Published On : Tue, Oct 23rd, 2018

जरूरत ५०० करोड़ की मिल रहा १५० करोड़!

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मनपा में कर्मचारियों की दीपावली काली होने का खतरा

नागपुर : नागपुर महानगरपालिका की कड़की से वाक़िफ़ हैं. ऐसे में मनपा से जुड़े विकासकार्य के ठेकेदारों का भुगतान, कर्मियों का वेतन, सेवानिवृत्तों का पेंशन सहित केंद्र-राज्य सरकार की योजनाओं के तहत शहर में हो रहे विकासकार्य में मनपा की हिस्सेदारी आदि उस पर भारी पड़ रहा है. जिससे निपटने के लिए राज्य सरकार के साथ मनपा प्रशासन के हर जगह से पसीने छूट रहे हैं. इसके साथ ही दशहरा सूखे में गया, अब दीपावली भी काली होती नजर आ रही.

आज की वर्तमान सूरत में मनपा को पटरी पर लाने के लिए कम से कम ५०० करोड़ की जरूरत है. १५० करोड़ का विशेष अनुदान मनपा को देने के प्रस्ताव को हरी झंडी मिली जरूर, लेकिन यह मात्र ‘ऊंठ के मुँह में जीरा’ जैसा साबित हो रहा है.

ज्ञात हो कि मनपा के कर्मियों का मासिक वेतन,त्यौहार हेतु अग्रिम राशि,बोनस,वर्षों से बकाया भुगतान सहित सेवानिवृत्तों को दिया जाने वाली एकमुश्त जमा राशि,नियमित पेंशन के अलावा मनपा में सेवा देने वाले अमूमन ठेकेदारों का मार्च २०१८ से भुगतान बकाया है. मनपा के कुछ विभाग का निजीकरण गया जैसे जलापूर्ति,संपत्ति कर,बिजली,स्वास्थ्य,पीआर एजेंसी आदि विभाग के मासिक सेवाओं का भुगतान करोड़ों में हैं. शहर में शुरू केंद्र-राज्य सरकार के परियोजनाओं में मनपा भागीदारी (करोड़ों में) में हैं.उक्त बकाया का क्रम एक साल पूर्व से शुरू हुआ,आज विकराल रूप ले चूका है.

उल्लेखनीय यह है कि मनपा का प्रत्येक वर्ष का वार्षिक बजट पिछले एक दशक से पहले से प्रति वर्ष बिना आय की परिस्थिति की समीक्षा किये भर-भक्कम राशि का बजट पेश किया जाता रहा.इस वर्ष भी पेश किया गया,जो की गले की हड्डी बन गई. एक ओर सभी कोषों की राशि ख़त्म हो चुकी है, दूसरी ओर टेंडर व कार्यादेश जारी न होने से पक्ष-विपक्ष सकते में है.

उक्त सम्पूर्ण देनदारी लगभग ५०० करोड़ पार की है, जिसमें सिर्फ ठेकेदारों का बकाया आधा बतलाया जा रहा है. इस दौरान पिछले डेढ़ सप्ताह से ठेकदारों का आंदोलन चरम सीमा पर पहुँच चुका है.

मनपा खजाने की स्थिति १५० करोड़ के विशेष अनुदान के बाद लगभग २५० करोड़ के आसपास हो जाएगी. इस राशि से बकायेदारों का समान वितरण के बजाय बंदरबांट पर जोर रहेगा. अर्थात किसी को कुछ नहीं तो किसी को गले तक भुगतान का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा. शंका तो यह भी है कि ५-५ लाख तक सभी को त्यौहार के पर तथा ज्यादा से ज्यादा ठेकेदारों को मार्च-अप्रैल के बिल की राशि दी जा सकती है. जिसे उम्मीद और जरूरत के अनुसार राशि न मिली तो उसकी दीपावली तो काली होना तय है.