यवतमाल । गांधीवादी विचारों से प्रेरित होकर हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए उम्रभर वैचारित लढ़ाई लढऩेवाले एकमेव नेता के रूप में मौलाना अबुल कलाम आझाद की यादे इतिहास के पन्नों पर अंकित है. भारतवर्ष में सामाजिक एकता को बढावा देनेवाले मौलाना आझाद स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, पत्रकार और कवी थे. उनके द्वारा राष्ट्रप्रेम की भावना से समाज को एकसूत्र में बांधने की कोशिश अविस्मरणीय एवं प्रेरणादायी है, ऐसे भावनिक विचार मुस्लिम अल्पसंख्याक मंच के तहसील सचिव एवं पार्षद फिरोद दोसानी ने रखे. वे मौलाना आझाद की 126 वीं जयंती समारोह के अवसर पर प्रमुख वक्ता के रूप में बोल रहे थे.
माहुर के आबासाहब पारवेकर मार्केट स्थित मुस्लिम अल्पसंख्याक मंच के कार्यालय में मौलाना आझाद की जयंती मनाई गई. अध्यक्षता कृउबास के सभापति अमजद खान पठान ने की. कार्यक्रम में अ. रहेमान शे. अली, तौफिक खान, मिया भाई, फारुक अजीज अकबानी, अमजदभाई वाईकर, नावीद खान साहब, जमीन मलनस की प्रमुखता से मंच पर उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुवात मौलाना आझाद की प्रतिमा को मान्यवरों ने माल्यार्पण किया. समापन अवसर पर बोलते हुए फिरोज दोसानी ने कहा कि आज सीयासी पार्टिया देशवासियों को हिंदू, मुस्लिम, सीख, इसाई, बौद्ध में बाट रही है. वही प्रान्तवाद और भाषावाद ने सर उठाया है. कहीं मंदिर, मस्जिद को लेकर भारतमाता के सुपूतों में मजहबी जहर बांट जा रहा है. मगर मुस्लिम समाज में जन्म लेकर सभी धर्मों के नागरिकों को देशप्रेम के विचारों में बांधनेवाले मौलाना आझाद ने खिलाफत आंदोलन सफल किया. प्राथमिक शिक्षा में अमुलाग्र बदल करनेवाले वे विष्दान नेता थे. उनके विचारों की आज के युवा मुस्लिम पिढ़ी को जरूरत है, ऐसा आग्रही प्रतिपादन किया.
जयंती समारोह में सामाजिक कार्यकर्ता अज्जूभाई, शे. मोहसीन शब्बीर दुंगे, ताहेर अली, इमरान सैरैय्या, कशिश खाकरा, रफीक सौदागर,साजीद फाजलाणी, प्रमोद राठोड़, सचिन वाघमारे, शे. अय्युब भाई, सुनील आडे की उपस्थित थे.