नागपुर. महल में हुए दंगे को लेकर देशद्रोह के कथित आरोपी युसुफ शेख के खिलाफ जहां कार्रवाई कर गिरफ्तार किया गया, वहीं मनपा की ओर से उनके परिजनों को नोटिस जारी कर महल, गांधीगेट स्थित पिता की सम्पत्ति में अवैध निर्माण का हवाला देते हुए तोडू कार्रवाई करने की चेतावनी दी. जिसे चुनौती देते हुए युसुफ के पिता अब्दुल हफीज शेख लाल की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने तोडू कार्रवाई पर रोक लगा दी. साथ ही सरकार को जवाब दायर करने को कहा. मंगलवार को सुनवाई के दौरान अब याचिकाकर्ता का समर्थन करते हुए अधि. अरविंद वाघमारे की ओर से मध्यस्थ अर्जी दायर की गई. मध्यस्थ की ओर से मनपा की कार्रवाई को गैरकानूनी और नियमों के विपरित बताया गया है.
मध्यस्थ अर्जी में बताया गया कि हाई कोर्ट द्वारा 24 मार्च 2025 के आदेश में संबंधित इमारत को तोड़ने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का खुलासा किया है. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार स्थानीय अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे जिला मजिस्ट्रेट को पत्र जारी करने और स्थानीय अधिकारियों को इसके उत्तर के बारे में सूचित करें. पैरा-91-ए (iv) के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट को एक नोडल अधिकारी नियुक्त या नामित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसी तरह से केवल नामित प्राधिकारी अर्थात जिला मैजिस्ट्रेट द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी द्वारा संबंधित इमारत का अध्ययन करना भी शामिल है. अधि. वाघमारे ने कहा कि इस मामले में यह स्पष्ट नहीं है कि जिला मैजिस्ट्रेट द्वारा एक माह के भीतर मामले में नोडल अधिकारी की नियुक्ति की है या नहीं. ऐसे में इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. यदि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार पालन नहीं किया गया, तो जिला मैजिस्ट्रेट भी पूरे मामले में अवमानना के उत्तरदायी हो सकते है.
लाल की ओर से पैरवी कर रहे अधि. अश्विन इंगोले ने रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ता ने प्राधिकरण को मंजूरी के लिए आवेदन किया. जिस पर अवलोकन के बाद धंतोली जोन के सहायक आयुक्त ने 14 जनवरी 2002 को याचिकाकर्ता के पक्ष में मंजूरी जारी की. इसी आधार पर याचिकाकर्ता ने अपने घर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है जहाँ वर्तमान में वह रह रहा है. इसके बावजूद याचिकाकर्ता को 22 मार्च 2025 को महाराष्ट्र स्लम एरिया (सुधार, निकासी और पुनर्विकास), अधिनियम, 1971 के तहत नोटिस भेजा गया. जिसमें निर्माण के लिए उचित अनुमति प्राप्त किए बिना निर्माण किए जाने का हवाला दिया गया. साथ ही नोटिस देते हुए 24 घंटे के भीतर निर्माणकार्य को स्वयं तोड़ने के आदेश दिए गए.