Published On : Sun, Sep 25th, 2016

“एनएचएआई’ के सहारे महादुला-कोराडी का अतिक्रमण हटाने की साजिश रची पालकमंत्री ने

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नागपुर: सड़क पर अतिक्रमण को पनपने नहीं देने सह हुए अतिक्रमण को हटाने का नियमानुसार जिम्मा स्थानीय ग्राम पंचायत व नगर पंचायत की होती है. लेकिन अपने हाथों अपनों का गला रेतने से बचाने लिए अन्य सम्बंधित विभाग द्वारा अपनों का गला रेतने का मंसूबा लिए पिछले सप्ताह राज्य के ऊर्जामंत्री व जिलाए के पालकमंत्री व कोराडी-कामठी-मौदा के विधायक ने न सिर्फ “एनएचएआई’ के विभागीय अधिकारियों के कपडे फाड़े बल्कि अतिक्रमण कार्रवाई हेतु पहल करने पर मजबूर कर दिया।

सालों से कोराडी-महादुला इलाके में (छिंदवाड़ा मार्ग के इर्द-गिर्द) बाजार लगता था,इस डेढ़ किलोमीटर के परिसर में अतिक्रमणकारियों की वजह से यह राष्ट्रीय महामार्ग-६९ “वन-वे” सा संकीर्ण हो गया था. दुर्घटनाएं सरचढ़ कर बोल रही थी, कुछ वर्ष पूर्व सदर निवासी मोहन कारेमोरे ने अतिक्रमण मुक्त महामार्ग के हितार्थ उच्च न्यायलय में एक जनहित याचिका दायर की. न्यायालय ने मुद्दे की गंभीरता के मद्देनज़र सम्बंधित विभाग को अतिक्रमण मुक्त महामार्ग करने का आदेश दिया था. जो कि महामार्ग विभाग ने लगातार ७२ घंटे में करवाया लेकिन सफाई से नहीं करने की वजह से “सर्विस रोड’ सहित उसके किनारे बनाये गए पानी निकासी व्यवस्था और उसके बाद की आरक्षित जमीनों पर स्थानीय नागरिकों का जबरन कब्ज़ा हो गया. आज यह हालात है कि अतिक्रमण की वजह से दो पहिये वाहन के अलावा कोई भी बड़ा वाहन सुचारू रूप से “सर्विस रोड” से नहीं गुजर सकता है.

कोराडी-महादुला के दोनों ओर के सर्विस रोड की कुल लंबाई लगभग ३ किलोमीटर है. इस “सर्विस रोड” मार्ग सहित राष्ट्रीय महामार्ग की जमीन पर अवैध रूप से डटे अतिक्रमण को नियमानुसार हटाने की जिम्मेदारी स्थानीय महादुला ग्राम पंचायत और कोराडी नगर पंचायत की है लेकिन दोनों पंचायतों में भाजपा की सत्ता है. अगर इन्होंने नियमानुसार दल-बल का प्रयोग कर अतिक्रमण हटाया तो दोनों पंचायतों के सत्ताधारी सहित स्थानीय भाजपा विधायक को राजनैतिक रूप से नुकसान उठाना पड़ेगा. तो दूसरी और कोराडी मंदिर के आसपास उच्च कोटि का पर्यटन स्थल बनाने के लिए सम्पूर्ण परिसर व्यवस्थित करने के उद्देश्य से उक्त अतिक्रमण मुक्त करवाकर नियमित बस सेवा आदि सुविधायुक्त कोराडी-महादुला परिसर निर्माण करने की मंशा स्थानीय विधायक व जिले के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले की है. इसलिए स्थानीय अतिक्रमणकारी जो बावनकुले के मतदाता भी है, उन्हें हटाने के लिए बावनकुले ने तय रणनीति के आधार पर पहल करते हुए विगत सप्ताह रविभवन में “एनएचएआई’ के विभागीय अधिकारियों को बुलवाकर लगभग पौन घंटा जमकर अपशब्दों से लैस फटकार लगाई,कहा कि नवरात्र के पूर्व अतिक्रमण हट जाना चाहिए। लेकिन अतिक्रमण हटाने के लिए किसी भी प्रकार के सहयोग देने से मना भी कर दिया। जबकि पालकमंत्री के मांगों अनुरूप जगह की अतिक्रमण हटाने हेतु आने वाली आफत और लगने वाली सहयोग से भली-भाँति वाकिफ होने के बावजूद सहयोग मामले में कोई पहल नहीं की.उन्हें मालूम था कि सहयोग करते ही स्थानीय अतिक्रमणकारियों को भनक लगी तो दो-चार पत्थर पालकमंत्री पर भी उछालने ने अतिक्रमणकारी गुरेज नहीं करेंगे।

पालकमंत्री बावनकुले की अपशब्द सुन “एनएचएआई’ के विभागीय अधिकारियों ने कोराडी पुलिस से संपर्क किया. इन अधिकारियो को पता था कि अतिक्रमण नहीं हटाएंगे तो बावनकुले के आका ही राष्ट्रीय महामार्ग के केंद्रीय मंत्री है, नहीं सुनने पर ऐसे “सन्नाटे” में तबादला कर देंगे कि कहीँ के नहीं रहेंगे.

कोराडी पुलिस ने “एनएचएआई’ के विभागीय अधिकारियों को जानकारी दी कि कोराडी पुलिस के भरोसे उक्त अतिक्रमण हटाना नामुमकिन है, इसलिए पुलिस आयुक्तालय में निवेदन कीजिये. “एनएचएआई’ के विभागीय अधिकारियों का दल पुलिस आयुक्तालय पहुँच उक्त अतिक्रमण हटाने हेतु पुलिस बल मांग की. यह भी आश्वासन दिया कि पुलिस बल का सम्पूर्ण खर्च राष्ट्रीय महामार्ग कार्यालय द्वारा किया जाएंगे.

लेकिन पहली दफे पुलिस आयुक्तालय ने उक्त अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस बल का सहयोग देने से मना कर दिया।फिर राष्ट्रीय महामार्ग कार्यालय के गुजारिश पर कोराडी पुलिस से अतिक्रमण कार्रवाई दौरान लगने वाले अधिकारी-कर्मी का लेख-जोखा माँगा. कोराडी पुलिस ने १०० से अधिक अधिकारी-कर्मी सह वज्र आदि वाहनों की सूची पुलिस उपायुक्त कार्यालय को दी. तो पुलिस उपायुक्त कार्यालय ने पुलिस आयुक्तालय वही “डिमांड” भेज दी. कल शुक्रवार या फिर आज “डिमांड” के अनुरूप खर्च का आंकलन कर राष्ट्रीय महामार्ग के विभागीय कार्यालय को जानकारी दी जाएँगी।फिर दिए गए राशि भरने के बाद अतिक्रमण हटाने की तिथि (संभवतः २७ या २८ सितंबर २०१६) तय की जाएंगी.

इससे पालकमंत्री का मसला तो हल हो जायेगा, साँप भी मर जाएँगी और लाठी भी नहीं टूटेगी. लेकिन सवाल तो अभी भी बरकार रह गई कि क्या सत्ताधारी सत्ता (दिल्ली से लेकर गल्ली तक) में आते ही अपना आपा खो बैठी जो आये दिन कर्मठ अधिकारियो-कर्मियों को अपशब्द पर अपशब्द कर तिरस्कार करती रहती है. या फिर इन्हें (सत्ताधारियो) को समझ में आ गया है कि यह इनका अंतिम कार्यकाल है. खैर जो भी हो पिछले कुछ सालों में भगवा चोला ओढ़े सफेदपोश नेताओं के व्यव्हार से सरकारी महकमा काफी मायूस है.

नोटिस मिलते ही मुस्तैद हुए अतिक्रमणकारी
राष्ट्रीय महामार्ग के सिफारिश पर कोराडी नगरपंचायत के मुख्याधिकारी ने अतिक्रमणकारियों को नोटिस थमाया. इस नोटिस को प्राप्त करते ही अतिक्रमणकारियों ने अतिक्रमण कार्रवाई दस्ता से निपटने के लिए विरोध करने हेतु मुस्तैद हो चुके है. इसकी कोराडी पुलिस की खुफिया विभाग ने संबंधितों को अवगत करवाई है.

– राजीव रंजन कुशवाहा