को जीने के लिए वांछित नमी मिलती रहे.

नागरिकों की माँग है कि नगर प्रशासन को इस ओर तवज्जो देकर शीघ्र से शीघ्र इस सूअरबाड़े को नगर सीमा से बाहर किसी खुली जगह पर स्थानांतरित कराना चाहिए. इस संबंध में विशेषज्ञों से बात की गई तो उनका कहना था कि यह सूअरबाड़ा अवैध ढंग से संचालित होता है और यह महानगर पालिका में पंजीकृत नहीं है. सूअरबाड़ा अवैध होने से मनपा को उत्पन्न-कर और आयकर से वंचित रहना पड़ता है, हालांकि सूत्र बताते हैं कि सालाना आठ से दस लाख रुपए इस बाड़े के जरिए कमाने वाला गौरीशंकर नक्के, रिश्वत के दम पर स्थानीय पुलिस और नगर प्रशासन के अधिकारियों-कर्मचारियों को अपनी जेब में रखते हैं.

नागरिकों ने इस सूअरबाड़े के संबंध में जानकारी देते समय अपनी जान और माल के नुकसान की भी आशंका जताई है, क्योंकि उनके अनुसार इस सूअरबाड़े के मालिक गौरीशंकर नक्के अपराधी प्रवृत्ति के हैं और वह अपने लाखों रुपए के व्यवसाय को बचाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. एक सूत्र ने बताया कि अब तक सूअरबाड़े का विरोध करनेवाले चार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, हालांकि सूत्र के इस दावे की पुष्टि नहीं हो सकी है.

नागपुर  टुडे मानता है कि प्रत्येक व्यक्ति को व्यापार – व्यवसाय का हक है, लेकिन औरों को हैरान कर ऐसा करना आसामजिक और असंवैधानिक है. नागपुर  टुडे अपने स्तर पर गौरीशंकर नक्के से अपील करता है कि वह अपना सूअरबाड़ा आवासीय क्षेत्र से कहीं बाहर ले जाएं और उससे खूब पैसे कमाएं. संभव हो तो सूअरबाड़े का पंजीयन कराकर सरकारी खजाने में भी कुछ योगदान दें ताकि उनके इस सहयोग से नागरी सुविधाओं की आपूर्ति और बेहतरी के काम और अच्छे ढंग से हो सकें.

नगरसेवक गौतम पाटिल
बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर निर्वाचित नगरसेवक गौतम पाटिल बीते तीन साल के अपने कार्यकाल को उल्लेखनीय मानते हैं. वह कहते हैं कि उन्होंने अपने प्रभाग क्रमांक 2 के विकास में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. अभी भी कई काम बाकी हैं, जिन्हें आनेवाले दो साल में पूरा करने का आश्वासन वह देते हैं. पाटिल के अनुसार अब तक वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में 18 करोड़ रुपए के विकास काम कर चुके हैं. विकास काम के तहत सड़क निर्माण, पथदीप लगाने, साफ-सफाई, विहार निर्माण आदि के काम उन्होंने किए हैं. उनके अब तक कार्यकाल में किए गए काम के प्रति उनके प्रभाग के नागरिकों ने कमोबेश संतोष व्यक्त किए.