नागपंचमी का त्योहार आज मनाया जा रहा है। सावन शुक्ल पंचमी को मनाए जाने वाले नागपंचमी के त्योहार में नागों की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। नागपंचमी मनाने की वजह यह है कि इस दिन आस्तिक मुनि ने नागों की रक्षा की थी। पंचमी तिथि पर नाग देवता की पूजा के साथ सर्पदंश के भय से मुक्ति दिलाने का आशीर्वाद मांगा जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं नागों के बारे में कुछ खास धार्मिक बातें।
माना जाता है कि सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आस्तिक मुनि ने नागों को जनमेजय के नाग यज्ञ से बचाया था। तब नागों ने आस्तिक मुनि को वचन दिया था कि जो सावन शुक्ल पंचमी तिथि पर नागों की पूजा करेगा, उसे नागों के काटने का डर नहीं होगा। इसके साथ ही नाग देवता का आशीर्वाद भी उसे मिलेगा। भविष्य पुराण में सांप के काटने को अकाल मृत्यु का दर्जा दिया गया है। माना जाता है कि जिन लोगों को सांप काटते हैं वे अगले जन्म में बिना जहर वाले सांप बनते हैं। इसलिए सांप के काटने से जान गंवाने वाले लोगों का तर्पण-श्राद्ध जरूर करना चाहिए। इससे उन्हें सर्पयोनि से जल्दी छुटकारा मिल सकता है।
भविष्य पुराण में नागों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसकी मानें तो नागिन जब अंडे देती है तो वह कई अंडे खा जाती है। जो अंडे बच जाते हैं उनसे नाग का जन्म होता है। और जन्म के बाद सांपों के अंदर जहर पनपता है। यही नहीं नागों के जहरीले दांतों और जहर का भी रहस्य है। नागों के दांतों के बारे में भविष्य पुराण कहता है कि उसके कुछ ही दांत जहर उगलते हैं और जरूरी नहीं होता है कि सांप के काटने पर मृत्यु तय ही हो। कई बार व्यक्ति जीवित भी बच जाता है।
पुराण के अनुसार, सांप के काटने से अगर काफी बड़ा घाव हो जाते माना जाता है कि उसने काफी द्वेष में काटा है। अगर एक दाढ़ का चिह्न हो जाए तो समझा जाता है कि सांप ने डर से अपनी जान बचाने के लिए काटा है। अगर सांप के काटने पर दो दाढ़ दिखाई देते हैं और घाव दिखता है तो माना जाता है कि उसने भूख के वश में आकर काटा है। वहीं अगर सांप के काटने पर तीन दाढ़ या चार दाढ़ दिखाई दें तो समझा जाता है कि उसने काल की प्रेरणा से काटा है। पुराण के मुताबिक, कुछ सांप डरपोक होते हैं और वे बहुत डरे हुए होने पर फन दिखाते हैं।