नागपुर: स्थानीय हिंदी समाचार पत्र नवभारत की रिपोर्ट के अनुसार, नागपुर के हिंगना उप-पंजीयक कार्यालय में संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। आयकर विभाग की इंटेलिजेंस एंड क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन (I&CI) विंग द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया कि लगभग ₹1,300 करोड़ की संपत्तियों की जानकारी जानबूझकर विभाग से छुपाई गई थी।
वर्तमान नियमों के अनुसार, ₹30 लाख से अधिक मूल्य की संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की जानकारी संबंधित उप-पंजीयक कार्यालयों को आयकर विभाग को देना अनिवार्य है। परंतु सर्वे में सामने आया कि हिंगना कार्यालय ने न सिर्फ ₹30 लाख बल्कि ₹30 करोड़ और यहां तक कि ₹100 करोड़ के सौदों की जानकारी भी विभाग को नहीं दी।
सूत्रों के अनुसार, अकेले एक सौदा ₹100 करोड़ का था जिसकी कोई सूचना विभाग को नहीं दी गई। इसके अतिरिक्त 500 से अधिक संपत्तियों की जानकारी भी छुपाई गई। कई मामलों में रजिस्ट्रेशन तयशुदा रेडी रेकनर (RR) दर से भी कम मूल्य पर किया गया, जिससे संपत्ति की वास्तविक कीमत को छुपाया गया और कर की चोरी की गई।
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब कुछ करदाताओं ने अपने आयकर रिटर्न में करोड़ों की संपत्ति की जानकारी दी, जबकि विभाग के पास ऐसी कोई सूचना नहीं थी। जब इस जानकारी को पंजीयन कार्यालय से क्रॉस-चेक किया गया, तो उसमें गंभीर विसंगतियाँ पाई गईं।
प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि अधिकारियों ने जानबूझकर जानकारी नहीं दी ताकि खरीदारों को टैक्स से राहत मिले और लेन-देन नकद में किया जा सके। आयकर विभाग को संदेह है कि कुल आंकड़ा ₹2,000 करोड़ तक पहुंच सकता है। इसके साथ ही प्रॉपर्टी डीलरों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
अब विभाग की नजर नागपुर जिले के सभी रजिस्ट्री कार्यालयों पर है। जिले में कुल 21 उप-पंजीयक कार्यालय हैं — 12 ग्रामीण क्षेत्रों में और 9 शहर में। इससे पहले भी शहर के एक अन्य रजिस्ट्री कार्यालय में सर्वे हुआ था, जिसमें कई अनियमितताएं सामने आई थीं।
इस मामले की विस्तृत जांच जारी है और आने वाले दिनों में और भी खुलासे होने की संभावना है।