Published On : Sat, Jul 7th, 2018

लिंग जांच कानून तोड़ने में महाराष्ट्र अव्वल

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प्रसव पूर्व लिंग जांच रोकथाम कानून को लेकर पहली बार केंद्र सरकार ने राज्यों की स्थिति रिपोर्ट जारी की है। इसके तहत महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा रिपोर्ट दर्ज किए गए हैं। जबकि राजस्थान दूसरे और हरियाणा तीसरे स्थान पर है।

अमर उजाला को मिली रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में लिंग जांच कानून को लेकर सख्ती बरती गई है। साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी।

इसके बाद देश में प्रसव पूर्व लिंग जांच रोकथाम अधिनियम (पीसीपीएनडीटी) पर सरकारी तंत्र सख्त हुआ। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि 2015 से मार्च 2018 के बीच काफी हद तक लिंग जांच पर सख्ती देखने को मिली है।

मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू होने के बाद कानून में भी फेरबदल किए गए थे। इसके बाद सभी राज्यों में लिंग जांच के खिलाफ कार्रवाई भी गई। इसके चलते राज्यवार स्थिति जानने के लिए यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

ये हैं शीर्ष 10 राज्य, रिकॉर्ड तोड़ केस हुए दर्ज
मंत्रालय के अनुसार रिपोर्ट में 10 शीर्ष राज्यों की सूची तैयार की गई है, जहां सबसे ज्यादा लिंग जांच करने वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज किए गए हैं। इनमें महाराष्ट्र 679 केस के साथ शीर्ष पर है।

इसके अलावा राजस्थान (580), हरियाणा (265), गुजरात (215), पंजाब (143), उत्तर प्रदेश (139), बिहार (130), तमिलनाडू (123), दिल्ली (101) और कर्नाटक (79) शामिल हैं।

हरियाणा से सबसे ज्यादा सीज की गई लिंग जांच की मशीन
रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा लिंग जांच करने की मशीनों को हरियाणा में सीज किया गया है। अब तक सभी राज्यों को मिलाकर 2036 मशीनें सील की गईं। जिनमें हरियाणा से केवल 537 मशीनें हैं। वहीं, राजस्थान (506), महाराष्ट्र (462), दिल्ली (168) और तेलंगाना (108) शामिल हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में 39, उत्तराखंड में 12, मध्यप्रदेश में 17, कर्नाटक में 58, बिहार में 36 और पंजाब में 35 मशीनों को सील किया गया।

सबसे ज्यादा रिकॉर्ड में मिली छेड़खानी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक संयुक्त निदेशक ने बताया कि अब तक देश में जितने भी मामले दर्ज किए हैं, इनमें से ज्यादातर छेड़खानी जैसे मामलों के हैं। छापेमार कार्रवाई के दौरान लिंग जांच करने वाले केंद्र के रजिस्टर की जब पड़ताल हुई तो कई तरह के रिकॉर्ड में खामियां मिलीं। उन्होंने बताया कि 2735 केस दर्ज हैं, इनमें से 1313 मुकदमों में सजा सुनाई जा चुकी है। इन्हीं में 1701 मामले ऐसे थे, जिसमें रिकॉर्ड में छेड़खानी मुख्य वजह थी। इनके अलावा भ्रूण लिंग जांच की लोगों को जानकारी देने वाले 387 और जांच कराने आने वालों का ब्यौरा न रखने वाले 315 सेंटरों को पकड़ा गया था।