नागपुर: मराठा आरक्षण पर किसी को अगर कोई आपत्ती है तो वह 30 जनवरी तक मुंबई उच्च न्यायलय में आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। विधान भवन परिसर में बुधवार को सरकार द्वारा दायर किए गए शपथ पत्र को लेकर शिक्षामंत्री विनोज तावड़े ने बताया कि कोर्ट से स्पष्ट किया है कि 30 जनवरी के बाद किसी भी तरह की आपत्तियां स्विकार्य नहीं की जाएगी।
इसके बाद आरक्षण को लेकर अदालत सीधे सुनवाई शुरू करेगी। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि सरकार ने एफिडेविट पेश कर दिया है, उम्मीद है अदालत 80 फीसदी मराठाओं के आरक्षण विषय पर निर्णय लेगी।
उन्होंने मुस्लिम आरक्षण की चर्चा को साथ में सदन में लाए जाने के विषय को लेकर उन्होंने कहा कि संविधान में धर्माधारित नहीं बल्कि जाती आधारित आरक्षण की व्यवस्था है। हम संविधान के नियमों से बाहर नहीं जा सकते। इसका कई लोग सीधा मतलब यह निकालते नजर आए कि मुसलमानों को आरक्षण देने के पक्ष में सरकार नहीं है। हालांकि मुख्यमंत्री ने मुस्लिम आरक्षण मसले पर अलग से फैसला लेने की बात कह चुके हैं।