Published On : Fri, Sep 7th, 2018

शिक्षक दिवस कार्यक्रम की असफलता पर झल्लाई महापौर

Advertisement

Nanda-Jichkar

नागपुर: एक ओर मनपा के शिक्षकों की विभिन्न मांगों को लेकर तीव्र आंदोलन जारी था तो दूसरी ओर सत्तापक्ष की शह पर प्रशासन ने शिक्षक दिवस पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर आंदोलन की तीव्रता को कम करने की कोशिश की. जिसमें आयोजक शत-प्रतिशत असफल रहे. इससे नाराज महापौर ने प्रशासन को निर्देश दिया कि अगले वर्ष से शिक्षकों के लिए शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा.

ज्ञात हो कि शिक्षक दिवस पर मनपा प्रशासन द्वारा घोषित आदर्श शिक्षक को पुरस्कृत करने का कार्यक्रम ५ सितंबर को आयोजन किया गया था, जिसका पुरस्कार पानेवालों समेत दूसरे सभी शिक्षकों ने बहिष्कार किया.

Advertisement

मनपा शिक्षकों की मांग थी कि मनपा शिक्षकों की वर्षों से लंबित विभिन्न मांगों पर प्रशासन के साथ सत्तापक्ष ने गंभीर दखल नहीं लिया. जिससे आज उन्हें तीव्र आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ा. इसे नज़रअंदाज कर इन्हीं में से कुछ को पुरस्कृत कर आंदोलन की हवा निकलने की कोशिश पर शिक्षकों ने पानी फेर दिया.

मनपा प्रशासन के उक्त आयोजन में कुल २ दर्जन कर्मी उपस्थित थे. साथ में महापौर नंदा जिचकर, अतिरिक्त आयुक्त राम जोशी, उपायुक्त रवींद्र देवतले, शिक्षा समिति सभापति दिलीप दिवे की उपस्थिति में कार्यक्रम शुरू व संपन्न हुआ. कार्यक्रम स्थल के बाहर आंदोलनकारी शिक्षकों ने कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए आए शिक्षकों को गुलाब का फूल पेश कर उन्हें शिक्षक संघ के जायज आंदोलन के पक्ष में लौटने पर मजबूर किया.

मनपा द्वारा घोषित सत्कारमूर्ति शिक्षकों में से एकमात्र शिक्षक ने आयोजन में पहुँच अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. इसके अलावा ७५ सेवानिवृत्त शिक्षकों का सत्कार होना थे. इन्होंने भी सत्कार का मोह त्याग आंदोलनकारी शिक्षकों का साथ देते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार किया.

इसके उलट सभी सत्कार मूर्तियों ने संविधान चौक पर शुरू आंदोलन स्थल पर पहुँच कर अपना समर्थन दिया. इन सत्कार मूर्तियों का आंदोलनकारियों ने अनशन मंडप के समक्ष सत्कार किया.

विडंबना यह है कि आंदोलनकारियों से न महापौर और न ही प्रशासन के साथ समन्वय साध मामला सुझाने की कोशिश की, उलट उनमें फूट डालने का भरसक प्रयास किया. जिसमें असफलता मिलने पर वर्षों पुरानी परंपरा को समाप्त करने की घोषणा कर अपी कार्यशैली से अवगत करवाया.

यह भी कड़वा सत्य है कि कई शिक्षक अपने मूल विभाग छोड़ सफेदपोशों की मदद से अन्य मलाईदार विभागों में मजे काट रहे हैं.लाजमी है कि शिक्षक वर्ग को शिक्षा कार्यों के बजाय अन्य कार्य में व्यवस्त किए जाने से मनपा शालाओं पर हो रहे गंभीर परिणाम से सभी अवगत हैं. शिक्षा विभाग के नाम पर प्रत्येक वर्ष की जा रही खरीदी में विभाग के साथ सफेदपोश अपना अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं. मनपा प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता से चिंतन करें, यह समय की मांग है.