महाराजबाग प्रशासन ने कहा करेंगे केंद्र सरकार से अपील
नागपुर : नागपुर का महाराजबाग प्राणिसंग्राहलय नागपुर का ऐतिहासिक स्थल होने के साथ प्रकृति और वन्यजीव प्रेमियो के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहा है. लेकिन केंद्रीय प्राणी प्राधिकरण ने औरंगाबाद के सिद्दार्थ उद्यान के प्राणी संग्रहालय की अनुमति रद्द करने के बाद अब महाराजबाग प्राणी संग्रहालय की मान्यता भी रद्द की है.
जिसके कारण नागपुर के इस ऐतिहासिक स्थल के प्राणी संग्रहालय को रद्द करने से निसर्गप्रेमी नाराज हैं. केंद्रीय प्राणी संग्रहालय ने प्राणी संग्रहालय की मान्यता रद्द करने के कारण बताएं हैं. जिसमें प्राणिसंग्रहालय में बालोद्यान अलग नहीं किया करने, गया, कचरा व्यवस्थापन ठीक नहीं है, संरक्षण दीवारें नहीं है, मत्स्यालय और प्राणियों की जानकारी बराबर नहीं है, प्राणियों की सही तरीके से देखभाल नहीं करना, प्राणियों को योग्य पिंजरे में नहीं रखा गया है.
इसके साथ ही प्राणियों का स्थान्तरण बिना अनुमति के किया जाता है. इन कारणों को सामने रखकर यह पत्र दिया गया है. नागपुर का महाराजबाग हमेशा से ही कुछ न कुछ विवादों में रहा है. नागपुर का महाराजबाग अभी अपने 125 साल में पदार्पण कर रहा है. महाराजबाग की स्थापना 1894 को हुई थी. हालांकि इसपर अभी संदेह बना हुआ है कि यह बंद होगा की नहीं.
इस बारे में महाराजबाग के प्रभारी अधिकारी डॉ. सुनील बावस्कर ने बताया कि अभी उन्हें पत्र मिला है. 24 से 25 पन्नों का यह पत्र है. उसे उन्होंने पूरी तरह से नहीं पढ़ा है. लेकिन उनका कहना है कि पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ के अधीन महाराजबाग आता है. जिसके लिए अब इसे बचाने के लिए केंद्र सरकार से अपील की जाएगी.