Published On : Sat, Apr 7th, 2018

मलेरिया-फलेरिया विभाग कोमा में ?

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नागपुर: नागपुर शहर में मच्छर का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. बढ़ते मलेरिया के मरीज इसका प्रमाण दे रहे हैं. वजह साफ़ है कि समय-समय पर साफ़-सफाई का आभाव महसूस किया जा रहा.

शहर में बड़े-छोटे नदी-नाले और जमा दूषित पानी की वजह से मच्छरों का जन्म तीव्र गति से जारी है. ये मच्छर आसपास के रहवासी क्षेत्रों में रहने वालों के लिए जी का जंजाल बन चुके हैं.

इनसे निजात पाने के लिए रहवासी सर्वप्रथम साफ़-सफाई और बाद में मच्छर उन्मूलन के लिए दवा के छिड़काव की मांग करते हैं. आम नागरिकों की मांग तो छोड़िए क्षेत्र के नगरसेवकों की मांग इतनी बढ़ गई है कि विभाग की व्यवस्था सीमित होने के कारण विभाग इन दिनों कोमा में हैं.

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हर विभाग में मांग के अनुरूप एक सूची बनाकर दवा का छिड़काव चेहरा देख कर रहा है.

प्रभावी नगरसेवक या पदाधिकारी रहा तो बड़ी मशीन और अप्रभावी रहा तो बहुत ही छोटी मशीन भेज खानापूर्ति की जा रही है.

विडम्बना यह है कि छोटी याने हैंडी मशीन से छिड़काव के वक़्त बड़ी कर्कश आवाज भी आती है. यह आवाज जानवरों को बर्दाश्त नहीं होती है. इसलिए यह आवाज जिधर से आती है आसपास के जानवर आवाज की ओर दौड़ लगाते हैं. जानवरों को अपनी ओर दौड़ता देख छिड़काव करने वाला भी जानवर के डर से मशीन छोड़ उल्टा भागने के चक्कर में गिर-पड़ जाता है और अधिकांश समय वह घायल भी हो जाता है, साथ में मशीन भी गिरने से ख़राब या बंद हो जाती है.

रही बात मशीन की तो छिड़काव के मामले में छोटी याने हैंडी मशीन नाकामयाब दिखी, वहीं बड़ी मशीन से कम से कम कुछ दिनों की राहत जरूर महसूस की गई.

अब सवाल यह है कि उक्त विभाग में बड़ी मशीन कम है और शहर काफी विस्तृत है. जिसके लिए बड़ी मशीन बढ़ाने की जरूरत है.

अब इस विभाग के खरीदी के लिए राज्य सरकार से मिले अनुदान को तो मनपा प्रशासन ने ठेकेदारों के भुगतान में खर्च कर दिया.

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