नागपुर: नेता का ज़िक्र जहाँ भी हो, सामने आता है स्टार्च इस्त्री के कपडे और आलिशान गाडी में सवार एक चेहरा. लेकिन रुकिए , हमारे नागपुर में एक चेहरा ऐसा भी है,जो इस विवरण से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखता. इन जनाब का नाम है “गोपीचंद कुमरे”. ये दिन भर जनता की सेवा के बाद शाम को सैंडविच का ठेला चलाते हैं. लेकिन सैंडविच खिलाने के साथ साथ वों नागपुर महापालिका में भाजपा नगरसेवक के रूप में भी कार्यरत हैं.
जी हाँ आपने सही पढ़ा, सिर्फ बारहवीं कक्षा तक पढ़े हुए गोपीचंद उत्तर नागपुर के प्रभाग ३ से भाजपा की सीट पे चुने गए हैं.हालांकी पिछली बार वो अपक्ष लड़ते हुए चुनकर आये थे. दिन भर राजनीती व् अपने प्रभाग के काम करने के बाद श्याम को ठीक ५ बजे वो सैंडविच के ठेले पर पहुँच जाते जाते हैं.
गोपीचंद को राजनीती के लिए जरुरी राशि उन्हें सैंडविच के ठेले से प्राप्त हो जाती है. उनका कार्यालय भी उनके घर में ही है. सैंडविच के उद्यम के अलावा उन्होंने अपने वार्ड और प्रभाग में भी कई विकास के काम अंजाम दिया है. चाहे वो नाला-गहराई का काम हो, सीमेंट के रस्ते हो या फिर साफ़सफ़ाई…..वार्ड एकदम चकाचक है.
कोई व्यक्ति जब नगरसेवक बन जाता है या राजनीती में आता है तब उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाता है. नगरसेवक के कपड़ों पर एक शिकन तक नहीं आती. साथ ही आलिशान घर, आलिशान गाडी और न जाने कितने गुना धन-संपत्ति बढ़ती है, इसका अंदाजा न लगाएं तो बेहतर. लेकिन ऐसी भ्रष्ट और मैली राजनीती के दलदल में भी अगर कुछ ‘कमल’ खिलते हैं, तो वें निश्चित रूप से प्रशंसा के पात्र हैं.