Published On : Mon, Oct 15th, 2018

डिजिटल इंडिया का दर्द-एक बुजुर्ग की ज़ुबानी

Advertisement

72 वर्षीय बुजुर्ग बी सी तायवाड़े आयपीपीबी खाता खुलवाना चाहते है

नागपुर – कभी-कभी डिजिटल व्यवस्था भारत जैसे देश में दुविधा में पड़ने जैसा भी हालत पैदा कर देती है। सिस्टम को बेहतर करने के तर्क के साथ सरकारें कई तकनीकी प्रयोग कर गुजरती है लेकिन ज़मीन में कुछ लोगों को इन बदलावों की कीमत भी चुकानी पड़ती है। वर्त्तमान सरकार तो डिजिटल इंडिया का सपना बुनते हुए अपनी सारी व्यवस्था को ऑनलाइन और कंप्यूटर पर आधारित बनाना चाहती है। सोच बेहतर है मगर क्या वाकई ज़मीन पर सब कुछ सरकार की सोच के जैसा ही हो रहा है। डिजिटल इंडिया स्किम के तहत पोस्ट ऑफिस विभाग भी डिजिटल हो रहा है। डिजिटल दौर में सरकार का सिस्टम भी डिजिटल सेवा उपलब्ध करा रहा है। सितंबर के महीने में प्रधानमंत्री ने डाक विभाग की महत्वकांक्षी योजना आयपीपीबी ( इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ) योजना का शुभारंभ किया। नागपुर में केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने योजना को हरी झंडी दिखाई। योजना शानदार है इसमें कोई शक नहीं। जिस काम के लिए आप को बैंक या पोस्ट ऑफिस जाना पड़ता हो वो काम आपके घर बैठे-बैठे हो जाये उससे बेहतर क्या ? यानि सारी बैंकिंग सुविधा इस योजना के माध्यम से आपके घर तक पहुँच जाती है। पोस्ट ऑफिस विभाग का कर्मचारी बाकायदा आप के घर आयेगा और आपके वित्तीय कामकाज़ का निपटारा भी आपके घर पर ही हो जायेगा।

नागपुर टुडे के संवाददाता शुभम नागदेवे इसी योजना के नागपुर में हुए विकास का हाल चाल जानने सोमवार दोपहर जीपीओ चौक स्थित पोस्ट ऑफिस के मुख्यालय पहुँचे। वहाँ जानकारी लेने पर पता चला की अब तक नागपुर में आयपीपीबी के ढ़ाई हजार खाते खुले है। इन खातों का लोग इस्तेमाल भी कर रहे है। जानकारी इकठ्ठा कर जीपीओ से बाहर निकलते वक्त ऑफिस के कर्मचारी से उन्हें एक बुजुर्ग अपनी शिकायत के साथ बात करता दिखाई दिया। शुभम जब उसके पास पहुँचे। उससे उसकी शिकायत जानी तो वो भी दंग रह गए। जिस अकाउंट को खोलने के लिए पोस्ट ऑफिस जनता से अपील कर रहा है। वही ऑफिस एक बुजुर्ग का खाता खोलने में असमर्थ था।

अनंत नगर में रहने वाले 72 वर्षीय बी सी तायवाड़े लगभग हर हफ़्ते आयपीपीबी खाता खुलाने कई किलोमीटर साईकिल से जीपीओ आते है। उन्होंने संवाददाता को बताया कि वो एक रिटायर सरकारी कर्मचारी है घर के मुखिया है। उन्होने इस अकाउंट के बारे में पेपर में पढ़ा था। चलना-फिरना ज्यादा होता नहीं इसलिए अपनी सुविधा के लिए यह खाता खुलना चाहते है। लेकिन बीते दो महीने से उनके साथ टालमटोल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनकी उम्र के चलते उनकी उंगलिया घिस गई है जिससे उनक फिंगर प्रिंट खता खोलने के लिए लगी मशीन ले नहीं रही। जिस वजह से उनका खाता नहीं खुल रहा है। उन्होंने बताया कि सोमवार को उन्हें पोस्ट ऑफिस के कर्मचारियों ने नए वर्ष में आने के लिए कहाँ है। तायवाड़े का सवाल है कि सरकार के कौन से लोग ऐसी योजना बनाते है किस तरह बनाते है कि उनका खाता ही नहीं खुल रहा है जबकि वो खाता खोलने की सभी शर्तो को पूरा कर रहे है।

तायवाड़े से बात करने के बाद उनकी शिकायत कि पुष्टि करने के लिए नागपुर टुडे के संवादताता ने पोस्ट ऑफिस के कर्मचारियों के पास पहुँचे। जहाँ उन्हें बताया गया कि आयपीपीबी खाता सिर्फ ऑनलाइन खुल रहा है। मैन्युअली खाता खोलने को लेकर अब तक उनके पास कोई दिशानिर्देश नहीं आया है। तायवाड़े कि उँगलियाँ मशीन में मैच नहीं हो रही है इसलिए हम उनका खाता खोलने में असमर्थ है। इसलिए वो जबभी आते है उन्हें हमें बेरंग लौटना पड़ता है।

डिजिटल इंडिया के दौर में ऐसी दिक्कत सिर्फ बुजुर्ग तायवाड़े के साथ नहीं है। ऐसे कई लोग है जिन्हे इस तरह की तकनीक की वजह से खड़ी होने वाली समस्या का सामना करना पड़ रहा है। तायवाड़े की समस्या सिर्फ यहाँ खाता खुलाने भर की नहीं है उन्हें बीते कुछ महीने से राशन की दुकान से राशन भी नहीं मिल रहा है क्यूँकि राशन की दुकानों में सरकार ने बायोमेट्रिक सिस्टम लगा दिया है।