Published On : Sat, Sep 30th, 2017

भागवत बोले- बिना किसी समझौते के सुलझाया डोकलाम विवाद, रोहिंग्या हैं हिंसक

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) महाराष्ट्र में नागपुर में विजयादशमी उत्सव मनाया। शहर के रेशिमबाग मैदान में हुए कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए।
भागवत ने अपने भाषण की शुरुआत में मुंबई के एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे पर दुख जताया। भागवत ने डोकलाम विवाद पर मोदी सरकार की की तारीफ की और कहा कि बिना किसी समझौते के इसे सुलझाया गया। रोहिंग्या मुसलामानों की भारत में घुसपैठ पर भागवत ने नाराजगी जताई और कहा कि पहले देश हित है इसलिए मानवता के नाम पर हम अपनी मानवता को खो नहीं सकते।

उन्होंने देश में बढ़ रहे विदेशी चलन को आड़े हाथ लिया और कहा कि मन पर आए इस प्रभाव को हटाना होगा। उन्होंने कहा कि गुलामी में रहकर हमने भारत का गौरव भुला दिया। आज हम अपनी भाषा कम बोलते हैं और हमने राष्ट्र को NATION बना दिया है।

भागवत ने कहा कि देश तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है और इसी वजह से 70 सालों में पहली बार दुनिया का ध्यान भारत की तरफ गया है। केरल और बंगाल में हो रही राजनीतिक हिंसाओं पर भागवत ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे देश-विरोधी ताकतें हैं। ममता सरकार पर हमला साधने वाले भागवत ने कहा राज्य सरकार काम ठीक से नहीं कर रही और वहां जिहादी सिर उठा रहे हैं।

डोकलाम नीति पर मोदी सरकार की तारीफ की और ये भी कहा कि कश्मीर में विकास की नीति को लाना होगा। आतंकियों से सख्ती से निपटने के लिए मोदी सरकार के तारीफ कर रहे भागवत बोले कि सेना की सुविधाओं पर ध्यान देना होगा। सरकार को सलाह दी और कहा कि आर्थिक नीति ऐसी हो कि सभी वर्गों का क्लयाण हो।

पाकिस्तान में हिंदुओं की हालत पर भागवत ने चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बार बार ऐसी हरकतों को अंजाम देता है, जिसकी वजह से सीमा पर रह रहे हिंदुओं को बार-बार वहां से बेदखल होना पड़ता है। वो यहां से आए हैं, इसके पीछे बड़ा कारण है, इसलिए सरकार को उन्हें गंभीरता से लेना चाहिए।

​भागवत के संबोधन में गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसाओं का मुद्दा भी उठा। भागवत के मुताबिक गाय के नाम पर हिंसा को धर्म से न जोड़ा जाएं। साथ ही गोरक्षा करने वाले हिंसक कैसे हो सकते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत में भागवत ने शस्त्र पूजन से की और फिर परंपरा के मुताबिक परेड की सलामी ली। खास बात है कि विजयादशमी के मौके पर ही 27 सितंबर, 1925 को आरएसएस की स्थापना की गई थी। स्थापना मोहिते के बाड़े नामक स्थान पर केशवराव बलिराम हेडगोवर के हाथों हुई थी। शुरुआत में आरएसएस की शाखा में 5 लोग थे और आज इसकी 50 हजार से ज्यादा शांखाएं हैं और लाखों लोग इससे जुड़े हुए हैं।