नागपुर– लॉकडाउन के कारण कई कंपनिया, लघु उद्योग बंद हो चुके है, ऐसे में कई लोगों के जॉब चले गए है. हालांकि 2 महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील की थी कि किसी को भी नौकरी से न निकाला जाए. लेकिन इस अपील से किसी का भी भला नहीं हुआ. लोगों को निकालना अब भी जारी है. अब मनपा के 95 अभियंताओ के साथ ही कम से कम 150 लोगों को नौकरी से निकाला गया है. जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी की महत्वाकांक्षी योजना अनुसार शहर में 324 करोड़ रुपए के सीमेंट रोड बनाए जा रहे है. इसकी देखरेख करने के लिए अस्थायी अभियंताओं की नियुक्ति की गई थी. पिछले महीने इसमें 95 अभियंताओं का कार्यकाल बढ़ाने से मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे ने इनकार कर दिया ‘ कहा कि इनकी आवश्यकता नहीं है.
इसके अलावा कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार की ओर से मनपा में ग्रंथालय सहायक और सुरक्षा रक्षक के रूप में पिछले साल पदभार संभालने वाले 12 लोगों को भी मनपा आयुक्त ने घर बैठा दिया. आदेश में कहा कि नियुक्ति नियमों के दायरे में नहीं है. अब पीड़ितों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
इसके साथ ही स्मार्ट सिटी प्रकल्प अंतर्गत कार्यरत 12 अधिकारियों की छुट्टी की गई है. इन्हें पहले 5 मिनट में इस्तीफा देने को कहा गया. 12 में से 4 ने तुरंत इस्तीफा मनपा आयुक्त को सौंप दिया और जिन्होंने नहीं सौंपा, ऐसे लोगों को बर्खास्त कर दिया गया. फिलहाल इस कार्यशैली को लेकर अब अस्थायी और स्थायी दोनों कर्मचारियों में दहशत का माहौल है. 11 फायर मैन और 3 अकाउंटेंट को भी घर का रास्ता दिखाया गया. इसी दौरान ठेका पद्धति से मनपा में कार्यरत एक विधि अधिकारी और 4 सहायक विधि अधिकारी का भी कार्यकाल बढ़ाने से इनकार कर दिया गया.
इस पर स्थायी समिति के सभापति विजय (पिंटू) झलके ने कहा है की जिस किसी की भी सेवा समाप्त की जा रही है, मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर कम से कम उन्हें तीन महीने का समय दिया जाना चाहिए. अचानक नौकरी जाने से कई लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. एक व्यक्ति नहीं, उसका पूरा परिवार प्रभावित होता है.