नागपुर: विदर्भ राज्य आंदोलन समिति स्वतंत्र विदर्भ राज्य की माँग सरकार तक पहुँचाने के लिए सतत कई आंदोलन किये जाते है। इसी क्रम में सोमवार और मंगलवार को नागपुर में प्रतीकात्मक विधानसभा अधिवेशन का आयोजन किया गया है। सोमवार से दो दिवसीय विधानसभा अधिवेशन की शुरुआत हुई। कहने को तो यह प्रतिकात्मक विधानसभा है पर यहाँ पर पहले दिन का कामकाज किसी राज्य की नियमित विधानसभा की तरह ही हुआ। सभी प्रक्रिया संवैधानिक पद्धति से हुई। सुबह 11 बजे राष्ट्रगीत के साथ सत्र की शुरुवात ही। पक्ष -विपक्ष, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्री, विरोधीपक्ष नेता की भूमिका निभा रहे सभी लोगो ने अपनी भूमिका संजीदगी से निभाई।
विदर्भ राज्य आंदोलन समिति ने राज्य में काँग्रेस – राष्ट्रवादी काँग्रेस के शाशनकाल में इसी तरह का आंदोलन कर चुकी है। इस बार वसंतराव देशपांडे सांस्कृतिक सभागृह में आयोजित प्रतिकात्मक विधानसभा का काम सोमवार को देर शाम तक चला। इस आंदोलन का मकसद सरकार तक विदर्भ राज्य की आवाज पहुँचाने के साथ विदर्भ की समस्याओ और संभावनाओ पर चर्चा करना था। आज की कार्यवाही में किसान, नक्स्लवाद, बिजली, उद्योग, कुपोषण जैसे प्रश्नों पर चर्चा की गई। विदर्भ की वर्तमान दौर में विकास और अलग राज्य बनने की स्थिति में होने वाले परिवर्तन पर भी सदन में चर्चा हुई।
साथ ही विदर्भ के विकास का प्रारूप भी सदन में रखा गया। राज्य के विकास के लिए क्या किया जाये और क्या न किया जाये इस पर भी जबरजस्त बहस हुई। विदर्भ राज्य के संतुलित विकास के लिए प्रत्येक जिले की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए क्रमवार समस्याओ पर चर्चा की गई। सत्ता पक्ष मर शामिल 40 और विपक्ष के 22 विधायको को मिलाकर 62 विधानसभा सदस्यों ने अपना मत व्यक्त किया। सत्ता पक्ष ने जहाँ अपना लक्ष्य प्रस्तुत किया वही विपक्ष ने कई गंभीर प्रश्नों पर सत्ता पक्ष पर सवाल दागने के ही साथ ही सुझाव भी दिए।
प्रतीकात्मक विधानसभा में सर्वसम्मति से विधायक दल और मुख्यमंत्त्री चुने गए वामनराव चटप ने इस आयोजन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा की यह आयोजन सरकार को यह बताने के लिए है की विदर्भ खुद में सक्षम है। विदर्भ के पास एक विकसित राज्य बनने का दम है उसे किसी के सहयोग की आवश्यकता नहीं है। यह प्रतीकात्मक विधानसभा जरूर है पर यहाँ होने वाली चर्चा और बहस तर्कसंगत है। हम विदर्भ के विकास का प्रारूप भी सामने लायेगे।