Published On : Thu, Apr 6th, 2017

नियमों से आंख मिचौली; कर्मचारियों की वेतन वृद्धि काटकर मनपा प्रशासन भर रहा झोली!

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NMC Nagpur

Nagpur: कहने को तो नागपुर महानगर पालिका का स्वच्छ्ता विभाग है लेकिन हर साल मनपा प्रशासन को साफसफाई के लिए जन भागीदारी की जरूरत पड़ ही जाती है। अब मनपा अपने ही कर्मचारियों को दी गई वेतन वृद्धि में कटौती करने पर तुली हुई है। जाहिर है मनपा के इस तुगलकी बर्ताव से कर्मचारियों के होश उड़े हुए हैं। उधर कर्मचारी संगठन की चुप्पी से सम्पूर्ण मनपा कर्मी पशोपेश में है।

नदी नालों में कचरे की बाढ़!

ज्ञात हो कि मनपा में शहर स्वच्छता के लिए स्वास्थ्य विभाग अन्तर्गत हज़ारों स्थाई-अस्थाई कर्मी सह कनक रिसोर्स जैसे बड़े ठेकेदार तैनात किये गए है.बावजूद इसके सम्पूर्ण शहर के चुनिंदा इलाको को छोड़ दिया जाये तो शहर व शहर के नदी-सैकड़ो छोटे-बड़े नाले गन्दगी से लबरेज है. प्रशासन सह स्वास्थ्य विभाग की जमीनी हक़ीक़त मालूम होने के बाद भी जनहितार्थ उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.

जनता से ले रहे सेवा
दूसरी ओर पिछले कुछ वर्षो से सत्तापक्ष खुद की पीठ थपथपाने के लिए व प्रशासन पर अपनी कमजोर पकड़ को छिपाने के लिए जन भागीदारी के नाम पर जनता-जनार्दन को शहर स्वच्छता अभियान के लिए प्रेरित कर उनसे न सिर्फ नदी-नाले साफ करवा रहे हैं बल्कि स्वच्छता अभियान हेतु लगने वाला सहयोग भी ले रहे हैं ।

अपने कर्मचारियों से ही नुकसान की भरपाई
दूसरा यह कि मनपा का प्रमुख आर्थिक स्त्रोत यानी चुंगी/एलबीटी समाप्त कर दिया गया और राज्य सरकार ने इसके बदले मासिक अनुदान देने की घोषणा की साथ ही केंद्र-राज्य सरकार के सहयोग से शुरू प्रकल्पों की निधि भी पिछले ३ माह से अटकी पड़ी है.ऐसे में मनपा प्रशासन सह सत्तापक्ष सरकार पर दबाव बनाकर अटके निधि निकलने की बजाय मनपा कर्मियों पर आर्थिक दंड थोप कर वसूली हेतु शक्ति बरत रही है.

कभी हां कभी ना
मनपा शिक्षक संघ के प्रमुख राजेश गवरे के अनुसार राज्य सरकार ने वर्ष २००२ में एक अध्यादेश जारी कर सभी सरकारी कर्मियों को एमएससीआईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता की थी। इस अध्यादेश के तहत इन कर्मियों में से जिनकी उम्र ५५ या उससे अधिक हो गई है उन्हें छूट दी गई थी. फिर शासन ने वर्ष २००३ में उक्त अध्यादेश में बदलाव करते हुए ५० वर्ष पूर्ण कर चुके कर्मियों को उक्त अभ्यासक्रम से छूट दी गई थी. वर्ष २००७ में मनपा प्रशासन ने अपने सभी कर्मियों को एमएससीआईटी परीक्षा उत्तीर्ण की अनिवार्यता की. साथ ही यह भी साफ़ किया गया था कि १-१-२००८ के या इसके बाद उत्तीर्ण को ही वेतन वृद्धि सह पदोन्नति दी जाएँगी।लेकिन वर्ष २००८ में मनपा प्रशासन ने एमएससीआईटी परीक्षा उत्तीर्ण की अनिवार्यता को अनदेखा कर वेतन वृद्धि सह पदोन्नति दी. फिर आज १० साल बाद मनपा प्रशासन गहरी नींद से जागी और एमएससीआईटी परीक्षा उत्तीर्ण की अनिवार्यता मामले में सक्रीय हो गई.जिन कर्मियों का उम्र ५० वर्ष हो गया उन्हें पदोन्नति तो दे रही साथ ही अगर उन्होंने एमएससीआईटी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की तो उनका वर्ष २००७ से जब उनका उम्र ५० वर्ष पूर्ण हो गया तब तक उन्हें दिया गया वेतन वृद्धि वापिस लेने का फरमान जारी किया और जिनकी उम्र ५० वर्ष नहीं हुई उनसे भी वर्ष २००७ से अबतक दिए गए वेतन वृद्धि वापिस तो ली जाएँगी साथ ही उनको पदोन्नति के लिए अपात्र घोषित कर दिया गया है. एमएससीआईटी परीक्षा उत्तीर्ण की अनिवार्यता को पूर्ण न करने वाले कर्मियों से वेतन के मार्फ़त दिए गए वेतन वृद्धि वसूल की जाएँगी।

आला अधिकारी भी अयोग्य!
गवरे के अनुसार वे खुद भी एमएससीआईटी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं किये है.आज उनकी उम्र ४४ वर्ष है.अगर प्रशासन ने अबतक दिए गए वेतन वृद्धि वसूली की तो सिर्फ उनसे प्रशासन साढ़े ७ लाख रूपए वसूल करेंगी।
गवरे के अनुसार प्रशासन ने १७ मुख्याध्यपक व १०२ कर्मियों का उम्र ५० होने पर पदोन्नति की लेकिन वे सभी एमएससीआईटी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं है,इनकी वर्ष २००७ से अबतक दी गई वेतन वृद्धि वसूलेंगी।

गलती पर डाल रहे पर्दा
उक्त मामले को लेकर मनपा शिक्षक संघ का प्रतिनिधिमंडल अपर आयुक्त रविन्द्र कुंभारे से कल मुलाकात की,संघ के प्रमुख गवरे ने उक्त आदेश के सन्दर्भ में मांग की कि वर्ष २००७ में एमएससीआईटी परीक्षा उत्तीर्ण की अनिवार्यता की गई थी,वर्ष २००८ में इसे नज़रअंदाज कर तत्कालीन मनपायुक्त सह तत्कालीन विभाग प्रमुखों ने वेतन वृद्धि सह पदोन्नति दी.इस सन्दर्भ में पहले उनपर कार्रवाई की जाये।तो कुंभारे ने तपाक से जवाब दिया की एक बार गलती हो गई ,बारबार दोहराई नहीं जाएँगी। संघ ने प्रशासन से मांग की कि सभी कर्मियों का वेतन वृद्धि सह पदोन्नति रोकने या दिए गए आर्थिक लाभ वसूलने के बजाय एमएससीआईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने हेतु १ वर्ष की मोहलत दी जाये,दिए गए अंतिम मौके पर अभ्यासक्रम उत्तीर्ण न करने वालों से आर्थिक वसूली सह वेतन वृद्धि रोकी जाये। कर्मचारियों से सम्बंधित मामले में मनपा के अधिकृत कर्मचारी संगठन की चुप्पी समझ से परे है.

सत्ता पक्ष ने भी साध रखी है चुप्पी
उल्लेखनीय उक्त दोनों मामलों में मनपा प्रशासन मजे में है.मनपा के दिग्गज अधिकारी सह वार्ड अधिकारोयों को वक़्त पर सबकुछ मिल जाया करता है.इन उच्च अधिकारियों में भी कई एमएससीआईटी परीक्षा नहीं दिए है.सत्ताधारी पक्ष भी मनपा प्रशासन की हाँ में हाँ मिलाकर उन्हें प्रोत्साहित कर रहा है.