Published On : Thu, Dec 13th, 2018

संभाजी का मंचन कर तक़दीर सवारेंगे मोहन !

Advertisement

२२ से २८ दिसंबर के निशुल्क आयोजन का खर्च ३ करोड़

नागपुर : राजनीत के साये में शिवपुत्र संभाजी नाटक का मंचन नागपुर के रेशिमबाग मैदान में होने जा रहा है. अब तक उक्त नाटक ने कई ख्यातियां अर्जित कर चुका है. यह नाटक नागपुर में सबसे अलग इसलिए होगा क्यूंकि इस नाटक के जरिए मोहन अपने बिखरे राजनीतिक तक़दीर को संवारने की कोशिश कर रहे हैं.

मोहन के करीबियों ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव में दक्षिण नागपुर से भाजपा उम्मीदवारी के लिए उक्त नाटक का मंचन कर मराठा-कुनबी मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया जा रहा है. इस नाटक का निशुल्क मंचन जरूर है लेकिन ७ दिवसीय मंचन का खर्च ३ करोड़ से अधिक का दर्शाया गया है. यह खर्च मोहन के निर्देश पर उसके सहयोगी चंदा के मार्फ़त वसूली में लीन है. यह नाटक २२ से २८ दिसंबर तक निशुल्क रूप से रेशिमबाग मैदान में आयोजित किया जा रहा है. अंदाजन २००० इच्छुक रोजाना नाटक का सफल मंचन देख पाएंगे. कुल १४००० इच्छुक नाटक देखने में सफल हो पाएंगे.

आयोजकों के करीबी ही इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आखिर इतना चंदा कहाँ से आएगा. क्या मोहन खुद खर्च करेंगे या फिर आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र संभावित भाजपा उम्मीदवार को खर्च की माला पहनाई जाएगी. इस नाटक के लिए मनपा के एक सभापति ने समिति का १८ से २२ दिसंबर तक दिल्ली का दौरा त्याग दिया है. संभवतः इस समिति से जुड़े ठेकेदारों से भी चंदा वसूली की कोशिश जारी है.

मोहन की राजनीत देवेंद्र के साथ एबीवीपी से शुरू हुई थी. दोनों एक साथ पहली मर्तबा विधायक बने. इसके बाद देवेंद्र राजनीत में आगे बढ़ते रहे. पक्ष के प्रदेशाध्यक्ष से मुख्यमंत्री तक बन गए. लेकिन मोहन अपने बोल-वचन से एक दफे दक्षिण नागपुर से विधायक बन थम गए. पार्टी छोड़ने के बाद फिर से पार्टी में लौट आए. फ़िलहाल वे दक्षिण नागपुर में सक्रिय हैं. शहर के युवा चुनिंदा सख्शियतों में इन्हें गिना जाता है. जिनके पीछे सर्वपक्षीय/संगठनों की अपर भीड़ हैं लेकिन राजनीत डगमगा रही है.

उल्लेखनीय यह है कि मोहन के विरोधियों का मानना है कि नाटक से राजनीत की सीढ़ी चढ़ने में मोहन असफल रहेंगे. इस खर्च को मोहन दक्षिण नागपुर में मूलभूत विकास सह कार्यकर्ताओं की अड़चनों पर खर्च करते तो पार्टी को लोकसभा में लाभ और उन्हें इसके एवज में विस की उम्मीदवारी मिलने का मार्ग खुलने की उम्मीद बढ़ जाती.