नागपुर : नोटबंदी पर विपक्ष की लगातार चर्चा की माँग को शीतसत्र अधिवेशन के तीसरे दिन मंजूरी मिली और आज दोनों सदनों में चर्चा हुयी। विधानपरिषद में विपक्ष की और से नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे, नारायण राणे, शरद रणपिसे, नारायण राणे, जयंत पाटिल, भाई जगताप के साथ अन्य लोगो ने भाषण देकर केंद्र सरकार के विमुद्रीकरण के फैसले पर विरोध दर्ज कराया। सत्ता में शामिल शिवसेना की ओर से नीलम गोहरे ने पार्टी का मत प्रदर्शित किया। विपक्ष ने केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले के नुकसान और जनता पर प्रभाव गिनाते हुए इसकी आलोचना की। नेता प्रतिपक्ष के मुताबिक इस फैसले की वजह से किसानों को 15 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। इस फैसले ने देश में चलन का अकाल ला दिया। कालेधन का संचय करने वाले चैन की नीद ले रहे है जबकि आम आदमी खुद के पैसे हासिल करने के लिए कतारो में अपनी जान गवा रहा है।
विपक्ष द्वारा नोटबंदी पर उठाये जा रहे सवालो पर मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहाँ की विपक्ष भले ही इस फैसले की आलोचना कर रहा हो पर देश का आम आदमी और विश्व के प्रमुख अखबार और अर्थव्यवस्था का अध्ययन करने वाली संस्था इस कदम का समर्थन कर रही है। उन्होंने कहाँ इस फैसले का परिणाम उन्हें भी पता है इसमें कोई संदेह नहीं की आगामी 6 महीनो तक इसका असर राज्य पर होगा पर दो वर्ष की भीतर स्थिति पूरी तरह बदल जाएगी। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने 1923 में प्रॉब्लम ऑफ इंडियन रूपी नाम से शोध पत्र में हर 10 वर्ष में विमुद्रीकरण की बात कही है। 8 दिसंबर को प्रधानमंत्री द्वारा लिया गया निर्णय देश की तस्वीर बदल देगा। कालेधन की लड़ाई में इतिहास में लिया गया यह सबसे बड़ा निर्णय है। दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जिसने एक साथ अर्थव्यस्था की 86 फीसदी करंसी बदलने का निर्णय लिया हो। डिमोनेटाइजेशन का काम घोषणा कर के नहीं किया जा सकता था। इस फैसले की वजह से कैशलेश सोसायटी की अवधारणा पर फूटप्रिंट बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ा जा सकता है।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने भी इसकी वकालत की थी। एक अर्थशास्त्री होने का नाते उनकी सोच सही थी प्रधानमंत्री मोदी कर्मयोगी है इसलिए उन्होंने देश हित में ये फैसला लिया। दुनिया के सभी विकसित देश कैशलेस अर्थव्यस्था को अपना रहे है इसमें हमारी हिस्सेदारी बेहद कम है। देश का ग्रामीण व्यक्ति में स्मार्ट फ़ोन चलना जनता है। राज्य में इस काम के लिए कॉलेज के विद्यार्थियों की मदत से ग्रामीणों को मोबाइल बैंकिंग सिखाई जाएगी। हम कैशलेस मोबाइल वोलेंटियर तैयार करेगे। कितने ही जीआर निकालकर हम आज तक मजदूरो को न्यूनतम हम मजदूरी नहीं दिला पाए। आदेश के बाद भी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य तक नहीं मिलता। हमें इस सब स्थितयों की विवेचना करनी होगी। ऐसा इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि हमारे व्यवहार कैश में होते है। कोई डॉक्यूमेंट एविडन्स नहीं होता। पर जब पैसे सीधे खाते में जायेगे तब पारदर्शिता आएगी। इससे भ्रस्टाचार कम होगा कालधन उत्पन्न नहीं होगा और गरीबो को न्याय और हक़ मिलेगा।