Published On : Thu, Jun 1st, 2017

नागपुर के जिलाधिकारी वापस जा सकते है अपने कैडर राज्य उत्तराखंड

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नागपुर:
 जिले के जिलाधिकारी सचिन कुर्वे को उनके मूल कैडर के राज्य उत्तराखंड वापस बुलाया जा सकता है। कुर्वे मुख्य रूप से उत्तराखंड कैडर के भारतीय प्रशासनिक अधिकारी है और प्रतिनियुक्ति पर इन दिनों महाराष्ट्र के अपने गृहनगर नागपुर में सेवाएं दे रहे है। उत्तराखंड में नई सरकार आने के बाद प्रशासनिक कार्यो को गति देने के लिए बीते दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने एक बैठक की इस बैठक में राज्य में आयएएस अधिकारियों की राज्य में कमी होने की बात सामने आयी। उत्तराखंड में फ़िलहाल 14 आयएएस अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर केंद्र या फिर विभिन्न राज्यों में कार्य कर रहे है। इन सभी अधिकारियो से संपर्क कर उन्हें वापस उनके कैडर के राज्य में लाने का प्रयास उत्तराखंड सरकार द्वारा किया जा सकता है।

नियम के मुताबिक कोई भी आयएएस अधिकारी सेवा के 9 वर्ष बाद 5 वर्षो के लिए प्रतिनियुक्ति पर अन्य राज्य जा सकता है। नागपुर के जिलाधिकारी सचिन कुर्वे को जिले में सेवा देते हुए 3 वर्ष हो चुके है लेकिन अब भी उनके पास दो वर्षो का समय बचा हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड सरकार प्रतिनयुक्ति पर गए अधिकारियो से संपर्क कर उनकी राय जानने का प्रयास कर रही है। अधिकारी अगर सरकार की माँग को मनाता है तब राज्य सरकार केंद्र से उन्हें वापस लाने की गुजारिश करेगा।
बतौर जिलाधिकारी सचिन कुर्वे का काम सराहनीय रहा है। उन्होंने ऐसे विषयो में रूचि दिखाकर उनका हल निकाला जिससे जनता का सीधा वास्ता पड़ता है।

सात-बार एक्स्ट्रैक्ट एटीएम और आवेदक के घर प्रमाणपत्र पहुँचाने का अभिनव उपक्रम

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अपने गृहनगर में सेवा देते हुए जिलाधिकारी ने कई ऐसे सराहनीय कार्य किये जो सीधे जनता से जुड़े हुए थे। किसानों को अपने जमीनों के सात-बारा एक्स्ट्रैक्ट के लिए सरकारी दफ़्तर के चक्कर लगाने पड़ते थे लेकिन जिलाधिकारी ने इस प्रक्रिया को सुगम बनाने का फैसला लेते हुए जिले के गाँव में ख़ास तरह की एटीएम मशीन पहुँचाकर वही दस्तावेज़ किसानों को प्रदान करने की योजना शुरू की। मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी जलयुक्त शिवार योजना का जिले में ऐसा काम कर दिखाया की खुद प्रधानमंत्री को उनके काम की सराहना करनी पड़ीं। आम दिनों में विभिन्न प्रमाणपत्रों को हासिल करने के लिए आम नागरिकों के साथ विद्यार्थियों को जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर कटाने पड़ते थे पर उन्होंने जनता को इससे निजात दिलाते हुए सीधे डाक के माध्यम से प्रमाणमात्र पहुँचाने की योजना आरंभ की।

जिलाधिकारी को प्रतिनियुक्ति से वापस उत्तराखंड राज्य बुलाए जाने की स्थिति पूरी तरह से स्पस्ट नहीं है पर अगर ऐसा होता है तो उनके द्वारा शुरू की गयी योजनाओं का संजीदगी से क्रियान्वयन पर संशय जरूर बरक़रार हो जायेगा। कुर्वे मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री नितिन गड़करी के भी पसंदीसा अफ़सर है,नागपुर इन दोनों नेताओं का और खुद जिलाधिकारी का गृहजिला होने से स्पस्ट है की उनके कार्यो में अपनी जगह के विकास का अपनापन झलकता है।

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