Published On : Thu, Jul 20th, 2017

समाज प्रबोधन कार्यक्रम किसी धर्म विशेष के लिए नहीं और न ही संघ का एजेंडा – मनमोहन वैद्य

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Manmohan Vaidya

File Pic

नागपुर: इन दिनों संघ के परिवार प्रबोधन अभियान को लेकर चर्चा हो रही है। इस अभियान के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा जो बातें कहीं गई है उस पर संघ की विचारधारा के विरोधी सवाल उठा रहे है। दरअसल संघ के इस अभियान के तहत परिवारों में कुछ विशेष नियमो के पालन की अपील की जा रही है जिसको लेकर आपत्ति उठाई जा रही है। अभियान के तहत संघ के स्वयंसेवक घर घर जाकर प्रबोधन कर रहे है जिसमें व्यस्त जीवनशैली में परिवार को संगठित और तनाव रहित रखने के लिए ख़ास तरीकों को अपनाने की सलाह दी जा रही है।

आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में इस अभियान के अंतर्गत शहर को 12 विभागों में बांटा गया है और संघ कार्यकर्त्ता घर घर जाकर परिवार प्रबोधन की जानकारी दे रहे है। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य के अनुसार यह अभियान बीते 10 वर्षो से चल रहा है पर मीडिया में इसकी चर्चा हाल फिलहाल में हो रही है। संघ के विरोधियो की आलोचनाओं का जवाब देते हुए वैद्य ने कहाँ कि संघ समाज पर अपना कोई छुपा एजेंडा नहीं थोप रहा है। बस भारतीय समाज में फ़ैली सामाजिक बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। संघ का परिवार प्रबोधन किसी धर्म विशेष के लिए नहीं है यह सभी भारतीय परिवारों के लिए है सभी धर्मो के लोगो के लिए है।

देश में संयुक्त परिवार का चलन कम हो गया है परिवारों में विभाजन की वजह से बच्चों को बुजुर्गों से मिलने वाले संस्कार वाली परंपरा ख़त्म होती जा रही। है जीवन की आपाधापी में साथ रहने के बावजूद सदस्यों के पास एक दूसरे के लिए समय नहीं है। हर कोई अपनी – अपनी बातों में उलझा है। ऐसे हालातों में युवा तनाव का शिकार होते है क्युकी उसने संवाद करने का समय किसी के पास नहीं है। यह एक तरह का अंतर्गत सामाजिक विभाजन है जिसे इस अभियान के तहत दूर किये जाने का प्रयास हो रहा है।

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वैद्य के अनुसार इस अभियान के तहत परिवारों से तीन बातों से सप्ताह में एक दिन दुरी बरतने की अपील की जा रही है। यह तीन बातें है क्रिकेट, फिल्म और पॉलिटिक्स इस तीन मुद्दों पर सार्वजनिक जीवन में ज्यादा चर्चा होती है बेहतर होगा की लोग इस तीन मुद्दों पर लगाने वाले अपने समय का कुछ हिस्सा अपने परिवार को दे। सप्ताह में एक दिन पाँच परिवार एक साथ मिले और अपने जीवन के अनुभव एक दूसरे से साझा करे। इस दौरान सामाजिक मुद्दों की चर्चा हो जिसका लाभ देश और समाज को हो। शाम को टीव्ही देखने का समय अगर परिवार को दिया जाने तो इससे परिवार का ढाँचा मजबूत होगा। संघ का यह अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा।

संघ के इस अभियान को विरोधी जीवन जीने के लिए देश की जनता पर ख़ास किस्म का कोड़ ऑफ़ कंडक्ट थोपे जाने की बात कह कर आलोचना कर रहे है लेकिन मनमोहन वैद्य ने विरोधियों के इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया है।

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