गांधीसागर तालाब के कृत्रिम टैंक के लीकेज अब तक नहीं किए गए दुरुस्त
नागपुर : पिछले वर्ष गांधीसागर तालाब के पास ही गणेश विसर्जन करने के लिए कृत्रिम विसर्जन टैंक बनाया गया था. जिसकी लागत करीब 95 लाख रुपए थी. यह टैंक इसलिए बनाया गया था की मूर्तियों के विसर्जन से गांधीसागर तालाब गंदा न हो. लेकिन पिछले वर्ष ही टैंक में कई लीकेज देखे गए थे जिसके बाद इसको रिपेयर किया गया था. खासबात यह है कि पिछले वर्ष के गणेश विसर्जन के बाद से कोई भी मनपा के अधिकारियों या पदाधिकारियो ने इस कृत्रिम टैंक की देखरेख या सुध नहीं ली. जिसके कारण एक बार फिर मनपा के इस टैंक में लीकेज हो चुके है.
पिछले वर्ष भी समय पर ही टैंक को शुरू किया गया था. अभी कुछ ही दिनों में गणेश चतुर्थी की शुरुवात होगी. जिसमे छोटी मूर्तियों को इस टैंक में विसर्जित किया जाएगा. लेकिन अब तक इसकी मरम्मत की शुरुवात नहीं की गई है. अब ऐसे में यह सवाल यह उठता है कि मनपा की ओर से अब तक कृत्रिम टैंक के लीकेज का कार्य क्यों पूरा नहीं किया गया. इस टैंक के बनने का भी कई लोगों ने विरोध भी किया था.
कई संस्थाओ का कहना था की टैंक बनने से इसका पानी तालाब में जाएगा, जिससे और भी प्रदुषण फैलेगा. बनने से पहले ही इस विसर्जन टैंक को लेकर मनपा के कई वरिष्ठ अधिकारी अपनी नाराजगी जता चुके थे. लेकिन बावजूद इसके 2016 में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. तालाब के अंदर विसर्जन टैंक का भी कई सामाजिक संस्थाओ ने विरोध किया था, बावजूद इसके यह बनाया गया है. लेकिन अब इसकी देखरेख में मनपा कम पड़ती हुई दिखाई दे रही है.
इस बारे में मनपा के इंजीनियर मोहम्मद इजराइल से बात की गई तो उन्होंने बताया की टैंक को तालाब की तरफ से नहीं दूसरी तरफ से लीकेज है. जिसको दुरुस्त करने का कार्य गणेश विसर्जन से पूर्व कर लिया जाएगा. टैंक में कुछ जगहों पर पानी दिख रहा है. छोटे लीकेज है. इस लीकेज से कोई ज्यादा समस्या नहीं है. ग्राउंड फ्लोर को भी चेक किया गया है. सभी लीकेज ठीक किए जाएंगे.
ग्रीन विजिल संस्था के संस्थापक कौस्तुभ चटर्जी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा की टैंक की दीवारों पर शैवाल लग चुकी है. अभी भी दीवारों पर पानी आ रहा है. फ्लोर अभी तक चेक नहीं किया गया है. अभी इसको दुरुस्त करने की जरुरत है. गांधीसागर को बचाने के उद्देश्य से यह टंकी अच्छी है. मगर इसको लीकेज प्रूफ बनाना अति आवश्यक है. चटर्जी ने आश्चर्य जताया कि पिछले गणपति विसर्जन के बाद किसी भी मनपा के अधिकारी ने टंकी को मुड़कर भी नहीं देखा है.