Published On : Fri, Jun 16th, 2017

महिंद्रा लाइफस्पेसेस : एक जानलेवा दुःस्वप्न, जो बना ग्राहकों की परेशानी का सबब

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mahindra
नागपुर
 : अपनी रिहायशी टाउनशिप “महिंद्रा ब्लूमड़ेल” में घटिया दर्जे के निर्माण एवं ख़राब काम के लिए चर्चा में आये ‘महिंद्रा लाइफस्पेसेस’ की परेशानियों में और इजाफ़ा होने के आसार हैं. जैसेही नागपुर टुडे ने उनके इस घटिया काम का पर्दाफाश किया, उसके अगलेही दिन कई बाधितोंने अपनी दबी हुयी आवाजों को मुखर किया. बड़ी संख्या में उपभोक्ताओंने सोशल मीडिया का सहारे लेते हुए निर्माण में छुपी हुयी कमियों को जैसे के – टूटे छत, दीवारों में दरारें, असंगत तरीके से लगी टाइल्स, निम्न दर्जे की फिटिंग आदि की पोलखोल की है.

यहाँ तक की महिंद्रा लाइफस्पेसेस के खिलाफ अपनी शिकायतों का एकसाथ बखान करने के लिए “ब्लूमड़ेल नागपुर” बाधितों ने अपना एक व्हाट्सअप ग्रुप भी बनाया हैं. नागपुर टुडे की खबर के बाद महिंद्रा लाइफस्पेसेस के घटिया काम के प्रति फुटा लोगों का गुस्सा, ये रहा उन्हीके शब्दों में आपके सामने.

एक ग्राहक पियूष जो ‘अरिसेंट’ में एक प्रोडक्ट विशेषज्ञ हैं ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा की, “मैंने इस फ्लैट की हालत देखि है, बाथरूम में जगह की कमी और निम्न दर्जे की फिटिंग एवं प्लास्टिक का इस्तेमाल, टूटे हुए स्विच, कोटा मार्बल्स का इस्तेमाल और अनमने ढंग से लगाई गयी टाइल्स और बीच में दरारें यही नज़ारा हैं. यह ग्राहकों के साथ सरासर नाइन्साफ़ी है. एक साल से भी ज्यादा दिनों के बाद हमें घर सौंपा गया. महिंद्रा के प्रतिनिधि ने तो वायदा किया था की, महिंद्रा एक कॉर्पोरेट कंपनी है. लेकिन कंपनीने अपनी नैतिकता और मूल्यों को भुला दिया है.

नागपुर के लक्ष्मीनारायण तकनिकी संस्थान से स्वर्णलता चौधरी ने लिखा की, “हमने भी बिल्डिंग एवं निर्माण की खस्ता हालत देखि है. लगता है ये काम किसी थर्ड क्लास बिल्डर से करवाया गया है. और बड़े हैरानी की बात है की, यंहा सीसीटीव्ही कैमरों का नामोनिशान नहीं है. रेलिंग भी निम्न दर्जे के लोहे की है, एवं डिज़ाइन भी घटिया है. मैंने वो टूटे दरवाजे वाला डुप्लेक्स भी देखा है. हमने श्री. श्रीनिवासन से पूछा की यह कैसे टुटा, तो उन्होंने बडा मजाकिया जवाब देते हुए कहा की, कोई यहाँ रहने नहीं आया इसलिए. निर्माण का दर्ज़ा एकदम घटिया था और वो मंज़र किसी दुःस्वप्न से कम नहीं था.”

सुदीप दिलीप बैनर्जी, जो माज़दा ओमान में मस्कत सेल्स के प्रमुख हैं ने कहा की, “महिंद्रा के साथ ऐसे कई मामले सामने आये हैं. जहाँ इनके सैंपल फ्लैट्स कला का एक नमूना होते हैं, वहीं असली वाले इसके एकदम विपरीत. दरवाजे और ताले एकदम सस्ती क्वालिटी के होते हैं. टाइल्स को सीमेंट नहीं लगा होता, और फर्श में खुली दरारें, रिसाव भी होता हैं. ऐसी कोई भी समस्या उन्हें बताई जाये, तो कंपनी कहेगी की, हम इसे ठीक कर देंगे. मैं भी एक निर्माणाधीन डुप्लेक्स फ्लैट का मालिक होने के कारण काफी चिंता में हूँ. हम इन सब के लिए तो 1 करोंड रुपये नहीं देते.”

दरअसल सुदीप बैनर्जीने सभी बाधित उपभोक्ताओं को अपने मोबाइल क्र. 96899377927 पर व्हाट्सअप ग्रुप में जुड़ने की अपील करते हुए उन्हें मैसेज करने को कहा है. “कई बाधित तो पहलेसे ही इस ग्रुप में शामिल हैं.” इसके बाद व्हाट्सअप की 255 सदस्यों की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए, वॉइस ऑफ़ वर्ल्ड के अध्यक्ष राजीब चक्रबोर्ती ने बैनर्जी से एक गुज़ारिश की हैं, के महिंद्रा लाइफस्पेसेस के खिलाफ सभी ग्राहकों को एकत्रित करने के लिए वो एक फेसबुक पेज भी ओपन करें.

इंडियन आयल कॉर्पोरेशन में पेट्रोकेमिकल्स बिज़नेस डेवलपमेंट विभाग में कार्यरत अमोल छपनीमोहन ने कहा की, “ब्लूमड़ेल वालें अपने निर्माणाधीन फ्लैट्स को देखने की अनुमति किसी को नहीं देते है, सिर्फ फ्लैट के हस्तांतरण किये जाने पर ही ग्राहक उसे देख या फिर जाँच सकता है. अगर वें ग्राहकों को निर्माण के वक्त फ्लैट्स देखने की अनुमति देंगे तो कई खामियां और दोषों से उसी वक्त टाला जा सकता है. हालांकि अपने ही ग्राहकों को उनकीही जायदाद का मुआयना करने से रोकने वाली इस बात से “महिंद्रा लाइफस्पेसेस” के दूषित इरादे साफ़ झलकते हैं.

“यह सच है.”, उनके साथ सहमति जताते हुए पियूष कहतें हैं. महींद्रावाले हरबार एकही जवाब देते हैं की, वो एक कारपोरेट संस्थान हैं. मुझे लगता हैं, फ्लैट्स देखने की इजाजत ना देकर वो इन गंभीर मसलों को छुपाते हैं और मुख्य वास्तुदोषों को भी नजरअंदाज करते हैं.

क्याव सोनिक के एटीएच सीएसएन ने कहा की, फ्लैट मालिकों को दूसरों के निर्माणाधीन फ्लैट देखने की अनुमति नहीं दी जाती, ताकी सबको व्यक्तिगत रूप से ठगा जा सकें. यही तो इनकी चालाकी है. डेवलपर्स को तो अपने समूचे प्रोजेक्ट को अवलोकन के लिए खुला रखना चाहिए, तथा ग्राहकों के दिए सुझावों का भी विचार होना चाहिए.

आईआईटी मुंबई के निखिल रामकृष्णन भी ब्लूमड़ेल, नागपुर में घटिया काम के खिलाफ अपनी शिकायतें बयान करने को बेताब थे. जब “नागपुर टुडे” ने ‘महिंद्रा लाइफस्पेसेस’ के दरवाजे पर दस्तक दी, तो उसके अधिकृत संवाददाता ने अपने पुराने जवाब को दोहराते हुए कहा की, “ब्लूमड़ेल स्वीकृत प्लान के तहत ही निर्मित हुआ है, तथा सभी संकेत, नियम एवं मानदंडों का भी सही पालन हुआ है.

जैसे पहले हमने बताया था की, सुरक्षा और क्वालिटी हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और ग्राहकों की सभी अड़चनों को सुलझाने में हम तत्पर रहते हैं. हम ग्राहकों को अपने विभिन्न अधिकृत चैनल्स के जरिये हमसे जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. हम उनकी सच्ची और न्याय समस्याओं के उचित समाधान की भी गारंटी लेते हैं. हमने ब्लूमड़ेल में ३०० से ज्यादा उपभोक्ताओं को घरों का हस्तांतरण किया है. इस प्रोजैक्ट के रहनेलायक होने के संदेह को नकारते हुए उन्होंने कहा की, ७० परिवार तो पहलेही यहां रहने आ चुकें हैं.”

इस प्रोजेक्ट का निर्माणस्तर इतना घटिया है, की ये निवासियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. लेकिन महिंद्रा लाइफस्पेसेस के प्रवक्ता ये स्पष्ट नहीं कर पाए के, आखिर इस घटिया दर्जे के काम की वजह क्या है ?