Published On : Wed, Aug 29th, 2018

जापान की मदत से होगा नाग नदी का पुनर्रुद्धार

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नागपुर: नागपुर की पहचान नाग नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने के प्रकल्प को जापान की कंपनी जायका (जापान इंटरनेशनल कॉपरेशन एजेंसी ) ने मंजूरी दे है। इस संबंध में बुधवार को कंपनी ने मेल भेजकर इसकी पुष्टि की है। यह प्रकल्प केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी का ड्रीम प्रोजेक्ट समझा जाता है। इसके लिए बीजेपी के शुरुवाती दिनों से ही वो प्रयास कर रहे थे लेकिन सफ़लता अब जाकर हाँथ लगी। इसी महीने की 23 तारीख को गड़करी ने नई दिल्ली में स्थित अपने कार्यालय में जायका कंपनी के अधिकारियों के साथ चर्चा की थी।

इस बैठक में उन्होंने इस प्रकल्प से जुडी सविस्तार जानकारी कंपनी के अधिकारियों को दी। जिसके बाद कंपनी ने इस काम में और निवेश को मंजूरी प्रदान की है। इस प्रकल्प के तहत न सिर्फ नदी को साफ़ किया जायेगा बल्कि उसके स्वरुप को भी बदला जायेगा। करार के मुताबिक इस प्रकल्प की लागत 1252.33 करोड़ रूपए है। जिसमे 85 फ़ीसदी कर्ज यानि 1064.48 रूपए जापान सरकार उपलब्ध करा कर देगी।

जबकि 15 फ़ीसदी निधि लगभग 187.84 करोड़ रूपए के व्यवस्था की जिम्मेदारी नागपुर महानगर पालिका उपलब्ध करायेगी। मनपा आर्थिक तंगी से भले ही जूझ रही हो लेकिन उसने इस प्रकल्प में निवेश को हामी दी है। इस प्रकल्प के ही साथ नदी में मिलने वाले नालों और पूर्व नागपुर में बहाने वाली पीली नदी का भी मौजूदा स्वरुप बदला जायेगा।

काम में है बड़ी चुनौतियाँ
किसी भी नदी में किसी भी तरह का काम करने के लिए उसे नोटिफाई करना पड़ेगा ,ऐसे में जाहिर है नाग में जब ये काम शुरू होगा तो उसमे अन्य नदियों की तरह ही नियम लागू होंगे। नियम कहता है की किसी भी नदी के अगल-बगल 50 मीटर तक किसी भी तरह का निर्माणकार्य नहीं किया जा सकता। ऐसे में ये नियम नाग नदी से जुड़े किसी भी प्रकल्प को शुरू करने के लिए भीलागू होगा। शहर की कई बस्तियों में नदी के सटके हजारों लोगों ने मकान बनाया हुआ है। उन्हें हटाना या विस्थापित करना भी चुनौती भरा काम होगा।

क्या होंगे काम
इस प्रकल्प के तहत एक तरह से नाग नदी को पुनर्जीवित किया जायेगा। समय के साथ न केवल नदी की गहराई कम होती गई है। बल्कि अतिक्रमण ने इसके रास्ते को भी संकरा कर दिया है। इस प्रकल्प के तहत नदी की गहराई और चौड़ाई बढ़ाई जायेगी। साथ ही वर्तमान में बह रहे दूषित जल को शुद्ध भी किया जायेगा।

नदी के उद्गम स्थल को लेकर अब भी है विवाद
नाग नदी के उद्गम स्थल को लेकर शहर के पर्यवारण कार्यकर्ता और मनपा में विवाद भी है। पर्यवरणवादी कौस्तुभ चैटर्जी मुताबिक नाग नदी का सच में उद्गम स्थल वाड़ी स्थित दाभा गाँव में है। जबकि मनपा की एन्वारमेंट स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक ये स्थान अंबाझरी तालाब का ओवर फ्लो पॉइंट है। ये पहली बार सुनाई दे रहा है की किसी नदी का उद्गम स्थल किसी तालाब से है।

बावजूद विवाद के चटर्जी मानते है की यह प्रकल्प नाग नदी की भलाई ही करेगा और उसे पुनर्जीवित करेगा। इस काम में तकनीकि पहलुओं से अवगत कराते हुए उनका कहना है की नदी के कुल दायरे में बीच-बीच में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाना आवश्यक है। अगर नदी के अंत में ये काम होगा तो कोई अर्थ नहीं निकालता क्यूँकि नदी बीच में ही सीवर के पानी से गंदी हो रही है। 1 से 5 एमएलडी के कई ट्रीटमेंट प्लांट बनाने से ये दिक्कत दूर हो जाएगी।

खुद मनपा मानती है नाग नदी है
ख़तरनाक नाग नदी खतरे से भी ज्यादा खतनाक स्थिति में है। मनपा द्वारा हर वर्ष बारिश में मौसम में नदी की गहराई बढ़ाने के ईरादे से काम करती है लेकिन ये भी महज खानापूर्ति जैसा रहता है। मनपा की माने तो बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 70 मिली ग्राम से 150 मिली ग्राम तक है। कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड 200 से 250 तक है। पीएच 6.5 से 7.5 तक है।