Published On : Wed, Jun 27th, 2018

अंग्रेजी स्कूलों को लाभ पहुँचाने हेतु मराठी माध्यमों को किया जा रहा बंद

Advertisement

नागपुर: “मराठी माध्यमों के स्कूलों को शुरू करो”, “मराठी माध्यमों की स्कूलों को बंद करना क्रन्तिज्योती सावित्रीबाई फुले का अपमान नहीं सहेंगे”, “इंग्रेजी स्कूलों की दलाली करना बंद कर”, “मनपा की ३४ बंद स्कूलों को चालू करों” आदि नारों के साथ शैक्षणिक सत्र के पहले दिन कॉटन मार्किट स्तिथ क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले के प्रतिमा के सामने नागरिकों ने नारे निदर्शन का आन्दोलन किया।आन्दोलन का नेतृत्व मराठी शाला वाचवा कृती समिति ने किया था.इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक, श्रमिक, शिक्षक संघटनों से जुड़े कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए.

आन्दोलनकारियों को संबोधित करते हुए विधायक ना. गो. गाणार ने कहा कि लॉर्ड मैकाले का सपना पूरा करने का काम वर्तमान सरकार कर रही है, लॉर्ड मैकाले ने कहा था कि अगर भारतीय संस्कृति को ख़त्म करना हो तो भारत में इंग्रेजी भाषा में शिक्षा देनी होगी.विधायक गाणार ने आगे कहा कि चाहे सरकार में कोई भी हो,शिक्षा नीति एक ही है.सभी पक्ष शिक्षा का निजीकरण एवं व्यापारीकरण करती आई हैं. मराठी माध्यमों की स्कूलों को बंद किये जाने का मुद्दा नागपुर में होने जा रहे मानसून अधिवेशन में उठाने का आश्वासन विधायक गाणार ने दिया.

Gold Rate
27 June 2025
Gold 24 KT 96,400 /-
Gold 22 KT 89,700 /-
Silver/Kg 1,07,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

मनपा शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजेश गवरे ने मनपा शिक्षण विभाग द्वारा परस्पर ३४ स्कूलों को बंद किये जाने पर निगम प्रशासन का तीव्र शब्दों में निंदा की और कहा कि मनपा के द्वारा जानबुझकर अंग्रेजी माध्यमों के स्कूलों को खुलने हेतु ना हरकत प्रमाण पत्र दिए गए और बस्ती बस्ती में कान्वेंट कल्चर का माहौल बनाया गया और उसी का परिणाम मनपा के स्कूलें बंद पड गई.गवरे ने कहा की शिक्षक संघ मनपा के बंद मराठी शालाओं को फिर से खुलवाने के लिए कटिबद्द है.

कृति समिति के संयोजक भाई जम्मू आनंद ने सवाल किया कि मराठी स्कूलों को बंद करना या न करना यह एक नीतिगत मामला है और मनपा सदन में प्रस्ताव पारित किये बिना इतनी सारी स्कूलों को बंद कैसे किया जा सकता है. अतः ३४ मराठी माध्यमो के स्कुलो प्रशासन द्वारा परस्पर बंद कर दिया जाना गैरकानूनी है. भाई आनंद ने आगे कहा कि बहुजन एवं श्रमजीवी समाज पर अंग्रेजी में प्राथमिक शिक्षा थोप कर सरेआम बच्चों को पंगु बनाया जा रह है,जिसके खिलाफ संघटित होने का आह्वान भाई आनंद ने किया.

आन्दोलनकारियों को मध्यप्रदेश के भूतपूर्व विधायक एवं किसान नेता डॉ. सुनीलम ने भी सम्बोधित किया एवं मराठी शालाओं को बंद किये जाने के खिलाफ एकजुटता की सरहना की. स्वतंत्रता सेनानी सुश्री लीलाताई चितले,रविन्द्र देवघरे,राजेंद्र झाडे,यशवंत तेलंग,रविन्द्र फड़नविस ने भी अपने विचार रखे. नारे निदर्शन में प्रमुख रूप से वरिष्ठ साहित्यिक डॉ. वि. सा. जोग, डॉ. भारती सुदामे, देवराव मांडवकर, अरुण लटकर, माया चवरे, कल्पना महल्ले, रामराव बावने, प्रफुल्ल चरडे, माया गेडाम, रमेश गवई, किरण ठाकरे, अरविन्द डोंगरे, इंदुबाई गजभिये के अलाव सुरेन्द्र पंडित, शरद चौरिया, शिवसुंदर चौरिया, जगदीश पारधी,दुधारी पाधोराव कोहड़े, नितिन जैसवाल, दिनेश माप्कार, राज कटारे के अलावा बड़ी संख्या में नागरिक उपस्तिथ थे.

Advertisement
Advertisement