Published On : Sat, Jan 12th, 2019

7 मिनट में मिलेगी एमआरआय रिपोर्ट,नागपुर के रेडिओलॉजिस्ट डॉ मुस्तफ़ा ए बिवीजी ने तैयार किया मॉडल

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नागपुर – विज्ञान निरंतर प्रगति कर रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा के लिए बेहतर विकल्प उपलब्ध करा रहे है। रेडियोलॉजी के क्षेत्र में क्रांतिकारी शोध हो रहा है जिससे नागपुर के जाने माने रेडियोलॉजिस्ट मुस्तफ़ा ए बिवीजी भी जुड़े है।

यह शोध आपातकालीन स्थिति में मरीज को जल्द ईलाज मुहैय्या कराने के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। मुंबई स्थिति कंपनी क्योर डॉट एआर के माध्यम से हो रहे इस शोध में मुस्तफ़ा के साथ आयआयटी मुंबई के कई कंप्यूटर इंजिनियर जुटे है। शोध टीम द्वारा ऐसा प्रोग्राम (मॉडल) बनाया जा रहा है जिससे की एमआरआय निकालने के 5 से 7 मिनट के भीतर न केवल रिपोर्ट आ जाये बल्कि यह रिपोर्ट ऑटोजनरेटेड होगी। यानि की मशीन में लगाया गया सिस्टम खुद ब खुद रिपोर्ट दे देगा ।

वर्त्तमान में किसी मरीज का एमआरआय होने पर रेडियोलॉजिस्ट को रिपोर्ट तैयार करने में औसतन 25 से 30 मिनट का समय लगता है। यह शोध लगभग 80 फीसदी पूरा हो चुका है। एमआरआय के माध्यम से पुरे शरीर की जाँच की जाती है। लेकिन इस शोध के लिए प्राथमिक तौर पर एक्सीडेंट के मामलों में सिर में लगने वाली चोट और व्लडिंग को लिया गया है।

26 वर्ष का अनुभव और देश के कई प्रतिष्ठित अस्पतालों में सेवा देने वाले डॉ मुस्तफ़ा ए बिवीजी के मुताबिक उनका शोध पूरा हो चुका है। जिसका बेहतर रिजल्ट उन्हें हासिल हुआ है। देश में फ़िलहाल ऑटोमेटेड मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सा करने की इजाज़त नहीं है। पर अगर यह संभव हो जाता है तो आपातकालीन स्थिति में बेहतर ईलाज उपलब्ध कराने की दृष्टि से यह व्यापक पहल होगी। रात के समय होने वाली दुर्घटना में अक्सर मरीजों की जिंदगी और मौत का मामला होता है।

सिर पर लगने वाली चोट की जाँच लिए डॉक्टर भी एमआरआय या फिर सिटी स्कैन का सहारा लेते है। बिना पुख्ता जाँच के डॉक्टर भी रिस्क नहीं लेते है। अमूमन इस प्रक्रिया में देरी हो जाती है जिसका खामियाज़ा मरीज को भुगतना पड़ता है। सड़को पर होने वाली दुर्घटना के अधिकतर मामले सरकारी अस्पतालों में आते है। दिन में डॉक्टर आसानी से उपलब्ध होता है लेकिन रात में समय आवश्यकत डॉक्टर उपलब्ध हो यह जरुरी नहीं। ऐसे में जो प्रोग्राम (मॉडल )तैयार किया गया है उसके माध्यम से रिपोर्ट और एमआरआय की फिल्म सीधे इंटरनेट के माध्यम से डॉक्टर के मोबाईल पर पहुँच जायेगी। जिसे देखकर डॉक्टर जरुरी दवाई और ईलाज की पद्धति अपने सहकर्मी को फ़ोन पर ही बता सकेगा। इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि उचित ईलाज मिलने की वजह से मरीज की जान बच सकेगी।

3 वर्ष से शुरू है शोध

डॉ बिवीजी ने वीटा वर्जन में तैयार किये गए अपने प्रोग्राम का शोध बीते 3 वर्षो से अपने सेंटर में कर रहे है। उनके सेंटर में होने वाले एमआरआय और सीटी स्कैन की कॉपी सबसे पहले सर्वर में जाती है। उसके चंद सेकेंड में उनके मोबाईल और कंपनी को पहुँच जाती है। फ़िलहाल अपने यहाँ आने वाले मरीजों को उनके द्वारा फिल्म देखकर वह खुद रिपोर्ट तैयार करते है लेकिन रिसर्च के लिए सॉफ्टवेयर के माध्यम से एक अलग रिपोर्ट को कॉपी भी तैयार होती है।

डॉ बिवीजी ने बताया कि सॉफ्टवेयर के माध्यम से सूक्ष्म से सूक्ष्म क्लॉट, ब्लडिंग और परिवर्तन की जानकारी प्राप्त होती है। मशीन अपना काम करती है पर इसका संचालन इंसानी हाँथो से ही होता है मशीन के पास रिसर्च का जितना मटेरियल होगा वह उतना सक्षम होगी। उन्होंने अन्य रेडिओलॉजिस्ट से भी इस तरह के शोध का हिस्सा होने की अपील की है। अगर यह प्रैक्टिस शुरू हो जाती है तो इसका सबसे अधिक फ़ायदा एमआरआय के मौजूदा समय में आने वाले खर्चे में कमी के रूप में होगा।

जो मॉडल तैयार किया गया है उसकी तीन चरण में जाँच की गई है। पहला ट्रेनिंग,दूसरा जाँच और तीसरा गुणवत्ता,फ़िलहाल यह काम ब्रेन संबंधी मामलों में चल रहा है जिसे शरीर के अन्य भाग में करने की तैयारी है। जिसके लिए डाटा मिलने में दिक्कत हो रही है अगर अन्य डॉक्टर इस काम में सहयोग करे तो 100 फीसदी इस मॉडल के सफ़ल होने का दावा डॉ बिवीजी का है।

टीवी की रोकथाम के लिए फिलीपींस कर रहा प्रयोग

डॉ बिवीजी ने इस मॉडल को देश में प्रैक्टिस में लाने के लिए फिलीपींस का उदहारण देते है। उन्होंने बताया कि यहाँ टीवी की रोकथाम के लिए इसी तरह का प्रयोग चल रहा है। सरकार द्वारा बनाई गई योजना के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी गाँव-गाँव जाकर लोगो के एक्ससरे निकालते है। जिसे सॉफ्टवेयर में फिट किया जाता है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से नाम और पहचान जानकारी मिलने पर जिसे टीवी बीमारी की शिकायत है उसकी पहचान की जाती है । जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आसानी से उस मरीज तक पहुँच कर उसका ईलाज शुरू कर देते है।

अमेरिका मॉडल को अपनाने में सकारात्मक,केरल में हो चुका है प्रयोग

जिस मॉडल पर देश में काम शुरू है उसे अपनाने को लेकर अमेरिका सार्थक पहल करते दिखाई दे रहा है। डॉ बिवाजी ने शिकागो में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ़ रेडियोलॉजी सोसायटी के साथ तीन कॉन्फ्रेंस में अपने स्टड़ी और लैंडसेट पेपर जमा कर चुके है। वह जल्द यूरोपियन कांग्रेस में भी जाने वाले है। इसके साथ ही अमेरिका में यह व्यवस्था शुरू हो जाये इसके लिए जाँच एजेंसी एफडीए में आवेदन किया जा चुका है। मार्च 2017 से शुरू यह शोध जारी है। देश में ही केरल सरकार के सहयोग से पायलेट प्रोजेक्ट पूरा किया जा चुका है जिसका रिजल्ट बेहतर रहा है।

चिकित्सा के क्षेत्र में हर दिन नए-नए शोध हो रहे है। कई शोध क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले होते है। नागपुर के ही एक डॉक्टर ऐसे ही एक काम में जुटे है अगर इसे सरकार द्वारा परिक्षण के बाद अपनाया जाता है तो समय पर लाखों लोगों की जिंदगी को चंद मिनट की देरी से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है।