नागपुर: शहर में नई इमारतों के निर्माण के लिए राज्य सरकार से मेट्रो की इजाज़त को बंधनकारक किया है। शाषन के इस आदेश पर उठे विवाद के बाद मेट्रो ने कंसल्टेंट नियुक्त करने का फैसला किया है। आरटीआई में माँगी गयी जानकारी का जवाब देते हुए मेट्रो की तरफ से कहाँ गया है की वह इस आदेश की बारीकियों का अध्ययन करने एक तकनीकी कंसल्टेंट की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। इस आदेश पर अमल प्राप्त सलाह के आधार पर किया जायेगा।
9 जून 2017 को राज्य के नगर विकास विभाग द्वारा निकाले गए जीआर में शहर में नई ईमारत के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली तकनीक का मेट्रो द्वारा मंजूरी लेना बंधनकारक किया गया है। इस जीआर के अनुसार जिस रूट में मेट्रो का संचालन होगा वहाँ 66 फिट तक की दूरी पर कंपन होगा। इसीलिए एहतियात के तौर पर नए सिरे से किये जाने वाले निर्माण की सुरक्षा को देखते हुए मेट्रो से सलाह और उसकी इजाज़त ली जाए।
इस आदेश के सार्वजनिक होने के बाद शहर की वर्षो पुरानी ईमारतों की सुरक्षा की चर्चा होने लगी। सवाल उठा की जब सरकार खुद ख़तरे को भांपते हुए नई ईमारतों का निर्माण सहूलियत के साथ करने की ताकीद दे रही है। लेकिन जो ईमारते वर्षो पुरानी है उनका क्या होगा ? इस पर सफ़ाई देते हुए एनएमआरसीएल ( नागपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ) की तरफ से साफ़ किया गया कि यह आदेश मेट्रो रूट पर ज़मीन के अंदर किये गए निर्माण कार्य की सुरक्षा को ध्यान में ऱखकर दिया गया है। देश भर में जहाँ भी मेट्रो परियोजना शुरू है उन राज्यों की सरकारों ने भी ऐसा ही आदेश निकाला है। मेट्रो के संचालन से किसी भी ईमारत को ख़तरा नहीं होता है।
जब ईमारते सुरक्षित है तो कंसल्टेंट क्यूँ
मेट्रो की तरफ से शहर की किसी भी ईमारत को कोई ख़तरा न होने की बात कही गयी है बावजूद इसके सलाह के लिया कंसल्टेंट की सलाह क्यूँ ली जा रही है ? इससे भी सवाल उठता है। हालाँकि मेट्रो का कहना है की वह इस आदेश को किस तरह लागू करे इस पर काम करने के लिए सहायता एकत्रित कर रही है।