Published On : Mon, Feb 5th, 2018

मेडिकल: विद्यार्थी डॉक्टर पर एसीबी की कार्रवाई का साथी डॉक्टरों ने किया विरोध

Advertisement

GMCH Nagpur
नागपुर: मेडिकल हॉस्पिटल में पिछले हफ्ते हुई एसीबी रेड में एक महिला डॉकटर और एक रेजिडेंट डॉक्टर की गिरफ्तारी हुई थी. जिसके बाद डॉक्टरों को जेल भी जाना पड़ा था. मेडिकल हॉस्पिटल में कई वर्षों से दवाईयों की कमी से मरीज झुझते हैं और इस कारण मरीज की परेशानी को ध्यान में रखकर मरीज से कुछ दवाईयां बाहर से मंगवाई जाती है. जो कि हॉस्पिटल में नहीं होती है. इस बार भी वही हुआ. मधुमेह के रोगियों में आंखों की दृष्टि कम होने पर उनका विजन बढ़ाने के लिए रेटिना विशेषज्ञों की ओर से अवस्टिन इंजेक्शन लगाया जाता है. यह इंजेक्शन बाहर से मंगवाया जाता है. इस बार भी डॉक्टर ने इंजेक्शन बाहर से मंगवाने पर मरीज के परिजनों ने एसीबी में शिकायत की. जिसके बाद रिश्वत के आरोप में महिला लेक्चरर डॉक्टर और साथ रेजिडेंट डॉक्टर को पकड़ लिया गया था.

अपने साथ पढ़नेवाले साथी डॉक्टर के इस तरह की घटना होने से डॉक्टरों ने नाराजगी जाहिर की है. पीजी के विद्यार्थी डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि सरकार की गलती के कारण डॉक्टर के साथ इस तरह की घटना हुई है. अगर प्रशासन की ओर से दवाइयों का स्टॉक हॉस्पिटल में होता तो यह नौबत नहीं आती. एक अवस्टिन दवाई सात से आठ मरीजों के काम आती है. डॉक्टरों के इस तरह से आगे आकर मरीजों की मदद करने की सोच से मरीजों को ही मदद होती है. जो डॉक्टर 24 घंटो तक मरीजों का इलाज करता है. उसे एसीबी द्वारा उठाकर लेकर जाना .उस विद्यार्थी डॉक्टर के लिए मानसिक धक्के जैसा है. डॉ. शर्मा ने कहा कि इस तरह से अपने पेशे से आगे बढ़कर मरीजों की मदद करने के बारे में अब डॉक्टर सोचेंगे. मरीजों की ग़लतफ़हमी के चलते एक निर्दोष डॉक्टर को जेल में रहना पड़ा वह काफी दुखदायक है. उन्होंने बताया कि लोकल गार्डियन के तौर पर विद्यार्थियों की जिम्मेदारी विभाग प्रमुख पर होती है. लेकिन उनका आगे नहीं आना भी दुखदायक है.

पीजी के ही विद्यार्थी डॉ. अमोल ढगे ने भी इस घटना को लेकर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि बेगुनाह डॉक्टर ट्रैप हो गया और वह डॉक्टर मरीज के हित में ही काम कर रहा था. पीड़ित डॉक्टरों ने अभी पीजी में प्रवेश लिया है. वह डॉक्टर यहां का नहीं है. यहां पढ़ने के लिए आया हुआ है. उसका करप्शन से किसी भी तरह का लेना देना नहीं है. हमारे विद्यार्थी डॉक्टर के साथ जो भी हुआ वह गलत हुआ है.

इस पूरे मामले में मार्ड के विदर्भ प्रतिनिधि ऐश्वर्य पेशट्टीवार ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर ने सीनियर डॉक्टर के आदेश पर ही उसने यह सब किया है. विभागप्रमुख की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे आगे आकर मामले को संभालतेया फिर बात करते. इस घटना को लेकर हम विरोध करने के बारे में भी विचार कर रहे है.

इस मामले में मेडिकल हॉस्पिटल के डीन. डॉ. अभिमन्यु निसवाड़े और नेत्रविभाग प्रमुख डॉ. अशोक मदान की चुप्पी भी काफी चर्चा में रही. विद्यार्थी डॉक्टर के लोकल गार्डियन तौर पर दोनों डॉक्टरों से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया .