Published On : Tue, Aug 28th, 2018

आरटीआई से सार्वजनिक हुए सम्पत्ति कर के बड़े बकायेदार

नागपुर:मनपा इन दिनों कड़की में गुजर रही है. वित्तीय व्यवस्था संभालने वाली सक्षम अधिकारी का भी तबादला कर दिया गया, लेकिन आय वृद्धि को लेकर सम्पत्ति कर विभाग में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ. आरटीआई के तहत सभी मुद्दों की मांगी गई जानकारी देने में सम्पत्ति कर विभाग मुकर गई लेकिन दी गई जानकारी के अनुसार शहर में सम्पत्ति कर के करोड़ों में बकायेदार हैं. इनसे बकाया वसूली के बजाय सैकड़ों में बकायेदार द्वारा नियमित कर न चुकाने पर उनकी सम्पत्ति नीलामी पर चढ़ा सम्पत्ति कर विभाग खुद की पीठ थपथपा रहा है.

मनपा सम्पत्ति कर विभाग ने शहर के दस ज़ोन के सबसे बड़े २५ बकायेदारों की सूची दी है. इस सूची के अनुसार मनपा सम्पत्ति कर विभाग के सबसे बड़े बकायेदार एन कुमार की मेसर्स इंडो पैसिफिक सॉफ्टवेयर एंड एंटटेनमेंट लिमिटेड पर २२ करोड़ ७३ लाख ३० हजार १० रुपए का बकाया है. इसी समूह के मेसर्स एन कुमार प्रोजेक्ट्स एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर ७ करोड़ ३० लाख ७ हजार ४०९ रुपए बकाया है. इसके अलावा इंप्रेस सिटी परिसर के किरायेदार पैनटलून पर २ करोड़ ७४ लाख ३ हजार ५३५, बिग बाज़ार पर १ करोड़ ७१ लाख १८ हजार ९५ रुपए सह एम्प्रेस माल के निर्माता पर १ करोड़ ११ लाख ९८ हजार ९८२ रुपए बकाया है. विभागीय क्रीड़ा संकुल मनकापुर पर २ करोड़ ९५ लाख ८८ हजार ९७१, नागपुर सुधार प्रन्यास के हॉटमिक्स प्लांट पर २९ लाख ५७ हजार ३०१, एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प पारडी पर ८६ लाख ४५ हजार १७६ रुपए बकाया है.

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याद रहे कि सम्पत्ति कर विभाग से सभी ज़ोन के १० बड़े सम्पत्ति कर बकायेदारों की सूची की मांग की गई थी. इसके अलावा चुंगी और एलबिटी के बकायेदार खास कर जिनकी जुर्माना और सेटेलमेंट हो चुकी है,वैसे मामलों की जानकारी मांगी गई थी, जिसे देने में आनाकानी की जा रही है. सम्पत्ति कर कम करवाने में पूर्व पदाधिकारी सक्रिय होने की पुख्ता खबर मिली है.

चुंगी के दौरान जप्त माल की समय पर बिक्री या नीलामी न करने पर आज उसकी कीमत कबाड़ के मूल्य के बराबरी हो गई. जिसके जिम्मेदार सम्पत्ति कर विभाग को ठहराया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

सम्पत्ति कर विभाग को बारंबार जानकारी दी गई कि शहर के शैक्षणिक संस्थानों के भीतर चल रहे नेसकैफे जैसे कैफेटेरिया आदि( रामदेव बाबा इंजीनियरिंग कॉलेज, वी एन आई टी,एल ए डी टॉप व शंकर नगर ) से महाविद्यालय प्रबंधन सालाना लाखों में किराया वसूल रहा लेकिन मनपा उनसे कामर्शियल कर वसूलने के मामले में वर्षों से तरह तरह के बहाने बना रही है.

मनपा सम्पत्ति कर विभाग टैक्स न भरने वालों तक पहुंचने के बजाय नियमित सम्पत्ति कर भरने वालों पर गलत सलत नए कर लाध कर अन्याय कर रही है. ज़ोन में उचित सुविधा न होने के कारण नियमित कर भरने वाले लौट के दोबारा नहीं आते है.

सम्पत्ति कर विभाग बिल्डरों पर काफी मेहरबान है. शहर में कई बिल्डर ऐसे है, जिनके अधिकांश फ्लैट धारक कर नहीं भरते हैं. इनकी जानकारी सम्पत्ति कर विभाग को होने के बाद भी नजरअंदाज किया जाने से मनपा कड़की में आई है.

सम्पत्ति कर विभाग को बारंबार जानकारी दी गई कि शहर के शैक्षणिक संस्थानों के भीतर चल रहे नेसकैफे जैसे कैफेटेरिया आदि( रामदेव बाबा इंजीनियरिंग कॉलेज, वी एन आई टी,एल ए डी टॉप व शंकर नगर ) से महाविद्यालय प्रबंधन सालाना लाखों में किराया वसूल रहा लेकिन मनपा उनसे कामर्शियल कर वसूलने के मामले में वर्षों से तरह तरह के बहाने बना रही है।

मनपा सम्पत्ति कर विभाग टैक्स न भरने वालों तक पहुंचने के बजाय नियमित सम्पत्ति कर भरने वालों पर गलत सलत नए कर लाध कर अन्याय कर रही। ज़ोन में उचित सुविधा न होने के कारण नियमित कर भरने वाले लौट के दोबारा नहीं आते है।

सम्पत्ति कर विभाग बिल्डरों पर काफी मेहरबान है,शहर में कई बिल्डर ऐसे है,जिनके अधिकांश फ्लैट धारक कर नहीं भरते है। इनकी जानकारी सम्पत्ति कर विभाग को होने के बाद भी नजरअंदाज किया जाने से मनपा कड़की में आई हैं।

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