अभिनेत्री से रेप के आरोपी स्वघोषित साधू स्वामी नित्यानंद को आठ वर्षों के बाद जज सजा सुना सकते हैं। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने नित्यानंद की वह दलील ठुकरा दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके और अभिनेत्री के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अदालत ने नित्यानंद के सहयोगियों के द्वारा दायर की गई आपराधिक संशोधन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। सत्र अदालत ने 19 फरवरी को नित्यानंद और अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का फैसला लिया था, जिसके बाद स्वघोषित साधू के सहयोगियों ने याचिका दायर कर कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सीआईडी के जांच अधिकारी होनप्पा ने टीएनएम को बताया- ”उच्च न्यायालय ने आरोपियों के द्वारा दायर की गई याचिकाओं को खारिज कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 28 मई को होगी।” दिसंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने जिला और सत्र अदालत को नित्यानंद के खिलाफ आरोप तय करने और तेजी से सुनवाई करने के लिए कहा था।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि अदालत को आरोपियों के द्वारा उनके बचाव में पेश किए जा रहे किसी दस्तावेज के बारे में विचार करने की जरूरत नहीं है। याचिका में यह कहते हुए नित्यानंद और अन्य के लिए राहत मांगी गई थी कि भारत और विदेश में पीड़िता के साथ नित्यानंद ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे। लेकिन हाईकोर्ट ने सवाल किया था कि कहीं नित्यानंद ने दबाव बनाकर पीड़िता की सहमति तो स्वीकार नहीं की? 44 वर्षीय नित्यानंद के खिलाफ खिलाफ यौन हमले, बलात्कार, धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी के आरोप हैं।
नित्यानंद के एक पूर्व शिष्य लेनिन करुप्पन ने 2010 में उसके कथित काले कारनामों का भंडाफोड़ किया था और चेन्नई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। 2010 में रामनगर पुलिस के पास केस ट्रांसफर होने के बाद नित्यानंद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 295ए (धार्मिक विश्वास का अपमान), 420 (धोखाधड़ी), 376 (रेप), 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध), 506(1) (आपराधिक धमकी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया था। अब तक नित्यानंद दो बार जेल जा चुका है और उच्च न्यायालय से जमानत पर बाहर आकर कथित रुप से उसके खिलाफ सुनवाई में देरी करवाने में कामयाब रहा है।

