Published On : Mon, Oct 17th, 2016

मॉइल की खदानों में “फिट” हो रहे “अनफिट”

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MOIL manganese mine

File Pic

 

नागपुर: मैग्नीज ओर इंडिया लिमिटेड (मॉइल) की मनसर, कानदरी, बेलडोंगरी खदान में कई मजदूरों ने मेडिकल “अनफिट” के लिए मॉइल प्रबंधन को आवेदन किया था. आवेदक मजदूरों का आरोप है कि उन्हीं मजदूरों को आनन-फानन में “अनफिट” दर्शाया गया, जिन्होंने इस काम के लिए मॉइल के अधिकृत चिकित्सकों को “मैनेज” किया था. इस कृत में मॉइल के स्थानीय मजदुर नेताओं की भूमिका अहम रही. अन्यायग्रस्त मजदूरों की शिकायत पर नागपुर जिला कांग्रेस के महासचिव गज्जू यादव ने उक्त मामले की शिकायत केंद्रीय खान मंत्री से कर पुरे मामले की उच्च स्तरीय जाँच की मांग की.

यादव के अनुसार मॉइल की खदानों में कार्यरत कर्मचारी, मजदूरों को खदानों से मैग्नीज उत्खनन के दौरान उड़ने वाली धूल के कारण अक्सर कार्यरत मजदूरों को साँस संबंधी सह अन्य बीमारी होती रहती है. इसलिए उनके स्वास्थ्य परिक्षण हेतु मेडिकल बोर्ड द्वारा उनकी शारीरिक जाँच-परिक्षण नियमित किया जाता है ताकि अस्वस्थ्य अवस्था में कोई कर्मी खदान में काम न करे.

तीन चिकित्सा अधिकारियों के गठित मेडिकल बोर्ड द्वारा की गई चिकित्सा परीक्षा के निर्णय के आधार पर कर्मचारी का मेडिकल “फिट” या “अनफिट” होना निर्भर करता है. लेकिन मॉइल के खदानों के मजदूरों का आरोप है कि इस बार स्थानीय चिकित्सकों की सिफारिशो पर उन्हीं मजदूरों, कर्मियों को “अनफिट” किया गया, जिन्होंने चिकित्सकों की मांग के अनुरूप उनकी मुरादे पूरी की.

मॉइल के नियमानुसार किसी भी मेडिकल फिट कर्मचारी को अनफिट नहीं किया जा सकता है. ऐसे कर्मचारी जो कि वास्तव में स्वास्थ्य के आधार पर कार्य करने में सक्षम होते है, उनका स्वास्थ्य परिक्षण मेडिकल बोर्ड द्वारा कर उन्हें नियमानुसार मेडिकल अनफिट किया जाता है. फिर उनके आश्रितों को कंपनी में नियमानुसार नियुक्ति देने की सिफारिश की जाती है. फिर चिकित्सा व चरित्र सत्यापन में योग्य पाये जाने पर उसकी कंपनी में नियुक्ति की जाती है. परंतु मजदूरों द्वारा लगाए गए आरोपो के अनुसार कई स्वास्थ्य कर्मियों ने खुद को मेडिकल अनफिट सिद्ध करवाकर अपने-अपने पाल्यों को नौकरी पर चढ़ा दिया है. जबकि दूसरी ओर जो वास्तव में अनफिट है उससे काम करवाने का जुर्म मॉइल प्रबंधन कर रही है.

यादव ने उक्त उदहारण पेश कर केंद्रीय खान मंत्री को उक्त सम्पूर्ण मामले की जाँच करने की मांग कर अन्यायग्रस्त मजदूरों के साथ न्याय करने की मांग की.

यादव ने जानकारी दी कि जहाँ-जहाँ भी मॉइल की खदानें है, वहाँ इनदिनों ठेकेदारी के तहत मजदुर सेवारत किये गए है. इन ठेकेदारी मजदूरों को न तो न्यूनतम वेतन और न ही कोई लाभ दिया जा रहा है. इनसे ३० दिन काम करवाया जाता है और २० दिन का भविष्य निधि उनके वेतन से काट लिया जाता है. इन ठेकेदारी मजदूरों की जमीनी हक़ीक़त से मॉइल प्रबंधन वाकिफ होने के बाद भी मानसिक विकलांग जैसा खुद को प्रस्तुत किया जाना समझ से परे है.

– राजीव रंजन कुशवाहा