नागपुर: मनपा अगर अपनी सम्पत्तियों का अंकेक्षण करें तो राज्य के प्रथम 5 मनपाओं में की गिनती में शामिल हो सकती है. प्रशासन की लापरवाही और सत्तापक्ष की अनिच्छा से मनपा की सम्पत्तियों को भूमाफिया हथियाते जा रहे हैं. जब कभी मामला उठता है तो आलाअधिकारी के कलम का शिकार होने से बचने के लिए ‘लेटर बम’ डालकर तत्काल मामले को शांत कर दिया जाता है. इन दिनों अंबाझरी तालाब के किनारे व हिंगणा रोड से लगे एक लीजधारक को मनपा के सम्पत्ति कर विभाग ने नोटिस थमाया है.
ज्ञात हो कि लक्ष्मी नगर जोन अंतर्गत आने वाली उक्त जमीन वर्षों पहले मोरे को लीज पर दी गई थी. वह भी मात्र 11 माह की लीज पर वर्ष 2000 के आसपास दिया गया था. यह जगह मनपा के प्रचलित भाषा में ‘ओल्ड कांजी हाउस’ के नाम से जानी जाती है. मोरे ने इसके बाद ‘रिनुअल’ नहीं करवाया. मोरे इस जगह पर कई व्यवसायिक व शैक्षणिक उपक्रम चला रहे हैं.
इस सन्दर्भ में जब ‘नागपुर टुडे’ ने मनपा के स्थापत्य व बांधकाम सभापति संजय बंगाले से जिक्र किया तो उन्होंने जवाब दिया कि मनपा स्थावर विभाग के मार्फ़त लीजधारक को नोटिस दिया गया है. लेकिन सवाल यह है कि ‘लेटर बम’ की बजाय, क्योंकि लीजधारक ‘डिफॉलटर’ है, इसलिए मनपा प्रशासन को जगह कब्जे में लेने की कार्रवाई करनी चाहिए थी.
उल्लेखनीय यह है कि मनपा में ठोस कार्रवाई तब की होती है जब जरूरत महसूस की जाती है. प्रशासन तब तब मामला टालने या शांत करने के लिए ‘लेटर बम’ फेंक सबका मुंह बंद कर देता है. ‘नागपुर टुडे’ ने अपने पिछली रिपोर्ट में मनपा प्रशासन को ‘लैंड ऑडिट’ कराने की सलाह दी थी. क्यूंकि इस सन्दर्भ में मनपा में जानकार अधिकारी वर्ग मनपा को चूना लगा रहे हैं. पिछले 20 साल के रिकॉर्ड का सूक्ष्म निरिक्षण किए जाने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. इस ओर मनपा ने जरा भी और लापरवाही की तो ताक में लगे कई भूमाफिया, कुछ और सम्पत्तियों से मनपा को हाथ धोना पड़ सकता हैं. इसके बाद कुछ जुर्माना लेकर उसे नियमित करना ही शेष रह जाएगा.