नागपुर: संतरानगरी के सार्वजानिक जीवन से यदि वर्ष 2016 के लिए शिखर पुरुष का चुनाव करना हो तो केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी के आगे शेष सब या तो धूमिल नजर आते हैं या फिर उनके कद्दावर व्यक्तित्व के आगे फीके।
पिछले कुछ वर्ष नागपुर के लिहाज से बस विवादों के नाम रहे हैं और इन विवादों और अपवादों के झझावातों से डटकर मुकाबला कर कोई व्यक्तित्व इधर के वर्षों में नागपुर के क्षितिज पर उभरा है तो वह नितिन गड़करी ही हैं।
वैसे केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी को सिर्फ नागपुर का शिखर पुरुष कहना उसी तरह से है जैसे विशालकाय बरगद के वृक्ष को गमले में समेटने की कोशिश करना, लेकिन यहाँ यह मसला नहीं है।
यह सच है कि नितिन गड़करी को बस नागपुर का या विदर्भ का या महाराष्ट्र का भर मानना उनके कद के व्यक्ति के साथ नाइंसाफी है, लेकिन यह भी सच है कि नागपुर का नाम लेते ही श्री गड़करी का नाम आप उसमें जोड़ेंगे ही, चाहें आप यह काम स्नेह और सम्मान से करें अथवा उनके आलोचक के तौर पर करें, लेकिन श्री गड़करी अब नागपुर की पहचान बन चुके हैं।
हम नागपुर के लोग जानते हैं कि अतीत में भी नितिन गड़करी को राष्ट्रीय परिदृश्य पर उभरने से रोकने के कई नाकामयाब प्रयास हुए हैं। बतौर अध्यक्ष जब वह अपना दूसरा कार्यकाल शुरू ही करने जा रहे थे कि उनकी छवि को दागदार बनाने की कोशिश हुई। उसके बाद दो कद्दावर भाजपा नेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक पदाधिकारी द्वारा उन पर इतना दबाव बनाया गया कि उन्हें कुछ दिनों तक घर बैठना पड़ गया। उस वक़्त उनके राजनीतिक जीवन के अवसान के कयास तक लगाए जाने लगे। क्योंकि अपने राजनीतिक जीवन के आरंभिक दिनों में युवा नितिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पोस्टर चिपकाने और पैम्फलेट बांटने का काम करते थे, इसलिए उस समय पार्टी के ही कई नेताओं ने तंज़ किया कि ”पोस्टर चिपकाने वाले को लाए थे नागपुर से पार्टी का अध्यक्ष बनाने! अब वह खुद ही पोस्टर बन गया!”
राष्ट्रीय मीडिया ने यहाँ तक दावा कर दिया कि आरएसएस में उनके संरक्षक भी उनसे खफा हो गए हैं।
लेकिन नितिन गड़करी उस फ़ीनिक्स पक्षी की तरह हैं जो अपनी ही राख से उठ खड़ा होता है, हर बार और ज्यादा ताकतवर स्वरूप में, हर बार और ज्यादा अपराजेय।
‘पराजित एवं दागदार’ की छवि से उबरना और पिछले दो साल में बकौल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मंत्री’ के तौर पर अपनी पहचान बनाना आसान नहीं था, पर यह काम नितिन गड़करी के ही बूते का था भी।
प्रधानमंत्री मोदी का यह आकलन है कि जो परियोजनाएं कागजों में कैद होकर दशकों तक मेज पर धूल खाती पड़ी थीं, नितिन गड़करी ने महज 15 महीने में उन परियोजनाओं को धरातल पर साकार कर दिखाया।
जब मोदी मंत्रिमण्डल का बंटवारा हुआ तो अनेक गड़करी समर्थक मायूस हुए कि श्री गड़करी को गृह, वित्त एवं रक्षा मंत्रालय की बजाय गैर-महत्वपूर्ण परिवहन एवं जहाजरानी मंत्रालय का भार सौंपा गया। लेकिन अपने प्रदर्शन से नितिन गड़करी ने अपने मंत्रालय को मोदी मंत्रिमण्डल का सर्वाधिक सक्रिय मंत्रालय बना दिया।
एक टेलीविजन साक्षात्कार में जब उनसे सकारात्मक रवैये के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मैं प्रशंसा और आलोचना से निरापद रहता हूँ और कभी ‘अपनी मार्केटिंग’ के बारे में नहीं सोचता हूँ, मेरे काम स्वयं बोलते हैं।”
1995-1999 में जब महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा की सरकार थी, तब बतौर लोकनिर्माण मंत्री नितिन गड़करी ने कई उल्लेखनीय कार्य किए। जिनमें मुंबई के यातायात को सुचारु करने के लिए 54 उड़ानपुलों का निर्माण, वाशी से दक्षिण मुंबई की दूरी को कई घंटों से घटाकर बस 30 मिनट का करना, नितिन गड़करी के प्रयासों की मुम्बईवासियों ने दिल से दाद देते हुए उन्हें ‘हाइवे-पुरुष’ घोषित कर दिया था।
ये नितिन गडकरी ही थे, जिन्होंने मुम्बई-पुणे हाइवे का स्वप्न देखा और पब्लिक-प्राइवेट की भागीदारी से उसे साकार करने का मार्ग प्रशस्त किया।
नागपुर से दूसरे भाजपा सांसद के रूप में दिल्ली पहुँचने के बाद श्री गड़करी ने नागपुर के चहुँमुखी विकास के लिए अपना सारा जोर लगा दिया है। देश की पहली ‘चौबीसों घंटे-सातों दिन’ पेयजल योजना हो या फिर मिहान को कोमा से बाहर निकालना हो या कि मेट्रो रेल, आप हर कहीं नितिन गड़करी की सक्रिय भूमिका और सहभागिता देख सकते हैं।
उनके कई फैसलों जैसे मिहान की भूमि सस्ते दामों में बाबा रामदेव के पतंजलि को देना या फिर पानी का निजीकरण करने से, असहमत होते हुए भी इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि श्री गड़करी ने सदैव नागपुर के हित को ही सर्वोपरि और प्रभावी माना है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भविष्य में यदि नागपुर की एक स्मार्ट सिटी के तौर पर पहचान बनेगी तो सिर्फ और सिर्फ नितिन गड़करी की वजह से ही।
बताया जाता है कि हाल ही संपन्न स्मार्ट सिटी कॉन्क्लेव में नितिन गड़करी ने स्थानीय भाजपा नेताओं और पार्षदों को जमकर फटकार लगाई कि तीन पंचवर्षीय तक सत्ता भोगने के बावजूद शहर नागपुर स्मार्ट सिटी नहीं बनाया जा सका। उन्होंने साप्ताहिक सब्जी बाजारों का उदाहरण देते हुए भाजपा के शहर पदाधिकारियों, नेताओं और पार्षदों से पूछा, ‘इन बाजारों के ठीक ढंग से लगाए जाने की अदना सी व्यवस्था नहीं हुई आप लोगों से?” इसके पहले शहर के बिल्डरों को खरी-खोटी सुनाते हुए उन्होंने कहा था कि शहर के मध्यम वर्ग को आशियाने की सुविधा से वंचित रखने के लिए महंगे दाम रखे गए हैं।
यदि नागपुर में कुछ किया जाना है तो नितिन गड़करी के माध्यम से ही उसका साकार होना संभव है। महाराष्ट्र की देवेन्द्र फड़णवीस सरकार में विदर्भ के ज्यादातर मंत्री अपने पद और राजनीतिक जीवन के लिए श्री गड़करी के प्रति ही अनुग्रह रखते हैं। श्री गड़करी भाजपा ही नहीं स्थानीय राजनीति के हर चेहरे के पसंदीदा और आदर्श व्यक्ति हैं।
जिन कामों के निकट भविष्य में होने की संभावना नहीं दिखाई देती, उसके लिए भी नितिन गड़करी की ओर ही देखा जाता है, जैसे पृथक विदर्भ का मसला!
ऐसा नहीं कि नागपुर ने अतीत में कद्दावर व्यक्तित्व देश और राज्य को नहीं दिए, लेकिन नितिन गड़करी उन सभी से इस मामले में अलग है कि दिल्ली या मुंबई की आबोहवा ने उनके व्यक्तित्व को लेशमात्र भी प्रभावित नहीं किया है।
बाज़ प्रभावों और लकदक परिदृश्यों के बावजूद नितिन गड़करी हमेशा अपने ‘वाड़े वाले गड़करी जी’ ही बने रहेंगे, इसमें जरा भी संदेह नहीं।
नागपुर देश का ह्रदय स्थल है और नितिन गड़करी नागपुर के हर ह्रदय में बसे हैं और यह नागपुर ही तो है जहाँ उनका भी दिल बसता है!
हां, नितिन गड़करी आगे बढ़िए और बना दीजिए नागपुर को अग्रणी शहर. यह काम आप और सिर्फ आप ही कर सकते हैं।
— सुनीता मुदलियार (सहायक संपादक)