नागपुर: अशोक चौक फ्लायओवर विवाद, जहाँ एक आवासीय घर की बालकनी फ्लायओवर की बीम के खतरनाक करीब खड़ी है, अब केवल खराब योजना का मामला नहीं रहा। यह नागरिक प्रशासन में राजनीतिक हस्तक्षेप पर गंभीर सवाल उठाता है।
एनएचएआई बनाम एनएमसी: असफल कौन?
रिपोर्टों के अनुसार, एनएचएआई ने पहले ही नागपुर नगर निगम (एनएमसी) को इस अवैध निर्माण के बारे में सूचित किया था। अगर ऐसा था, तो एनएमसी ने कार्रवाई क्यों नहीं की? इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है, जो अब जनता की सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है?
विधायक की कथित दखलअंदाजी
नागपुर टुडे के सूत्रों के अनुसार, जब एनएमसी ने निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की, तो उस घर के परिवार ने शासक दल के एक विधायक से संपर्क किया। विधायक ने कथित तौर पर उन्हें आश्वासन दिया कि कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस दखलअंदाजी के बाद, निर्माण तोड़ने की कार्रवाई रोक दी गई, जिससे नागरिक नियमों पर राजनीतिक प्रभाव के गंभीर सवाल उठते हैं।
सवाल उठते हैं:
- विधायक अवैध बालकनी की रक्षा क्यों कर रहे थे?
- क्या राजनीतिक दबाव जनता की सुरक्षा से ज्यादा मजबूत था?
- क्या निर्वाचित प्रतिनिधियों को नागरिक नियमों को ताक पर रखने का अधिकार होना चाहिए?
क्या परिवार को जानकारी थी?
यदि घर में रहने वाले परिवार को फ्लायओवर की अलाइनमेंट की जानकारी थी — जैसा कि कई स्थानीय कहते हैं — तो उनकी बालकनी बीम लगने तक क्यों खड़ी रही? क्या उन्होंने राजनीतिक संरक्षण में यह निर्माण रखा था?
व्यापक प्रशासनिक समस्या
यह एक अलग घटना नहीं है। हाल ही में उद्घाटन किए गए आरटीओ फ्लायओवर को पहले ही दिन बंद करना पड़ा, जिससे नागपुर में एनएचएआई, एनएमसी और राजनीतिक प्रतिनिधियों के बीच खराब समन्वय का पैटर्न उजागर होता है।
आज हम जो सवाल उठाते हैं
- एनएमसी आखिर कब अशोक चौक बालकनी पर कार्रवाई करेगा?
- एनएचएआई की चेतावनी क्यों अनसुनी रही?
- राजनीतिक हस्तक्षेप ने नागरिक कार्रवाई को क्यों तय किया?
- क्या नागपुर विकास के लिए राजनीतिक दबाव का दाम चुका रहा है?
यदि इन सवालों का जवाब नहीं दिया गया, तो अशोक चौक बालकनी केवल एक संरचनात्मक विचित्रता नहीं रहेगी — यह याद रखी जाएगी कि राजनीति कैसे योजना, सुरक्षा और जवाबदेही को प्रभावित कर सकती है।
निष्कर्ष
अशोक चौक फ्लायओवर विवाद ने न केवल नागपुर में राजनीतिक हस्तक्षेप और नागरिक जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह शहर और उसके अवसंरचना परियोजनाओं की साख पर भी असर डाल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि नागपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की प्रतिष्ठा भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुई है, और जनता सोचती है, “जो नागपुर फ्लायओवर नहीं सुधार सकता, वह अन्य परियोजनाएँ कैसे बनाएगा?”
नागपुर टुडे इस मामले की पूरी तरह जांच कराने और सभी जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह करता है, ताकि राजनीतिक हितों के लिए नागरिक नियमों और जनता की सुरक्षा से समझौता न हो।









