शहर पुलिस विभाग में कई उप विभाग है,जहाँ “वसूली पथक” है.यह पथक विभाग पर धब्बा बन चूका है,जिससे मुक्ति दिलवाने की मांग “वसूली पथक” में शामिल कर्मियों ने राज्य के गृहमंत्री से की है.यह पढ़ कर सभी को आश्चर्य हो रहा होंगा लेकिन इस कड़वे सत्य को स्वीकार पुलिस विभाग को मुक्ति दिलवाना राज्य गृह मंत्रालय के लिए टेडी खीर साबित हो सकती है.
“वसूली पथक” के कुछ सदस्य ने न छापने के शर्त पर जानकारी दी कि नागपुर शहर पुलिस में विभिन्न विभाग है.सभी विभागों की उप विभाग भी है.उक्त सभी विभागों में उनके गुणवत्तापूर्ण योग्यता रखने वालों को तैनात किया जाता रहा है.पुलिसिया नज़र से देखे तो इन सभी विभागों में सबसे महत्वपूर्ण पथक जिसे “वसूली पथक” के नाम से जाना जाता है,इस पथक की खबर सिर्फ वसूली लेने-देने वालों को ही होती है.इस पाठक के खिलाफत करने वालों को उनके जुर्म के अनुसार सजा मिलती रही है,फिर पुलिस महकमे का हो या और कोई.
साधारणतः यातायात विभाग की “वसूली पथक” की वसूली बड़ी शांतिप्रिय होती है,अधिकांश मासिक या साप्ताहिक होती है.इनमें पुटपाथ पर धंधा करने वाले,रिक्शा सहित सभी सवारी गाड़ी,सभी मालवाहक गाड़ियां,ट्रेवल्स बस,ग्रामीण से शहर आवाजाही करने वाले सभी मालवाहक-सवारी गाड़ियों से “फिक्स्ड ” रकम वसूली जाती है.
शहर के थानों की “वसूली पथक” क्षेत्र अन्तर्गत अवैध धंधे करने वाले सहित आपराधिक गतिविधियों में लिप्त शख्स आदि से वसूली करती है,अधिकांश यह पथक थाने के “राइटर” के संपर्क में रहता है.किसी भी प्रकार के सकारात्मक-नकारात्मक अनुमति लेने आने वाले सहित शिकायतकर्ता को सहयोग बिना “चाय-पानी” खर्चे के बिना नहीं मिलती है.
वही अपराध शाखा का पथक और फिरता पथक की ‘वसूली पथक” की वसूली का अंदाजा लगाना किसी के बस की बात नहीं है.
उल्लेखनीय यह है कि पुलिस विभाग लगभग आधा दर्जन विभाग का जिम्मा उठाये हुए है.कहीँ भी कुछ अनहोनी घटना घटी कि लपेटे में पुलिस विभाग ही आती है,इसलिए पुलिस विभाग भी गिरफ्त में आये किसी को आसानी से नहीं छोड़ती है.वसूली पथक में तैनातगी के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है.वही वसूली देने वालों की डपट भी सुननी पड़ती है.सिर्फ चिल्लर वसूली के लिए ही “वसूली पथक” का इस्तेमाल होता है,बड़ी वसूली के सूत्रधार बाहरी के हाथों में चला गया है.
सामाजिक दृष्टिकोण से खुद को देखने के बाद “वसूली पथक” के कुछ सदस्यों ने गृहमंत्री सह पुलिस आयुक्त से मांग की है कि पुलिस की छबि सुधारने एवं समाज में पुलिस कर्मी को सम्मान दिलवाने के लिए “शहर पुलिस से वसूली पथक” को ख़त्म करवाये अन्यथा पुलिस विभाग से आम नागरिक का टूटता विश्वास एक समय आने पर ख़त्म हो जायेगा तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होंगी.
– राजीव रंजन कुशवाहा