नागपुर: शहर के चर्चित कांबले डबल मर्डर केस में मंगलवार को अतिरिक्त सत्र व जिला न्यायाधीश ए.एस. काजी की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट में गहमागहमी का माहौल बन गया. आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की कार्रवाई शुरू होनी थी.
इसी दौरान बचावपक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट पर राजनीतिक दबाव का आरोप लगाते हुए मामला किसी अन्य न्यायालय में चलाने की मांग कर दी. इस पर न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए बचावपक्ष के अधिवक्ता को फटकार लगा दी. सुप्रीम कोर्ट से आर्डर लाने के लिए 15 दिन का समय तो दिया, लेकिन अपने आर्डर में न्यायालय ने साफ कहा कि कोर्ट राजनीति नहीं जानता, जरूरत पड़ी तो कोर्ट देश के प्रधानमंत्री के साथ भी कठोर हो सकता है.
उषा कांबले और उनकी पोती राशि की हत्या के मामले में आरोपियों के खिलाफ मंगलवार को आरोप तय किए जाने थे. इसीलिए पुलिस बंदोबस्त के बीच सभी आरोपियों को कोर्ट में हाजिर किया गया. बचावपक्ष के अधिवक्ता निखिल कीर्तने ने अपनी अपील में कहा कि बचावपक्ष इस मामले की सुनवाई किसी दूसरी अदालत में चलाना चाहता है और इसके लिए याचिका दायर की जा रही है.
इसीलिए फिलहाल चार्ज फ्रेम करने की कार्रवाई को स्थगित किया जाए. बचावपक्ष को लगता है कि न्यायालय पर राजनीतिक दबाव है. मामले की सुनवाई पारदर्शी होनी चाहिए. इसीलिए उन्हें समय दिया जाए. जिला सरकारी अधिवक्ता नितिन तेलगोटे और अतिरिक्त सरकारी वकील प्रशांत साखरे ने कहा कि न्यायपालिका पर इस तरह का आरोप लगाना निंदनीय है.
न्याय व्यवस्था स्वतंत्र तरीके से काम करती है. इस तरह की अपील जानबूझकर सुनवाई प्रलंबित करने के लिए की जा रही है. अपील को नहीं माना जाना चाहिए. दोनों पक्षों की पैरवी के बाद न्यायालय ने बचावपक्ष को कोर्ट में अपील करने के लिए 15 दिन का समय दिया.
साथ ही अपने आदेश में लिखा कि न्याय व्यवस्था राजनीति नहीं जानती और जरूरत पड़ी तो देश के प्रधानमंत्री पर भी सख्त हो सकती है. कोर्ट ने आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को उच्च न्यायालय में आरोपी गुड़िया शाहू की जमानत पर सुनवाई होनी है.