हाल ही में नागपुर पुलिस द्वारा चलाया गया ‘मिशन AXE’ अभियान जिसमें ई-सिगरेट, हुक्का उत्पाद और अवैध तंबाकू बिक्री पर बड़ी कार्रवाई की गई, एक बड़ी मीडिया सुर्खी बन गई है। ₹43 लाख से अधिक की सामग्री जब्त की गई, कई जगहों पर एक साथ छापेमारी हुई और 26 लोगों पर केस दर्ज किया गया। लेकिन अब शहर में एक सवाल तेजी से उठ रहा है — क्या ये काफ़ी है?
समय पर सवाल: अब क्यों?
शहर के स्थानीय लोग कहते हैं कि ‘Texas Smoke Shop’ और ऐसे कई आउटलेट्स महीनों से खुलेआम अवैध उत्पाद बेच रहे थे। इनकी जानकारी स्थानीय पुलिस थानों को जरूर रही होगी। फिर अचानक एक ही रात में इतनी बड़ी कार्रवाई क्यों? क्या यह rising crime rate और मीडिया में शहर की गिरती छवि को संभालने की कोशिश थी?
क्लब और पब्स: अगला निशाना कब?
अगर वाकई पुलिस को नशे के ख़िलाफ़ गंभीर कार्रवाई करनी है, तो नागपुर के क्लब और पब्स को क्यों छोड़ा जा रहा है?
शहर में कई पब्स ऐसे हैं जो देर रात तक खुले रहते हैं, जिनमें ड्रग्स, हुक्का, ई-सिगरेट और अन्य अवैध गतिविधियाँ खुलेआम होती हैं। कई तो पुलिस थानों से महज़ 100 मीटर की दूरी पर संचालित हो रहे हैं — फिर भी अब तक उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं?
संरक्षण या सहमति?
बाज़ार में यह भी चर्चा है कि इन क्लबों और पब्स को कुछ स्थानीय पुलिस स्टेशनों का “संरक्षण” प्राप्त है। आपसी फायदे, कमीशन या जान-बूझकर अनदेखी? सवाल कई हैं, जवाब कोई नहीं।
“Saturday Night” पार्टीज़ का खुलेआम प्रचार सोशल मीडिया पर किया जाता है, जहाँ ‘इन्फ्लुएंसर’ मुफ्त एंट्री और शराब के बदले इन आयोजनों का प्रचार करते हैं। साइबर पुलिस क्या ये सब नहीं देख सकती? या फिर उन्होंने आंखें मूंद ली हैं?
बढ़ता अपराध और गिरती साख
पिछले कुछ महीनों में नागपुर में अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं — लूट, चैन स्नेचिंग, गैंग वॉर और ड्रग्स से जुड़े अपराध अब आम हो चले हैं। शहर की छवि देशभर में खराब हो रही है। नागरिक डरे हुए हैं, और युवा वर्ग धीरे-धीरे नशे के चंगुल में फंसता जा रहा है।
निष्कर्ष: अब पुलिस को कठोर और निष्पक्ष बनना होगा
‘मिशन AXE’ एक अच्छा कदम है, लेकिन अगर यह केवल मीडिया के लिए किया गया शो था, तो यह शहर के लिए घातक होगा।
नागपुर पुलिस को यह दिखाना होगा कि यह अभियान केवल एक-दो दुकानों पर नहीं, बल्कि हर उस जगह पर लागू होगा जहां नशा, अपराध और अवैध गतिविधियाँ पनप रही हैं — चाहे वह क्लब हो, पब हो, या खुद किसी पुलिसकर्मी की जानकारी में हो।
अगर पुलिस अपने ही सिस्टम में छिपी सड़ांध को नहीं साफ़ कर पाई, तो शहर को फिर कोई मिशन नहीं बचा पाएगा।
नागपुर को न्याय चाहिए, प्रचार नहीं। कार्रवाई चाहिए, बहाना नहीं।