नागपुर — वर्षों से लंबित पड़े महादेव लैंड डेव्हलपर्स निवेश घोटाले में निवेशकों के लिए राहत भरी खबर है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ को हाल ही में सूचित किया गया कि निवेशकों को उनकी राशि की वापसी प्रक्रिया 30 जून 2025 से शुरू की जाएगी। यह जानकारी अदालत में नियुक्त अधिकृत परिसमापक (Official Liquidator) ने दी है।
यह मामला महादेव लैंड डेव्हलपर्स से जुड़ा है, जिसने निवेशकों को मासिक प्रलोभन व निश्चित जमा योजनाओं में भारी रिटर्न का वादा किया था। लेकिन कंपनी अपने वादों को निभाने में विफल रही, जिसके बाद संजय निंबुलकर सहित 47 निवेशकों ने न्यायालय में याचिका दायर कर राहत की मांग की।
अब तक की प्रमुख प्रगति:
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कंपनी की 49 संपत्तियों की नीलामी की जा चुकी है, जिनमें से 31 अभी भी बिना खरीदार के हैं।
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नीलामी से ₹2.59 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है।
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अन्य स्रोतों से ₹6.70 करोड़ की राशि प्राप्त हुई, जिसमें से ₹5 करोड़ निवेशकों के लिए डिविडेंड खाते में जमा किए गए हैं।
अदालत ने परिसमापक को निर्देश दिया है कि 4 जुलाई 2025 तक रिफंड प्रक्रिया पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
इनकम टैक्स विभाग की दावेदारी खारिज
इनकम टैक्स विभाग ने कंपनियों अधिनियम, 1956 की धारा 530 के तहत प्राथमिक भुगतान की मांग की थी। लेकिन परिसमापक के वकील ने अदालत को सूचित किया कि यह दावा विधिसम्मत नहीं है और अधिनियम के तहत कोई वैध प्राथमिकता नहीं बनती। हाईकोर्ट ने यह निर्णय विभाग को उनके विधिक प्रतिनिधि के माध्यम से सूचित करने का आदेश दिया है।
आगे की कार्यवाही
शेष बची 31 संपत्तियों को बेचने के प्रयास जारी हैं और शीघ्र ही समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी किए जाएंगे। साथ ही, अदालत ने निर्देश दिया है कि अब तक बेची गई सभी संपत्तियों की सूची अदालत में प्रस्तुत की जाए।
अब तक परिसमापक को 2,931 निवेशकों के दावे प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 2,021 दावों का सत्यापन और निपटारा किया जा चुका है। शेष दावे अभी जांचाधीन हैं क्योंकि वे फोटोकोपी दस्तावेजों पर आधारित हैं। निवेशकों से मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने की अपील की गई है ताकि रिफंड प्रक्रिया में पात्रता सुनिश्चित की जा सके।
पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में महादेव लैंड डेव्हलपर्स के संचालक प्रमोद अग्रवाल ने एक बड़ा निवेश घोटाला अंजाम दिया था। उन्होंने 3,000 से 4,000 लोगों, जिनमें बड़ी संख्या में दैनिक मजदूर भी शामिल थे, से करीब ₹500 करोड़ की ठगी की थी। यह पैसा ज़मीन देने और ऊंचे रिटर्न का लालच देकर वसूला गया था।
हाईकोर्ट के ताज़ा निर्देशों ने पीड़ित निवेशकों में एक बार फिर न्याय की उम्मीद जगाई है, जो पिछले एक दशक से अपने पैसे की वापसी का इंतजार कर रहे थे।