Published On : Fri, Dec 28th, 2018

दुर्गुणों के विनाश के लिये भक्ति योग से जुड़ो: पंडित मेहताजी

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नागपुर: दुर्गुण केवल कर्मकांड से समाप्त नहीं हो सकते। केवल भक्ति से भी इन्हें नहीं मारा जा सकता। इसके लिये भक्तियोग से जुुड़ना पड़ता है। उक्त उद्गार प्रबंधन गुरु पंडित विजय शंकर मेहता ने हिवरी नगर स्थित श्री बड़ी मारवाड़ माहेश्वरी पंचायत भवन में आयोजित श्री राम कथा के अंतिम दिवस उत्तर कांड के दौरान व्यक्त किए। श्री राम कथा का भव्य आयोजन झंवर व सोमाणी परिवार की ओर से किया गया था।

उन्होंने आगे कहा कि शरीर संयम और सदाचार से सधता है, मन सावधानी से नियंत्रित होता है और आत्मा तक पहुंचते- पहुंचते पूरे चरित्र में सौम्यता और संवेदनशीलता उतरना जरूरी है। भक्त के लिये भवसागर पर करने के दो माध्यम हैं- अपने परिश्रम से सेतु और दूसरा ईश्वर कृपा के सेतु से। उन्होंने यह भी कहा कि संगत और मित्रता में बड़ी सावधानी की जरूरत होती है।

आप जिससे भी जुडें़ वह श्रेष्ठ और अच्छा होना चाहिये। ईश्वर कभी किसी को सीधे दंड नहीं देते। वे भिन्न- भिन्न माध्यमों से पहले सचेत करते हैं। यदि फिर भी नहीं समझ सके तो परेशानी उठानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि यदि श्रीकृष्ण को पाना है तो श्रीमद् भागवत को अपनाओ और प्रभु श्री राम को पाना हो तो श्री हनुमान जी को मनाओ। पतित को पवित्र बना देने वाला ग्रंथ है रामायण।

इस अवसर पर प्रमुखता से ब्रिजमोहन पनपालिया, मधुसूदन नावंदर, उषाकिरण मर्दा, पुरुषोत्तम मालू, महेंद्र हरकुट, सुनीता हरकुट, जुगलकिशोर बजाज, नंदकिशोर बजाज, नारायण बजाज, ब्रिजकिशोर सारडा, रतनलाल अग्रवाल, कुमकुम अग्रवाल, उर्मिला अग्रवाल, डा. मनोहर सारडा, रामस्वरूप सारडा, अशोक मालानी, कल्पना सारडा, गोविंद पसारी, जुगलकिशोर सादडा, राहुल सारडा, राधा बजाज, सीता झंवर, घनश्याम पनपालिया, गिरीश मालानी, अल्का गर्ग, नवनीत माहेश्वरी, बनवारी काबरा, गोविंद राठी आदि उपस्थित थे। संपूर्ण श्री रामकथा के दौरान गोपालकृष्ण शर्मा, पंडित अनिल पांडे, पंडित रितेश शर्मा ने पूजा करवाई। मंच संचालन सरला सोमानी और द्वारकाप्रसाद बजाज ने किया।