Published On : Sat, Feb 17th, 2018

पूर्व नगरसेवक के गैरकृतो को नजरअंदाज कर रहा मनपा प्रशासन

Advertisement

नागपुर: नागपुर महानगरपालिका प्रशासन के मस्तमौला रवैये और सत्तापक्ष के अंदरूनी कलह की वजह से शहर की आम जनता,जो की नियमित करदाता हैं, फिलहाल अस्वस्थ्य हैं। यह जानकर भी प्रशासन व सत्तापक्ष की चुप्पी समझ से परे हैं।

मनपा का पूर्व नगरसेवक खुद की राजनीत को जिंदा रखने के लिए पिछला चुनाव हारने के बाद से ही अपने पार्टी स्तर पर खासकर मनपा में सक्रिय हो गया था। इस दौरान उसने अपने लेटरहेड व वाहन पर अंकित नगरसेवक के आगे पूर्व लगाना भूल गए। आज भी नगरसेवक अंकित वाहन से मनपा सह शहर में आवाजाही करते हैं, शहर व मनपा में भ्रम हैं कि क्या उक्त पूर्व नगरसेवक वर्तमान में नगरसेवक हैं।मनपा मुख्यालय में वाहन लगाने के तौर तरीके से मुख्यालय कर्मी सह सुरक्षा कर्मी अवैध कृत पर एक्शन लेने में असहज महसूस करते हैं।

उल्लेखनीय यह हैं कि उक्त पूर्व नगरसेवक मनपा परिवहन विभाग में एक यूनियन खड़ी कर आये दिन बखेड़ा खड़ा कर रहा हैं, इससे सबसे ज्यादा आम यात्री परेशान हो रहे हैं। इस पर अंकुश लगाने के मामले में सत्तापक्ष और मनपा प्रशासन असक्षम साबित हुए हैं। नगरसेवक लिख उक्त पूर्व नगरसेवक मनपा प्रशासन व सत्तापक्ष से प्रत्येक सप्ताह दो-दो हाथ करते देखे गए। 20 फरवरी को बस चालकों व कंडक्टरों को न्यूनतम वेतन देने के मुद्दे को लेकर बड़ी हड़ताल करने की योजना से प्रशासन को आगाह करवा दिया हैं।प्रशासन सकते में हैं और उन्होंने बस चालकों सह कंडक्टरों को हड़ताल में शामिल होने पर कार्रवाई की कड़क सन्देश पहुंचा दिया हैं। अब देखना यह हैं कि 20 की हड़ताल से कौन बौना साबित होता हैं। इसी दिन मनपा की आमसभा हैं, जिसमें मनपा परिवहन विभाग अंतर्गत घोटाले की जांच रिपोर्ट संबंधित अतिरिक्त आयुक्त पेश करेंगे।

इस जांच अधिकारी के कार्यशैली पर पहले ही अंदेशा जाहिर किया गया हैं।वह इसलिए कि इस अतिरिक्त आयुक्त की 28 फरवरी को सेवानिवृत्ति हैं।जांच में परिवहन व्यवस्थापक पर दोषारोपण किये तो उसका छिंटा अतिरिक्त आयुक्त पर भी पड़ेंगा। क्योंकि वे मनपा में परिवहन विभाग के प्रभारी व जिम्मेदार अधिकारी हैं। इसलिए भी जांच प्रभावित हो सकती हैं क्योंकि उक्त अतिरिक्त आयुक्त अगले 2 वर्ष का अतिरिक्त कार्यकाल बढ़ाने हेतु पूर्ण ताकत झोंक चुके हैं।इस तरक्की के लिए उन्हें परिवहन विभाग की जांच को सकारात्मक रुख देकर परिवहन व्यवस्थापक को बचाना पड़ सकता हैं।

रही बात उक्त पूर्व नगरसेवक के आंदोलन की,दरअसल उक्त पूर्व नगरसेवक शिवसेना से जुड़ा है,शिवसेना का ही पदाधिकारी हैं। और तो और राज्य में शिवसेना का ही परिवहन मंत्री हैं। मनपा परिवहन विभाग अंतर्गत न्यूनतम वेतन का मामला उनके पहल से आसानी से सुलझ सकता हैं, शायद उक्त मंत्री नागपुर के इस पूर्व नगरसेवक को तहरिज नहीं देते,इसलिए वे उनके समक्ष मसला सुलझाने हेतु प्रयत्न नहीं कर रहा,यह भी मुमकिन हो कि उक्त नगरसेवक को मामला सुलझाना ही नहीं हैं, इसलिए ठोस प्रयत्न के बजाय हो-हंगामा कर खुद को राजनीत में जिंदा रखना ही मकसद हो।