Published On : Sat, Sep 2nd, 2017

पैदल चलने से बनेगी बिजली

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नागपुर: अगर कोई कहे कि आपके चलने से बिजली बनेगी तो यह बात थोड़ी अटपटी लग सकती है, लेकिन अब आप ऐसा कर पाएंगे. नागपुर के इंजीनियरिंग छात्रों ने फुट स्टेप पावर जनरेशन टेक्नालॉजी की एक नई तकनीक विकसित की है। जिसके तहत चलने, टहलने और दौड़ने जैसे ह्यूमन मोशन से पैदा हुई एनर्जी को एकत्रित किया जाता है. जिसका प्रयोग स्ट्रीट लाइट, खेतों में बिजली उपकरणों को चलाने तथा इलेक्ट्रिक डिवाइस को चार्ज करने में किया जा सकता है. रिसर्चर और स्टूडेंट सौम्यजीत ठाकुर का कहना है कि इस तकनीक के प्रचलन में आने के बाद बिजली संकट कम हो सकता है. बस आपको थोड़ी जॉगिंग या चहल कदमी करनी होगी. इसको सात विद्यार्थी परेश तायवाड़े, सौरभ नागथाने, मयूर निखर, निखिल मालवे, स्वप्निल आष्टनकर, गौरव यावले ने मिलकर बनाया है.

ऐसे काम करेगी तकनीक
सौम्यजीत के मुताबिक इस तकनीक के तहत जिन स्थानों पर ज्यादा से ज्यादा लोग पैदल चलते हैं, वहां एक पावर हंप लगाया जाएगा. यह हंप आप के चलने-फिरने से पैदा हुई एनर्जी एकत्रित कर लेगा. इसकी बैटरी चार्ज होने के बाद एक पावर बैंक का काम करेगी. जिसका प्रयोग बाद में स्ट्रीट लाइट, टैफिक लाइट, खेतों में बिजली उपकरणों को चलाने तथा इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस को चार्ज करने में किया जा सकता है.


यहां हो सकता है इस्तेमाल

रिसर्च में यह बात सामने आई है कि एक 160 कदम पैदल चलने से करीब 11.2 वॉट तक बिजली पैदा की सकती है। जबकि एक स्मार्टफोन चार्ज होने के लिए सिर्फ 2 वॉट की बिजली का उपयोग करता है। रेलवे प्लेटफार्म, मॉल, ऊंचाई पर स्थित मंदिर, मेट्रो स्टेशन, ऊंची इमारतें, गार्डन में इसका इस्तेमाल हो सकता है.

ये होगा फायदा
किसानों के लिए यह रिसर्च काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. गांवों के लिए यह तकनीक बेहद उपयोगी है. बहुत से गांवों में अभी तक बिजली नहीं पहुंच सकी है. यहां यदि इस तकनीक का सही इस्तेमाल किया जाए तो लोगों की एनर्जी का उनकी बेहतरी के लिए उपयोग किया जा सकता है. भारतीय सैनिकों को इस तकनीक के प्रयोग के बाद अपने रेडियो, जीपीएस और नाइट विजन गॉगल्स के लिए भारी बैटरी कैरी करने की जरूरत नहीं होगी. इस तकनीक से आम आदमी को गर्मी के दिनों में बिजली संकट से राहत मिल सकती है. बिजली भी थोड़ी बहुत सस्ती हो सकती है.


ऐसे बनेगी बिजली

रेलवे प्लेटफार्म, मॉल, आदि स्थानों पर पावर हंप लगाना होगा. इस हंप में एक प्रेशर बार होगा, जिसमें स्प्रिंग लगे होंगे. पैदल चलने से पड़ने वाले दबाव के चलते स्प्रिंग नीचे जाएगा. इससे जुड़ा डायनामो कायनेटिक एनर्जी को इलेक्टिक एनर्जी में बदलेगा. यहां बैटरी इलेक्टिक एनर्जी को स्टोर करेगी. जो बाद में एक पावर बैंक का काम करेगी. बैटरी से सिंगल फेस इनवरटर भी जुड़ा रहेगा, जिससे रात में 230 वॉट बिजली मिलती रहेगी. सोलर पैनल के माध्यम से सोलर एनर्जी भी इलेक्टिक एनर्जी में तब्दील हो जाएगी.