अकोला। मनपा के स्थायी समिति चयन प्रक्रिया को लेकर पार्षदो में संभ्रम की स्थिति दिखाई दे रही है. सभी पार्टियों द्वारा अपने दल की सदस्य संख्या तथा गुटनेताओं की जानकारी आयुक्त के माध्यम से विभागीय आयुक्त को पेश कर दी है. इस मामले में विभागीय आयुक्त को पेश कर दी है. इस मामले में विभागीय आयुक्त क्या निर्णय लेते है इस ओर पार्षदों समेत पार्टी के आलाकमान पादाधिकारियों की निगाहें लगी है. वहीं मनपा के गलियारे में इस बात को लेकर भी चर्चा चल रही है कि आयुक्त किस पार्टी तथा आघाडियों को मान्यता देते है अथवा नहीं? इस समय स्थायी समिति के चयन को लेकर केमिकल लोचा बना हुआ है. स्थायी समिति के सदस्यों की चयन प्रक्रिया को लेकर इन दिनों मनपा के हर पार्टी तथा आघाडियों मे संभ्रम की स्थिति दिखाई दे रही.
मनपा के एक राजनीतिक सलाहकार से मिली जानकारी के अनुसार यदि विभागीय आयक्त उनके पास पेश किए गए आघाडियोंं तथा राजनीतिक पार्टियो की मान्यता के अनुसार सदस्यों के चयन करने के आदेश देते है तो स्थायी समिति के लिए पार्टी संख्या बल के अनुसार 4.56 के तहत सदस्यों का चयन होगा. जिसमें कांग्रेस के 4, राकां 1, भारिप 2, भाजपा 4, शिवसेना 2 अकोला शहर विकास आघाडी 1, अकोला विकास आघाडी 1, विकास महाआघाडी 1 के साथ 16 सदस्यों को स्थायी समिति में जगह मिलेगी. जबकि नगर सचिव अनिल बिडेव ने बताया कि स्थायी समिति के सदस्यों की चयन प्रक्रिया के तहत पहली सभा में 8 तथा सदस्यों का चयन होना चाएिए. जिसमे पहले 8 सदस्यों का चयन एक वर्ष के लिए जबकि अन्य 8 सदस्यों का चयन दो वर्ष के लिए किया जाता है. 16 सदस्यों का एक साथ चयन किया जाना हो तो एक ही दिन 1 घंटे के अंतराल में 2 सभा लेनी होगी किंतु इस चयन प्रक्रिया में यदि स्थानीय स्तर पर अधिवक्ता की राय से वर्तमान स्थिति में चयन प्रक्रिया की जाती है तो दूसरे दल के पदाधिकारी इस निर्णय को विभागीय आयुक्त के पास चुनौती दे सकते है. जिससे मनपा प्रशासन ने निर्णय लिया है कि स्थायी समिति की चुनाव प्रक्रिया आयुक्त के निर्णय के पश्चात ली जायेगी.
इस समय पार्टी के गुट नेताओं द्वारा प्रस्ताव पेश किया जा रहा है. जस पर अंतिम निर्णय विभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा लिया जायेगा. जबकि पार्षदो में उत्सुकता लगी हुई है कि विभागीय आयुक्त क्या निर्णय लेते है क्योंकि उनके अंतिम निर्णय के पश्चात ही राजनीतिक दलों के साथ आघाडियों में बढी उठा पटक होने की संभावना है.