नांदेड़: एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दे रहे है तो वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में बेटा पैदा करने का तरिका सिखाया जा रहा है. मेडिसिन ऐंड सर्जरी के ग्रेजुएट कोर्स (बीएएमएस) की किताब में छात्रों को बेटा पैदा करने का नुस्खा पढ़ाया जा रहा है.
मुंबई के एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार ‘मुंबई मिरर’ में छपी खबर के अनुसार, नर भ्रूण तैयार करने की प्रकिया को पूसनवान कहा जाता है. जिस महिला को भी बेटे की चाहत होती है उसने बच्चा प्लान करने से पहले इस प्रक्रिया को अपनाना चाहिए. बेटा पैदा करने की तकनीक के बारे में किताब में लिखा है कि, “उत्तर दिशा मुखी बरगद के पेड़ की पत्तियां, सरसों के दानों और उड़द दाल को पीसकर दही में मिला लें. अब इस मिश्रण का सेवन करें. इससे पुत्र पैदा होगा.”
इस पुस्तक में बेटा पैदा करने का एक और तरीका बताया गया है जो काफी महंगा है. इस तकनीक के अनुसार जो महिला बेटा चाहती है उसे सोना, चांदी या लोहे से दो पुरुषों की छोटी मूर्तियां बनानी होंगी. इसके बाद उन्हें आग में झोंककर पिघलाना होगा. पिघले हुए पदार्थ को दूध, दही या पानी में मिलाकर पुष्प नक्षत्र की शुभ घड़ी में पीना होगा.
नांदेड़ के डॉ. शंकरराव मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन डॉ. दिलिप की निगरानी में यह विवादित सिलेबस तैयार किया गया है.