Published On : Sat, Sep 2nd, 2017

अब तक जमा नहीं हुए बैंक गारंटी, आश्चर्य

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नागपुर:
एनएचएआई ने बिना बैंक गारंटी लिए सावनेर रोड स्थित टोल नाका पर वसूली के लिए मुम्बई के एक ठेकेदार को अनुमति दे रखी है. इस नाके पर अवैध रूप से संचालन कर रही ठेकेदार कंपनी रोज आवाजाही करने वालों से टोल वसूली कर रही है. इस मामले की जानकारी स्थानीय विधायक ने संबंधित विभाग के मंत्री, अधिकारियों से कर दोषी आधिकारियों समेत टोल वसूली करने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई करने की मांग करने के बावजूद नागपुर में स्थित एमएचएआई की विभागीय कार्यालय ठोस कार्रवाई के बजाय अपना पल्ला झाड़ दिल्ली स्थित प्राधिकरण के मुख्यालय की ओर उंगली दिखा रही है.

कल शाम नागपुर टुडे ने एनएचएआई के प्रकल्प निदेशक से बात कर सावनेर मार्ग पर पाटणसावंगी स्थित टोल नाका के नवनियुक्त ठेकेदार द्वारा नियम को तोड़-मड़ोड़ कर टोल नाका संचलन के सन्दर्भ में जानकारी मांगी तो उन्होंने अपना पल्ला झड़कते हुए दिल्ली स्थित एनएचएआई के मुख्यालय की ओर उंगली करते हुए जानकारी दी कि ठेका की सम्पूर्ण प्रक्रिया दिल्ली मुख्यालय से होती है. दिल्ली मुख्यालय से ही प्रवीण पांडे को ठेका दिया गया. रही अनियमितता का मुद्दा,यह भी मामला दिल्ली मुख्यालय के अधिकार में है. नागपुर विभागीय कार्यालय को सिर्फ पुराने ठेकेदार से नए ठेकेदार को टोल नाका ‘हैंडओवर’ करवाने का निर्देश मिला था,जो हमने कर दिया. इसके अलावा नागपुर विभागीय कार्यालय सिर्फ समन्वयक की भूमिका में है. ठेकेदार से सम्पूर्ण सवाल-जवाब का अधिकार दिल्ली मुख्यालय को है.

नागपुर विभागीय कार्यालय में नए ठेकदार के संग कोई बैठक नहीं हुए और न आयोजित की गई है. नया टोल संचालक रोजाना टोल वसूली की राशि जमा करवा रहा है. रही बात बैंक गैरेंटी की तो नए ठेकेदार ने भरी भी है और नहीं भी. प्रकल्प निदेशक के अनुसार उन्हें सावनेर के विधायक सुनील केदार का शिकायत पत्र प्राप्त हुआ है,इसका जवाब दिल्ली स्थित मुख्यालय ही देंगी.प्रकल्प निदेशक का सम्पूर्ण बयां काफी नपा-तुला जरूर था.लेकिन सच्चाई यही है कि वे लगातार नए ठेकेदार पर दबाव बनाये हुए है कि अबतक की सारी अनियमितताएं दूर करो.

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उधर पांडे उक्त अनियमितताएं दूर करने के बजाय मामला रफा-दफा करने हेतु दिन-रात एक किये हुए है. उसे बैंक गैरेंटी की राशि बड़ी होने के कारण कोई ‘वित्त प्रबंधक’ नहीं मिल रहा है.

उल्लेखनीय यह है कि नागपुर-सावनेर-बैतूल राष्ट्रीय महामार्ग का निर्माणकार्य 2 वर्ष पूर्व किया गया था. मार्ग के निर्माणकार्य के बाद एनएचएआई ने पाटणसावंगी स्थित टोल नाका शुरू किया था. एक माह पूर्व तक स्थानीय युवकों को रोजगार मुहैया करवाने के उद्देश्य से टोल संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. आज से ठीक एक माह पूर्व एनएचएआई ने टोल नाका संचालन के लिए टेंडर जारी किया था. टेंडर लेने वाले मुम्बई के ठेकेदार प्रवीण पांडे थे. यह ठेकेदार पहले ही विवादों में रह चुका है. बावजूद इसके एनएचएआई ने उसे ही ठेका दिया. टेंडर की नियमावली के अनुसार रोज की अनुमानित टोल वसूली के हिसाब से अगले 30 दिन की कुल राशि डीडी के रूप में एनएचएआई को देना और इतनी ही राशि की बैंक गैरन्टी जमा करवाना अनिवार्य था.


लेकिन इस नए ठेकेदार ने अब तक कोई भी बैंक गारंटी नहीं जमा करवाई है. इसके बावजूद एनएचएआई ने ठेकेदार से मिलीभगत कर उसे टोल संचालन की अनुमति दे रखी है. जबकि बिना बैंक गारंटी के एनएचएआई व टोल का ठेका लेने वाले के बीच एग्रिमेंट नहीं हो सकता है. फिर नए ठेकेदार द्वारा अधिकृत तौर पर टोल संचालन तो दूर की बात है. एनएचएआई ने नए टोल संचालक को बैंक गारंटी जमा करवाने के लिए 15-15 दिन की 2 मौके भी दिए. लेकिन पांडे ने बैंक गारंटी फिर भी जमा नहीं कराया. पांडे बैंक गारंटी करने के लिए जिले में फाइनांसर ढूंढ रहा है. पांडे ने टोल नाका के टेंडर शर्तों में से एक भी शर्त पूरी किए बगैर टोल संचालन कर रहे हैं. जैसे अग्नि सुरक्षा नदारत, कामगार कार्यालय के नियम शर्तों का पालन न करना, कर्मियों का ‘ऑफिसियल ड्रेस’ में न होना, किसी भी कामगार के पास पहचान पत्र न होना आदि-आदि. जानकारी मिली है कि एनएचएआई के महाप्रबंधक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने ठेकेदार से बिना बैंक गारंटी टोल संचालन के लिए बड़ी राशि ली थी.

टोल संचालक द्वारा एनएचएआई की शह पर किए जा रहे अवैध कृत्य से नाराज सावनेर के विधायक सुनील केदार ने 27 अगस्त 2017 को केंद्रीय परिवहन मंत्री, एनएचएआई प्रमुख, एनएचएआई के संबंधित अधिकारियों समेत राज्य के मुख्यमंत्री,नागपुर के जिलाधिकारी, नागपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक, नागपुर स्थित एनएचएआई के परियोजना निदेशक को पत्र लिख इस मामले की जानकारी देकर किये गए सवालों का लिखित जवाब मांगा. साथ ही मामले के दोषी एनएचएआई के अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई व अवैध रूप से संचलन कर रहे टोल नाका के ठेकेदार पर कानूनी कारवाई की भी मांग की है.केदार के पत्र से सम्पूर्ण राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण सकते में हैं. पारदर्शिता व बिना भ्रष्टाचार के विभाग संचलन के लिए जाने जाने वाले इससे सम्बंधित मंत्री भी अछूते नहीं.

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