नागपुर. कामठी रोड पर स्थित डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र का संचालन भले ही वर्ष 2005 से हो रहा हो लेकिन पालक मंत्री नितिन राऊत के निरंतर प्रयासों के बाद अब इसे अत्याधुनिक रूप देने की योजना पर अमल होने जा रहा है. एक दिन पहले हुई कैबिनेट में प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई जिसके अनुसार केवल ओपीडी के रूप में कार्यरत यह अस्पताल अब 615 बेड का होगा. 7.56 एकड़ भूमि पर 1,165 करोड़ की लागत से इसका निर्माण होगा. यहां हार्ट, न्यूरो सर्जरी, यूरोलॉजी, मूत्रपिंड विकार, खून से संबंधित बीमारियों और अन्य अति विशेषोपचार की सेवाएं जनता को मिलेंगी.
उल्लेखनीय है कि पहली बार चुनाव जीतकर आने के बाद 1999 में ही पालक मंत्री राऊत ने इसकी नींव रखी थी. दूसरी बार जीतकर आने के बाद इसका संचालन शुरू हुआ. हालांकि वर्ष 2015 में हार के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया लेकिन अब पुन: क्षेत्र की कमान हाथ में आते ही इसके कायाकल्प की योजना साकार हो रही है.
8.5 एकड़ पर निवासी संकुल और पैरामेडिकल कॉलेज
बताया जाता है कि जहां 7.56 एकड़ पर सुपर स्पेशलिटी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च संस्था की भव्य इमारत होगी, वहीं दूसरी ओर अन्य 8.5 एकड़ भूमि पर अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए निवासी संकुल के साथ ही नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज का भी निर्माण होगा. उल्लेखनीय है कि उत्तर नागपुर में लोगों को इलाज की व्यवस्था नहीं थी जिससे मजबूरन निजी अस्पतालों पर निर्भर होना पड़ता था.
इसके अलावा डागा, मेयो या फिर मेडिकल अस्पताल पर निर्भर होना पड़ता था. आम्बेडकर अस्पताल में ओपीडी शुरू होने के बाद से प्रतिदिन 500 के करीब लोगों को इसका लाभ मिलने लगा था. जल्द ही सुपर स्पेशलिटी के रूप में सर्वसुविधायुक्त अस्पताल तैयार होने से आसपास के क्षेत्रों के हजारों लोगों को इसका लाभ हो सकेगा. कैबिनेट द्वारा इसे मंजूरी देने पर पालक मंत्री राऊत ने सभी का आभार भी व्यक्त किया.
यह पाठ्यक्रम होंगे शुरू
डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर सुपर स्पेशलिटी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च संस्था में कॉर्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, यूरो सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, हृदय रोग चिकित्साशास्त्र, हिमटोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, पेडियाट्रिक सर्जरी व यूरोलॉजी जैसे ११ अतिविशेषोपचार पाठ्यक्रम प्रस्तावित किए गए हैं.
स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में औषध वैद्यकशास्त्र, बाल रोग चिकित्साशास्त्र, त्वचा व गुप्त रोग, मनोविकृतिशास्त्र, क्ष-किरणशास्त्र, ब्लड बैंक, जीव रसायनशास्त्र, विकृतिशास्त्र, सूक्ष्म जीवशास्त्र, बधिरीकरणशास्त्र, शल्य चिकित्साशास्त्र, अस्थि व्यंगपोचारशास्त्र, स्त्री रोग व प्रसूतिशास्त्र, ईएनटी शास्त्र, नेत्र शल्य चिकित्साशास्त्र, पल्मोनरी मेडिसिन, अस्पताल प्रशासन, इमरजेंसी मेडिसिन जैसे अन्य 17 पाठ्यक्रम होंगे.
MBBS की 644 सीटें
-बताया जाता है कि राज्य की 44 संस्थाओं में डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट के पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं जिनमें से 11 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में डिग्री की 644 सीटें तथा पोस्ट ग्रेजुएट की 195 सीटें उपलब्ध हैं.
-अब कैबिनेट द्वारा दी गई मंजूरी के अनुसार श्रेणी वर्धन अंतर्गत डीएम न्यूरोलॉजी, एमसीएच गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी, एमसीएच पेडियाट्रिक सर्जरी, डीएम इमरजेंसी मेडिसिन, डीएम गैस्ट्रोलॉजी, एमसीएच प्लास्टिक सर्जरी, एमडी रेस्पिरेटरी मेडिसिन आदि अति-विशेषोपचार पाठ्यक्रमों को मंजूरी प्रदान की गई है.